मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस मुंबई के विकास के लिए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में जो समिति स्थापित करना चाहते हैं, उनकी सरकार उसी पर बहस कराने से
मुंह चुरा रही है। सोमवार को विपक्ष इस मुद्दे पर बहस कराने की मांग करता रहा, लेकिन अध्यक्ष हरिभाऊ बागडे ने
विपक्ष की एक न सुनी। अध्यक्ष के रवैए से परेशान विपक्ष ने सदन में हंगामा मचाया
और अंत में सदन की कार्यवाही का बहिष्कार कर दिया।
एनसीपी विधायक जितेंद्र आव्हाड ने अलग समिति के मुद्दे को
उठाने के लिए नियम 57 के तहत
प्रश्नकाल निलंबित करने का नोटिस दिया था। उनके इस नोटिस को विधानसभा अध्यक्ष ने
स्वीकार नहीं किया। इसके बाद उन्होंने सदन की कार्यवाही के दौरान इसी मुद्दे को
स्थगन प्रस्ताव के रूप में दोबारा उठाने की कोशिश की, लेकिन अध्यक्ष ने इसकी भी मंजूरी
नहीं दी।
विधानसभा अध्यक्ष द्वारा चर्चा की अनुमति नहीं देने पर
कांग्रेस-एनसीपी के विधायक अध्यक्ष के सामने वेल में आकर नारेबाजे करने लगे।
शोरशराबे के बीच ही विधायक औचित्य का मुद्दा उठाते रहे। नारेबाजी और शोर शराबे के
बीच ही कांग्रेस के विजय वडेट्टीवार ने आव्हाड का समर्थन करते हुए कहा कि उनका
स्थगन प्रस्ताव है, इसलिए उस
पर चर्चा होनी चाहिए, लेकिन
अध्यक्ष हरिभाऊ बागडे ने मना कर दिया। इसी दौरान कांग्रेस-एनसीपी के विधायक 'मुंबई को तोड़ने नहीं देंगे' और 'मुंबई नहीं किसी के बाप की' जैसे नारे लगाने लगे। इसी बीच
बीजेपी के विधायक भी एकजुट होकर विपक्षी विधायकों के सामने आ गए। इस स्थिति को
टालने के लिए अध्यक्ष ने 15 मिनट के
लिए बैठक स्थगित कर दी। जब सदन की कार्यवाही फिर से शुरू हुई तब भी विपक्षी विधायक
चर्चा की मांग पर अड़े रहे और शोर मचाने लगे। अंत में विपक्ष ने देखा कि अध्यक्ष
उन्हें बोलने की अनुमति नहीं दे रहे, तब उन्होंने सदन से वॉकआउट कर
दिया।
पिछले दिनों मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर मुंबई के विकास को गति देने के लिए एक समिति गठित करने
का प्रस्ताव रखा था। इस बारे में मुख्यमंत्री ने सदन में कई बार सफाई दी कि उस
समिति से सालों-साल लटकी मुंबई की योजनाओं को जल्दी मंजूरी मिल जाएगी। इस समिति से
देश की आर्थिक राजधानी का विकास तेजी से होगा। विपक्ष इसी पर चर्चा और बहस की मांग
कर रहा था।
मुंबई के विकास के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में बनने
वाली समिति को लेकर एनसीपी चीफ शरद पवार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सात
पन्नों का खत लिखकर इस समिति से दूर रहने की नसीहत दे चुके हैं। पवार ने अपने खत
में मोदी को लिखा था कि उन्हें यानी मोदी को मुंबई के विकास की जिम्मेदारी से खुद
को दूर रखना चाहिए, क्योंकि
मुंबई के विकास की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री और राज्य की है। पवार ने अपने खत में यह
भी लिखा था कि था कि जब संविधान में राज्य और केंद्र की जिम्मेदारियों का सविस्तार
वर्गीकरण किया गया है, तो ऐसा
करना गलत होगा। पवार के इस खत के बाद ही एनसीपी विधायक विधानसभा में इस मुद्दे को
लेकर मुखर हुए हैं।
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