Monday, January 11, 2016

12 बाल अपराध‍ियों के फरार होने की खबर

महाराष्‍ट्र के नासिक में बाल सुधार गृह से 12 बाल अपराध‍ियों के फरार होने की खबर है। जानकारी के अनुसार भागने वालों में से कई पर गंभीर अपराध दर्ज हैं।
सूत्रों के अनुसार यह सभी बाल अपराधी बाल सुधार गृह की 16 फीट ऊंची दीवार फांदने में सफल रहे।

इन बाल अपराधियों के भागने के बाद से बवाल मचा हुआ है और उन्‍हें ढूंढने का काम शुरू कर दिया गया है साथ ही बाल सुधार गृह की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े हो गए हैं।

Friday, January 8, 2016

असहिष्‍णुता पर बयान

मुंबई पुलिस एक बड़ा फेरबदल करते हुए लगभग 25 बॉलीवुड हस्तियों को दी गई सुरक्षा घटा सकती है। वहीं इनमें से कइयों की सुरक्षा खत्‍म करने पर भी विचार किया जा रहा है। इनमें आमिर खान और शाहरुख खान जैसे बॉलीवुड सितारे भी शामिल हैं। मुंबई पुलिस के एक उच्‍च अधिकारी ने खबर की पुष्टि करते हुए कहा है कि कुछ बॉलीवुड हस्तियों की 'अनवांटेड' सिक्‍युरिटी कम करने पर बात चल रही है।
शाहरुख और आमिर ने पिछले दिनों देश में बढ़ती कथित असहिष्‍णुता पर बयान दिया था। इसके बाद मुंबई पुलिस ने इनकी सुरक्षा बढ़ा दी थी। मुंबई पुलिस अधिकारियों का कहना है कि अब इन एक्‍टर्स कोई खतरा नहीं है। असहिष्‍णुता का मामला भी अब ठंडा पड़ गया है। ऐसे में अब शाहरुख और आमिर की सुरक्षा में सिर्फ दो सुरक्षाकर्मी हथियारों सहित होंगे। सशस्त्र प्रोटोकॉल और बख्तरबंद वाहन अब इन एक्‍टर्स की सुरक्षा से हटा लिए जाएंगे।
एक आईपीएस अधिकारी ने बताया, 'हम इस समय लगभग 40 बॉलीवुड सेलेब्रिटिज को सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं। लेकिन अब हम इस लिस्‍ट को छोटा करने जा रहे हैं। हम अब ऐसे 15 सेलेब्रिटिज को सुरक्षा देने के बारे में सोच रहे हैं, जिसे वाकई अब जान का खतरा है।'
मुंबई पुलिस से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि सेलेब्रिटिज की सुरक्षा के काफी मैनपॉवर लग जाती है। हालिया ऑडिट में यह सामने आया है कि कुछ सेलेब्रिटिज की सुरक्षा को कम किया जा सकता है। कुछ ऐसे भी हैं जिनको अब सुरक्षा की आवश्‍यकता नहीं है।
बॉलीवुड के 25 ऐसे सेलेब्रिटिज जिनकी सुरक्षा हटाई जा सकती है, उनमें बॉलीवुड डायरेक्‍टर और प्रोड्यूसर विधु विनोद चोपड़ा, डायरेक्‍टर राजकुमार हिरानी, डायरेक्‍टर फराह खान और प्रोड्यूसर सिबलिंग अली व करीम मोरानी शामिल हैं।

Thursday, January 7, 2016

मुंबई एसएस (स्टेशन सुप्रीटेंडेंट) से रतलाम मंडल को राजधानी एक्सप्रेस को बम से उड़ाने की सूचना

राजधानी और अगस्त क्रांति एक्सप्रेस में बुधवार रात बम की सूचना से हड़कंप मच गया। सूचना पर बम डिस्पोजल, डॉग स्क्वॉड और पुलिस बल स्टेशन पहुंचा। पुलिस ने ट्रेन आने से पहले स्टेशन और प्लेटफॉर्म पर सूक्ष्मता से जांच की। इसमें किसी भी प्रकार की आपत्तिजनक वस्तु नहीं मिली।

जानकारी के अनुसार मुंबई एसएस (स्टेशन सुप्रीटेंडेंट) से रतलाम मंडल को राजधानी एक्सप्रेस को बम से उड़ाने की सूचना मिली थी। इस पर रात करीब 11 बजे बम डिस्पोजल, डॉग स्क्वॉड और पुलिस प्रशासन हरकत में आया। सभी तत्काल स्टेशन पहुंचे। रतलाम स्टेशन पर ट्रेन संख्या 12952 दिल्ली-मुंबई राजधानी एक्सप्रेस और 12954 हजरत निजामुद्दीन-मुंबई अगस्त क्रांति एक्सप्रेस की जांच की गई। रात 12.12 बजे राजधानी एक्सप्रेस रतलाम पहुंचे। ट्रेन के कोच बी-6, 7 और 8 की जांच की गई। हालांकि इस दौरान ट्रेन में किसी भी प्रकार की आपत्तिजनक वस्तु नहीं पाई गई। रात 12.18 बजे ट्रेन मुंबई के लिए रवाना हुई। सीएसपी पीएस राणावत, टीआई राजेश चौहान, आरपीएफ थाना प्रभारी सत्यदीप कुमार, डॉग हैंडलर राकेश पुनिया, बम स्क्वॉड के रामकिशोर शर्मा सहित बड़ी संख्या में पुलिस बल स्टेशन पर मौजूद रहा। बम की सूचना से ट्रेन में सवार और प्लेटफॉर्म पर मौजूद यात्री भी डरे-सहमे नजर आए।

Tuesday, January 5, 2016

हिंदुस्तान की इज्जत तार-तार

पंजाब के पठानकोट में एयरबेस पर हुए आतंकी हमले के बीच केंद्र व महाराष्ट्र में सरकार की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने एक बार फिर पीएम मोदी और रक्षा मंत्री को निशाने पर लिया है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में पठानकोट हमले का जिक्र करते हुए कहा कि पाकिस्तान ने छह-सात आतंकवादियों को भेजकर हिंदुस्तान की इज्जत तार-तार कर दी है।
सामना के संपादकीय में लिखा है, 'सिर्फ 6-7 आतंकियों ने हमारे खिलाफ युद्ध का ऐलान किया है। जिस बड़ी फौज का ढोल हम बजाते रहते हैं उस ढोल को फोड़ने वाला ये मामला है। सीमा ही नहीं देश की आतंरिक सुरक्षा भी धाराशाई हो गई है। यह इस बात का सबूत है। विपत्ति के समय सरकार के विरोध में बोलना ठीक नहीं है। टीका-टिप्पणी नहीं करते हुए सरकारी कार्रवाई का समर्थन करो क्योंकि यह देश की सुरक्षा का मामला है, लेकिन सुरक्षा का मामला होने के बाद भी क्या सरकार गंभीर है? सिर्फ 6-7 आतंकियों ने फौज को चुनौती दी है। सात जवान शहीद हुए हैं, 50 घायल हैं।'
आगे सामना में पीएम और रक्षामंत्री को सलाह देते हुए लिखा है, 'इस हिसाब से पता चलता है कि सिर्फ 6 सनकी आतंकियों ने हिंदुस्तान की इज्जत तार-तार कर दी। रक्षामंत्री और प्रधानमंत्री वगैरह इससे सबक लें।'
इस ऑपरेशन पर सवाल उठाते हुए लिखा है, 'गृह सचिव कहते हैं कि कितने आतंकी छिपे हैं कहा नहीं जा सकता। पूरी जानकारी ऑपरेशन खत्म होने के बाद ही देंगे। इस बयान का मतलब ये है कि सरकार की आंखों के सामने अंधेरा फैला हुआ है।'
पाकिस्तान को लेकर सामना में उद्धव ठाकरे ने लिखा है, 'पाकिस्तान को अगर रिश्ते सुधारने हैं तो हमले की निंदा का ढोंग मत करो। सूत्रधार मसूद अजहर को भारत के हवाले करो। इन दिनों सिर्फ ट्विटर पर श्रद्धांजलि समर्पित करने का काम चल रहा है, लेकिन जवानों की मौत क्यों और किसके कारण हुई है?'
पीएम मोदी पर भी सवाल उठाते हुए ठाकरे ने कहा है, 'अब दुनिया की तरफ नहीं बल्कि अपने देश की तरफ ध्यान देने का वक्त है।'

सामना में लिखा है, 'मोदी ने दुनिया एक करने की कोशिश शुरू की है। अब समय अपने देश की ओर ध्यान देने का है। आतंकी घुसे तो दुनिया मदद के लिए नहीं दौड़ी। मोदी जब प्रधानमंत्री नहीं थे तब का उनका एक वाक्य याद आता है। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था- बंदूक की गोली की गूंज में वार्ता कैसे हो सकती है? मोदी का उस समय किया गया सवाल उचित था। हमें वही मोदी चाहिए। आज भी बंदूक और तोप की आवाज से देश के कान पक गए हैं।'

Monday, January 4, 2016

एक आंतरिक परिपत्र उसके नुकसान के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता

इंश्‍योरेंस कंपनियां पॉलिसी को रिन्‍यू करने के दौरान एकतरफा बदलाव कर देती हैं। कई बार इस मामले में बीमित व्‍यक्‍ित को जानकारी भी नहीं देती हैं। इस तरह के बदलाव गैरकानूनी हैं। बीमित व्‍यक्‍ित बीमा पॉलिसी की मूल शर्तों के अनुसार, सैटलमेंट पाने का हकदार होगा।
केवी अय्यर ने न्‍यू इंडिया इंश्‍योरेंस से मेडिक्‍लेम पॉलिसी ली थी। यह साल दर साल नियमित रूप से रिन्‍यू होती रही। इसमें कुल बीमित राशि सात लाख रुपए थी, जिसमें से पांच लाख रुपए बेसिक इंश्‍योरेंस के थे और दो लाख रुपए बोनस के रूप में मिले थे।
वर्ष 2009-10 में अय्यर ने मोतियाबिंद की सर्जरी कराई, जिसमें कुल 91 हजार 916 रुपए का खर्च आया। उनके क्‍लेम को बीमा कंपनी की ओर से हेल्‍थ इंडिया टीपीए सर्विस प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा निपटाया गया। इस कंपनी ने अय्यर को 24 हजार रुपए प्रति आंख के हिसाब से महज 48 हजार रुपए ही दिए।
हालांकि, सम इंश्‍योर्ड पूरे दावे को कवर करने के लिए पर्याप्‍त था। क्‍लेम पेमेंट एडवाइस में कहा गया कि यह 48 हजार रुपए फुल एंड फाइनल सेटलमेंट है। मगर, अय्यर ने इस डिस्‍चार्ज वाऊचर में साइन करने से इंकार कर दिया। इसके बजाय उन्‍होंने कम दिए गए 43 हजार 916 रुपए और देने के लिए पत्र लिखा।
इस पर बीमा कंपनी ने जवाब दिया कि मोतियाबिंदु की सर्जरी के लिए प्रति आंख 24 हजार रुपए के आंतरिक सकुर्लर की लिमिट के हिसाब से उनका क्‍लेम सही तरीके से जारी किया गया था। इस पर अय्यर ने कहा कि एक आंतरिक परिपत्र उसके नुकसान के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। उसके दावे को पॉलिसी कंडीशन के अनुसार सैटल करना चाहिए।
इस पर बीमा कंपनी से कोई जवाब नहीं मिलने पर उन्‍होंने दक्षिण मुंबई उपभोक्ता फोरम में शिकायत की। बीमा कंपनी ने तर्क दिया कि यदि उन्‍हें दावे के अमाउंट पर विवाद करना था, तो उन्‍हें चेक डिपॉजिट नहीं करना चाहिए था। फोरम ने इस आपत्‍ित को खारिज करते हुए कहा कि अय्यर ने डिस्‍चार्ज वाऊचर पर साइन नहीं किए हैं। यह बीमा कंपनी की गलत ट्रेड पॉलिसी को जाहिर करता है।
फोरम ने कहा कि बीमा कंपनी को 1996 में जब मूल शर्तें लागू की गई‍ं थी, उसी के अनुसार पालन करनी होंगी। फोरम ने कंपनी को 31 दिसंबर 2015 को निर्देश दिया कि वह बकाया 43 हजार 916 रुपए और उस पर नौ फीसद वार्षिक ब्‍याज की दर के साथ 31 दिसंबर 2010 से बकाया अय्यर को देगा।

इसके साथ ही 3000 रुपए मानसिक प्रताणना के लिए और दो हजार रुपए मुकदमेबाजी के देगी। यानी भले ही इंश्‍योरेंस का कॉन्‍ट्रेक्‍टर साल दर साल रिन्‍यू होगा, लेकिन यह सिर्फ पॉलिसी की अवधि को ही बढ़ाते हैं। इससे बीमा कंपनी के द्वारा एक तरफा मूल शर्तें और परिस्थितियों को नहीं बदला जा सकता।

Friday, January 1, 2016

नव वर्ष आपको व आपके परिवार के लिए नया वर्ष 2016 सभी खुशियों का तोहफा लाये , यही तमन्ना है ।

शिवसेना के मुखपत्र "दोपहर का सामना" के कार्यकारी संपादक के पद से इस्तीफा दे चुके प्रेम शुक्ल के भाजपा में शामिल होने का अनुमान है। शुक्ल ने गुरुवार को सामना के संपादक एवं प्रबोधन प्रकाशन के मुख्य ट्रस्टी उद्धव ठाकरे को मेल से इस्तीफा भेज दिया।
निर्भय पथिक से पत्रकारिता में कदम रखने वाले प्रेम शुक्ल "दोपहर का सामना" से 1993 में चीफ रिपोर्टर के रूप में जुड़ गए थे। तब इस अखबार के संपादक संजय निरुपम थे। निरुपम के शिवसेना छोड़ने के बाद कार्यकारी संपादक के रूप में प्रेम शुक्ल ने जिम्मेदारी संभालनी शुरू की थी।
सामना के मराठी और हिंदी संस्करणों को पार्टी के संस्थापक बालासाहब ठाकरे के स्वभाव के अनुसार ही तीखे तेवरों के लिए जाना जाता है। यही कारण है कि अपेक्षाकृत नरम स्वभाव के नए पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के कार्यकाल में भी सामना के संपादकीय में छपनेवाली टिप्पणियां अक्सर पार्टी का अधिकृत विचार मान ली जाती हैं।
इसी क्रम में महाराष्ट्र के पिछले विधानसभा चुनाव में प्रेम शुक्ल द्वारा भाजपा के वरिष्ठ नेताओं पर की गई कुछ तीखी टिप्पणियां भाजपा आलाकमान को रास नहीं आई थी। इसके बावजूद प्रेम शुक्ल के भाजपा में प्रवेश की संभावना को अचरज से देखा जा रहा है।
प्रेम शुक्ल उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जनपद के मूल निवासी हैं। पता चला है कि उन्हें भाजपा की राष्ट्रीय इकाई में प्रवेश दिया जाएगा। शुक्ल को राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय कर भाजपा देश के अलावा मुंबई के हिंदी भाषी समाज में भी इस्तेमाल करना चाहेगी।

मुंबई में उत्तर प्रदेश मूल के लोगों की संख्या करीब 40 लाख है और भाजपा के पास इस वर्ग का नेतृत्व करने के लिए कोई तेजतर्रार नेता नहीं है। इसलिए यहां के उत्तर भारतीय मुख्यतया कांग्रेस का वोट बैंक माने जाते हैं।