Tuesday, November 30, 2010

विक्रोली रेलवे फाटक पर रोड ओवर ब्रिज बनाने की गतिविधि तेज


कई हादसों में हुई मौतों के बाद विक्रोली रेलवे फाटक पर रोड ओवर ब्रिज बनाने की गतिविधि तेज हो गई है। गुरुवार को बीएमसी और रेल अधिकारियों के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है। पर इससे पहले ब्रिज बनाने की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है। विक्रोली रेलवे फाटक पर ब्रिज बनाने की पहल सालों पहले की गई थी, मगर बाबुओं के टेबल पर फाइलें घूमती रही, ब्रिज बना नहीं। मुंबई महानगर विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) ने एमयूटीपी योजना के अंतर्गत रोड ओवर ब्रिज बनाने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया था। उसके लिए प्राधिकरण ने सलाहकार भी नियुक्त कर दिया था, पर 2008 तक ब्रिज का कोई अता-पता ही नहीं चला। इधर, रेलवे फाटक पर आए दिन दुर्घटनाएं होती रही, जिससे लोग मरते रहे, घायल होते रहे। मगर बाबुओं के ब्रिज फाइलों में घूमती रही और जब मुंबई महानगर विकास प्राधिकरण ब्रिज बनाने में नाकाम रहा, तब उसने 2008-09 में ब्रिज बनाने की जिम्मेदारी मुंबई महानगर पालिका के कंघे पर डाल दी। कर्मचारियों और अधिकारियों की कमी से जूझ रहे बीएमसी के ब्रिज विभाग ने ब्रिज बनाने की रूपरेखा तय की। ब्रिज की कुल लंबाई लगभग 390 मीटर निश्चित की गई जिसमें से करीब 64 मीटर रेल महकमा बनाएगा। यह वह हिस्सा होगा, जो रेल पटरियों के ऊपर से गुजरेगा। रोड ओवर ब्रिज की चौड़ाई करीब 60 फिट होगी। बीएमसी ने सन 2009 में उस ब्रिज की कुल लागत 15 करोड़ लगाई थी। विक्रोली का रोड ओवर ब्रिज रेलवे स्टेशन के पश्चिम में लालबहादुर शास्त्री मार्ग से पूर्व में ईस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे के करीब तक जाएगा। ब्रिज बनाने के दरमियान 34 दुकानों के साथ-साथ एक मंदिर प्रभावित हो रहा था। इससे पुनर्वास को लेकर ब्रिज का मामला लटका पड़ा था। उधर, रेलवे महकमा भी ब्रिज को लेकर किसी तरह की दिलचस्पी नहीं दिखा रहा था। जैसे तैसे दिन बीतते गए। विक्रोली रेल फाटक पर ब्रिज बनाने के बाबत महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के स्थानीय विधायक मंगेश सांगले ने पहल की। विक्रोली निवासियों ने बीएमसी कमिश्नर स्वाधीन क्षत्रिय से मुलाकात की। पिछले दिनों हुए हादसे के बाद एक बार फिर से धूल खा रही फाइलें साफ की जा रही हैं और बैठकों का दौर शुरू हो गया है। इस बाबत बीएमसी कमिश्नर स्वाधीन क्षत्रिय ने बताया कि रेलवे ने ब्रिज बनाने के लिए हरी झंडी दे दी है। गुरुवार को होने वाली बैठक में इस बाबत कई और महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे।

Monday, November 22, 2010

आंदोलन कई मायनों में खुद यात्रियों को काफी परेशानी दे गया।

कहने को भले से ही रविवार को विक्रोली स्टेशन पर किया गया आंदोलन स्वत: प्रेरित रहा हो और इसकी भूमिका में रेल प्रशासन की इस स्टेशन के प्रति उपेक्षा रही हो, मगर इसका दूसरा सच यह भी है कि यह आंदोलन कई मायनों में खुद यात्रियों को काफी परेशानी दे गया। चूंकि रविवार बाकी दिनों से इतर अपने नाते-रिश्तेदारों के यहां अपने परिवार के साथ घूमने फिरने का दिन था, सो सभी लोग जब अपने घरों के बाहर अपने परिवार के साथ निकले थे तो उन्होंने सोचा नहीं था कि उनकी आज की यात्रा आंदोलन में चौपट हो जाएगी। एम. व्यंकटेशन जैसे ही कल्याण जाने के लिए अपना कूपन पंच कर 10 साल के बेटे के साथ प्लेटफॉर्म नं. 1 पर बढ़ीं तो उन्हें नारेबाजी की आवाज सुनाई दी। इससे पहले वो कुछ समझ पातीं, उन्होंने देखा कि दूसरे प्लेटफॉर्म पर कई लोग मोटरमैन की केबिन के ऊपर चढ़ गए हैं। रेल प्रशासन मुर्दाबाद के नारों और भीड़ के मनोविज्ञान ने श्रीमती व्यंकटेशन के शक को बहुत जल्द ही यकीन में बदल दिया। पहले तो एक घंटे तक उन्होंने इंतजार किया, फिर कोई रास्ता न सूझा तो उन्होंने टिकट खिड़की पर अपना कूपन (टिकट) रद्द कर पैसा वापस लेने का फैसला किया। उन्हें यहां भी निराशा ही हाथ लगी जब उन्हें टका सा जवाब मिला कि कूपन के पैसे वापस नहीं किए जाते। इस संवाददाता के माध्यम से उन्होंने रेलवे से सवाल पूछा कि ऐसी सूरत में रेलवे टिकट के रिफंड की व्यवस्था क्यों नहीं करती। दरअसल, ऐसे आंदोलनों का असली साइड इफेक्ट ऐसा ही होता है। रविवार की अपराह्न जब लोगों को समझा-बुझाकर आंदोलन खत्म कराया गया तो इसका असर रेल सेवाओं पर पड़ा। लोकल ट्रेनों के ऑपरेशन में बंचिंग की समस्या आ गई और एक के पीछे एक लोकल की सर्पाकार लंबी लाइन लग गई। शाम सवा चार बजे विक्रोली से छूटी लोकल सीएसटी 6.30 बजे पहुंची। इस दरमियान हर स्टेशनों के बाहर लोगों का जमावड़ा लग गया। रिक्शा और टैक्सी वालों की बादशाहत दिखने लगी। बेस्ट की बसों पर ऐक्स्ट्रा बोझ आ गया। कईयों ने मीलों पटरियों पर ही अपना रास्ता पूरा किया। सबसे ज्यादा मुसीबत गर्भवती महिलाओं को हुई जिन्हें भीड़ से बचने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था। ट्रेन में फंसी ऐसी महिलाओं की मानों सांस ही अटक गई थी। आंदोलन का स्पॉट बने विक्रोली पर महिला यात्रियों को भारी भीड़ के बीच ईस्ट से वेस्ट आने और वेस्ट से ईस्ट जाने में मानो अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ा। हमारा सिस्टम ऐसे क्राइसिस मैनेजमेंट से निबटने का आदी नहीं है, सो रविवार को भीड़ का 'जंगलराज' देखा गया। ऐसे आंदोलन में नेताओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यही सिलसिला रविवार को भी देखा गया। घाटकोपर से मनसे विधायक राम कदम तो ट्रैक के बीचोबीच बैठकर अपने समर्थकों के साथ नारेबाजी करने लगे। खबर लगते एनसीपी के स्थानीय सांसद संजय दीना पाटील पहुंचे तो स्थानीय नगरसेवक ताउजी गोरुले भी अपने दल-बल के साथ आंदोलनकारियों का नेतृत्व करते दिखे। हाल ही में मध्य रेल के एनआरयूसीसी मेंबर चुने गए रेल कार्यकर्ता सुभाष गुप्ता कहते हैं कि विक्रोली के इस जनांदोलन को एक 'वेक-कप कॉल' के तौर पर लिया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि अभी हाल में संपन्न जेडआरयूसीसी की मीटिंग में मैनें इस स्टेशन की बदहाली का मुद्दा उठाया था जिस पर ध्यान देते हुए जीएम ने इस स्टेशन पर विशेष नजर रखने का आश्वासन दिया था। रेलवे बोर्ड को जनता की परेशानियों को पहुंचाने वाले श्री गुप्ता का सुझाव था कि अब वक्त आ गया है कि रेलवे वादे करना बंद करे और काम करना चालू करे। वादे बंद करने और काम चालू करने का ही नारा इससे पहले घंटो विक्रोली स्टेशन पर लगाया गया था।

Friday, November 19, 2010

निर्णय से एनसीपी के सदस्यों को बहुत आश्चर्य

मुंबई कांग्रेस के मंत्रियों की सूची हैरान करने वाली कतई नहीं है पर एनसीपी के विभागों के बंटवारे में रोचक बदलाव किए गए हैं। उपमुख्यमंत्री अजितदादा पवार को होम नहीं, फाइनैंस- प्लानिंग और ऊर्जा विभाग दिया गया है। इस निर्णय से एनसीपी के सदस्यों को बहुत आश्चर्य हुआ है। फाइनैंस और ऊर्जा दोनों विभाग ऐसे हैं जिनके लिए पूरा वक्त चाहिए। सवाल यह उठाया जा रहा है कि दादा दोनों विभागों और पार्टी के काम के साथ न्याय कैसे कर पाएंगे? चर्चा थी कि आर आर पाटील उर्फ आबा से होम छीन लिया जाएगा पर वे उस्ताद निकले। होम पर नजर गड़ाकर बैठे जयंत पाटील और छगन भुजबल को आबा ने मात दे दी है। भुजबल को लोक निर्माण के अलावा सिर्फ पर्यटन थमा दिया गया है। जयंतराव को फायनान्स वापस मिलने की उम्मीद थी पर उन्हें ग्रामीण विकास ही दिया गया है। दादा के निकटस्थ सुनिल तटकरे को ऊर्जा और जलसंवर्धन मिलने की चर्चा थी। उन्हें भी निराश होना पड़ा है। दादा ने ऊर्जा नहीं छोड़ा सिर्फ जलसंवर्धन ही तटकरे को दिया। गत सरकार में उनके पास फाइनैंस था। विदर्भ के हाई प्रोफाईल एनसीपी नेता अनिल देशमुख के पास खाद्य एवं नागरी आपूर्ति का भार कायम रखा गया है। नवी मुंबई के गणेश नाईक का रूतबा कायम है। उनके पास एक्साईज और अपरंपरागत ऊर्जा कायम रखा गया है। मेडिकल एज्युकेशन और फलोत्पादन का भार आदिवासी नेता विजय गावित को दिया गया है। कुल मिलाकर एनसीपी के 'दादा' मंत्रियों को काफी नाउम्मीद कर दिया गया है। लंबे समय से सरकार में शामिल होने के लिए बेताब वरिष्ठ नेता विजय सिंह मोहिते पाटील को इस बार भी हाशिये पर ही धकेला गया है। एनसीपी के प्रदेशाध्यक्ष मधुकर पिचड़ भी मंत्री बनने की उम्मीद लगाए हुए थे। पर शरद पवार ने महाराष्ट्र की उनकी टीम-20 में कोई बदलाव नहीं किया।

Wednesday, November 17, 2010

आदर्श घोटाले में लिप्त अफसरों को दंडित किया जाएगा।

उपमुख्यमंत्री अजितदादा पवार ने मंगलवार को यहां बताया कि 26 नवंबर 2008 में आतंकवादी हमले के बाद राजनीतिज्ञों को दंड दिया गया पर अफसरों को सजा नहीं दी गई। इस बार सरकार यह गलती नहीं दोहराएंगी। आदर्श घोटाले में लिप्त अफसरों को दंडित किया जाएगा। मंत्रालय में उन्होंने पत्रकारों को बताया कि यह आम धारणा बनती जा रही हैं कि अफसरों का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। राजनीतिज्ञों में भी यह भावना बढ़ी हैं कि अफसरों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करना आवश्यक हो गया है। वे इस भावना को मुख्यमंत्री तक पहुंचाएंगे। उनकी नई सरकार इस दिशा में उचित कदम उठाएगी। उल्लेखनीय है कि आदर्श घोटाले में लगभग एक दर्जन सीनियर सचिवों का रोल होने की चर्चा है। इनके रिश्तेदारों को आदर्श में फ्लैट आबंटित हुए है। इस बीच पवार ने बताया कि एनसीपी के मंत्रियों की सूची तैयार है। कांग्रेस का फैसला हो जाने पर एनसीपी की सूची भी घोषित की जाएगी। उन्होंने बताया कि बुधवार को ईद की छुट्टी है अत: मंत्रियों की शपथ का समारोह गुरुवार को होने की संभावना है। उनके विभागों के बारे में निर्णय बाद में होगा। सूत्रों ने बताया कि एनसीपी में विभागों में भारी फेरबदल किए जाने वाले हैं। दादा को हाईप्रोफाइल होम मिलने की चर्चा है। बहरहाल मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण मंगलवार को मंत्रालय में दो बैठकें करने वाले थे। एक बैठक महाराष्ट्र में बे वक्त हुई बारिश के कारण फसलों के नुकसान का जायजा लेने के लिए थी। पर वे रात तक मुंबई नहीं आये। दादा उनका इंतजार करते रहे। दूसरी बैठक ईद के मद्दे नजर कानून एवं व्यवस्था की स्थिति का जायजा लेने के लिए थी।

Thursday, November 11, 2010

शिवसेना और बीजेपी ने बुधवार को सुरेश कलमाड़ी से पुणे के सांसद पद से इस्तीफा देने की मांग की। उ

शिवसेना और बीजेपी ने बुधवार को सुरेश कलमाड़ी से पुणे के सांसद पद से इस्तीफा देने की मांग की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रमंडल खेलों में कथित भ्रष्टाचार में शामिल होने के मामले में कांगेस संसदीय दल के सचिव के पद से हटाए जाने के बाद उन्हें सांसद बने रहने का कोई 'नैतिक अधिकार' नहीं है। पुणे में बीजेपी शहरी इकाई के प्रमुख गिरिश बापत ने कहा, 'नैतिक तौर पर कलमाड़ी को पुणे के लोगों का प्रतिनिधि बने रहने का कोई हक नहीं है। उन्होंने न केवल शहर को, बल्कि पूरे देश को शर्मिंदा किया है।' नई दिल्ली में अक्टूबर में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में भ्रष्टाचार के आरोपों के मद्देनजर आयोजन समिति के अध्यक्ष कलमाड़ी से दूरी बनाते हुए कांग्रेस ने मंगलवार को उन्हें संसदीय दल के सचिव पद से हटा दिया था। शिवसेना के प्रवक्ता नीलम गोरहे ने कहा, 'कलमाड़ी को पद से हटाने से पता चलता है कि कांग्रेस पार्टी ने उन्हें प्रथमदृष्टया दोषी पाया है।