Thursday, April 29, 2010

उन लोगों को नहीं छोड़ेंगे जो महाराष्ट्र को विभाजित करना चाहते हैं बाल ठाकरे

शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने मुंबई के महाराष्ट्र से अलग होने की कगार पर होने का दावा करते हुए शुक्रवार को कहा कि ऐसे किसी भी प्रयास के विरोध में होने वाले संघर्ष में वह निजी तौर पर शामिल होंगे। पार्टी के मुखपत्र सामना में एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा- उन लोगों को नहीं छोड़ेंगे जो महाराष्ट्र को विभाजित करना चाहते हैं। हम शेर की तरह उन पर टूट पड़ेंगे। ठाकरे ने अलग विदर्भ के गठन के लिए आंदोलन पर भी कड़ा विरोध जताया।
उन्होंने कहा, दुर्भाग्यवश विदर्भ राज्य अस्तित्व में आ भी गया, तो मैं आपको लिख कर दे सकता हूं कि इस पर शासन करने वाले मराठी नहीं होंगे। ठाकरे ने कांगेस नेता राहुल गांधी को 'इटैलियन पुत्र' करार देते हुए फरवरी में मुंबई यात्रा के दौरान लोकल ट्रेन में उनकी यात्रा को हास्यास्पद बताया।

Sunday, April 25, 2010

अनजान ब्लड डोनर से ब्लड लेने के बाद ही उन्हें यह बीमारी हुई

बॉलिवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने कहा है कि वह लिवर सिरॉसिस से पीड़ित हैं, जबकि वह शराब नहीं पीते हैं। उन्होंने कहा है कि वह इस बीमारी से पीड़ित हैं, जो आमतौर पर शराब पीने वाले लोगों को होती है। अमिताभ ने अपने ब्लॉग पर लिखा है कि 28 साल पहले 'कुली' फिल्म की शूटिंग के दौरान लगी चोट के बाद पर हुई सर्जरी के दौरान एक अनजान ब्लड डोनर से ब्लड लेने के बाद ही उन्हें यह बीमारी हुई थी। अमिताभ (67) लिखते हैं कि किस तरह से मैं तकनीकी रूप से या मेडिकल साइंस की भाषा में किसी चूक की वजह से रोगी बन गया। गौरतलब है कि 2 अगस्त 1982 को 'कुली' फिल्म की शूटिंग के दौरान अन्य कलाकार पुनीत इस्सर के साथ लड़ाई के दृश्य को फिल्माते समय अमिताभ की आंत में गंभीर चोट लगी थी। इसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया और उनका ऑपरेशन किया गया। वह कई महीनों तक गंभीर रूप से बीमार रहे थे। अमिताभ ने लिखा है कि ब्लड ऐंटीजेन हेपेटाइटिस से संक्रमित था। यह मेरे शरीर में प्रवेश कर गया और इसने मेरे लिवर पर हमला कर दिया। आठ साल पहले एक एमआरआई प्रक्रिया के दौरान पता चला कि इससे मेरे लिवर का 25 फीसदी हिस्सा नष्ट हो गया है। अमिताभ कहते हैं कि मैं इस बात से हैरत में हूं कि मैं लिवर की बीमारी से पीड़ित हूं, जबकि मैं शराब को हाथ तक नहीं लगाता। अमिताभ कभी भी इस बीमारी से पूरी तरह से नहीं उबर सके और उन्हें लगातार निगरानी रखनी पड़ी है।

Thursday, April 15, 2010

शोरूम का पूरा स्टाक गायब है तथा दोनों आरोपी भी फरार

मुम्बई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने सेल्समैन बनकर मशहूर शोरूमों में से डिजाइनर कपड़े चुराने वाले तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। जानकारी के मुताबिक आरोपी लूटे गए सामान को अपने खुद के शोरूम के जरिए बेच देते थे और लाखों रुपए का लाभ कमाते थे। तीनों आरोपियों का नाम दाउद खान उर्फ विकास (27), घेवरचंद मेघवाल उर्फ रोहित माली (28) और विक्रम सिंह (28) को गिरफ्तार किया है। मामला उस समय प्रकाश में आया, जब दुल्हन के डिजाइनर कपड़ों का कारोबार करने वाले ओमप्रकाश पंचारिया ने 29 मार्च को भांडुप पुलिस स्टेशन में एक शिकायत दर्ज कराई, जिसमें उसने अपने यहां बतौर सेल्समैन काम करने वाले विकास और रोहित पर चीटिंग का आरोप लगाया। शिकायतकर्ता के मुताबिक उसने विकास और रोहित के बिजनेस प्लान पर यकीन कर भांडुप के गाडव नाका इलाके में अपना शोरूम खोल लिया और इसे संभालने की पूरी जिम्मेदारी दोनों को दे दी। नए शोरूम का नाम दुल्हन था। क्राइम ब्रांच की युनिट 8 के सीनियर पीआई श्रीरंग नाडगौडा ने बताया कि विकास और रोहित ने कुछ सप्ताह तक शोरूम को अच्छे तरीके से चलाया तथा अच्छी बिक्री दिखाई। हालांकि, 29 मार्च को शिकायतकर्ता को पता चला कि शोरूम का पूरा स्टाक गायब है तथा दोनों आरोपी भी फरार है। यहां तक कि विकास और रोहित के सेलफोन भी बंद थे। जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि दोनों आरोपी शिकायतकर्ता के लिए फर्जी नाम से काम कर रहे थे। पुलिस ने सघन जांच और करीब 100 लोगों से पूछताछ के बाद दोनों को दक्षिण मुम्बई के वी. पी. रोड से पकड़ा। पीआई वस्त विनायक ने बताया कि चुराया गया अधिकांश माल आरोपियों के पास से जब्त कर लिया गया। दोनों के सहयोगी विक्रम ने शोरूम से स्टाक को दूसरे स्थान पर ले जाने का काम किया था। उसे भी बाद में गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपियों ने जांच के दौरान कबूला कि वे पुणे में डिजाइनर कपड़ों का शोरूम खोलना चाहते थे, इसलिए वे चोरी के जरिए डिजाइनर कपड़े एकत्रित कर रहे थे। इससे पहले उन्होंने मीरा रोड, भाईंदर और नालासोपारा में स्थित शोरूमों से कपड़े सेल्समैन बनकर चुराए थे।

लेबोरेटरी कर्मचारियों की कमी के चलते ठीक तरीके से काम नहीं कर पा रही

साध्वी प्रज्ञा सिंह, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइसेंज में हुए अमेरिकी लड़की का बलात्कार, नूरिया हवेली वाला प्रकरण और अंधेरी के हालिया शूटआउट के मामलों में सबसे कॉमन कलीना फरेंसिक लेबोरेटरी है। यहीं इन हाई-प्रोफाइल मामलों की जांच हुई लेकिन खुद महाराष्ट्र की एक मात्र फॉरेंसिक लेबोरेटरी कर्मचारियों की कमी के चलते ठीक तरीके से काम नहीं कर पा रही है। हाल ही में एफसीएल कलीना की तरफ से होम मिनिस्टरी में अस्थायी पदों पर नियुक्ति करने के लिए आवेदन किया गया था जिसे मंत्रालय की तरफ से बिना कोई वजह बताए निरस्त कर दिया गया। लेबोरेटरी से जुड़े एक आला अधिकारी की माने तो वर्तमान में डीएनए, नाकोर् और बैलिस्टिक जांच के विभिन्न मामलों में कार्रवाई इसलिए नहीं पूरी हो पा रही है क्योंकि तकरीबन 68 जांच कर्ताओं की लैब में कमी है। जनवरी महीने में लेबोरेटरी की तरफ से 30 पदों को अस्थायी तौर पर भरने की मांग की गई थी लेकिन मंत्रालय ने बिना कोई वजह बताए उक्त अजीर् को खारिज कर दिया। संबंधित लेबोरटरी से जुड़े एक अन्य अधिकारी की माने तो मंत्रालय की तरफ से इस बात की जानकारी दी गई है कि महाराष्ट्र राज्य सेवा आयोग जल्द ही इन सभी 68 पदों को भरने के लिए अखबारों में विज्ञापन देगी लेकिन कब और कहां इस बात की जानकारी किसी को नहीं है? वैसे एफएसएल कलीना पिछले कई सालों से कर्मचारियों की कमी होने की शिकायत करता रहा है? इसी वजह से साल 2008 में संबंधित लेबोरेटरी ने गोवा के मशहूर बीच पर मृत पाई गई ब्रिटिश युवती स्कारलेट किलिंग के मामले की जांच करने से मना कर दिया था। जिसके बाद इस मामले को हैदराबाद फॉरेंसिक लैब भेज दिया गया था। एफएसएल कलीना के सूत्रों की माने तो उनके पास डीएनए और बैलिस्टिक जांच से संबंधित सभी उपकरण है लेकिन संबंधित अधिकारी के ने होने की वजह से जांच ठंडे बस्ते में पड़ी रहती है। वहीं दूसरी तरफ करप्शन के मामलों में एंटी करप्शन ब्यूरो द्वारा फॉरवर्ड किए गए मामले भारी तादाद में अनसुलझे पड़े हैं। एसीबी के एक अधिकारी की माने तो घूसखोरी के मामलों में रिकार्ड किए गए जिन टेपों के आधार पर एसीबी पड़ताल करती है उनकी मैचिंग रिपोर्ट आने में कम से कम दो साल का वक्त लगता है। इन मामलों में बिना रिपोर्ट के आए एसीबी या पुलिस चार्जशीट तक दाखिल नहीं कर सकती। वर्तमान में एफएसएल कलीना में ही घूसखोरी के तकरीबन 100 मामले विचाराधीन हैं।

Tuesday, April 13, 2010

म्हैस्कर के खिलाफ कोई सुबूत नहीं

महाराष्ट्र सरकार ने सोमवार को बम्बई हाई कोर्ट से कहा कि पुलिस को सूचना का अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता सतीश शेट्टी हत्याकांड में आईआरबी इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपर्स के अध्यक्ष वीरेंद्र म्हैस्कर के खिलाफ कोई सुबूत नहीं मिला है। सतीश के भाई संदीप शेट्टी ने पूर्व में आरोप लगाया था कि एक घोटाला उजागर करने के बाद म्हैस्कर ने उनके भाई को धमकी दी थी। संदीप के वकील ने कहा कि मामले की जांच गलत दिशा में जा रही है और पुलिस म्हैस्कर को गिरफ्तार नहीं करना चाहती। हाई कोर्ट ने पुणे के नजदीक तालेगांव में इस साल जनवरी में हुई शेट्टी की हत्या के मामले का स्वत: संज्ञान लिया था। शेट्टी ने सूचना का अधिकार कानून के तहत दी गई अजिर्यों के जरिए जमीन से सम्बन्धित कई घोटालों का पर्दाफाश किया था। पुणे पुलिस ने इस मामले में छह लोगों को गिरफ्तार किया था। सरकार ने पिछले हफ्ते इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला किया था।

Wednesday, April 7, 2010

साल 2006 के मालेगांव विस्फोट के मामले में दाखिल याचिका खारिज

बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को साल 2006 के मालेगांव विस्फोट के मामले में तीन आरोपियों द्वारा दाखिल याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें विशेष जांच दल से ताजा जांच की मांग की गई थी। जज डी. बी. भोसले और जज ए. आर. जोशी की खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता निचली अदालत में याचिका दाखिल कर सकते हैं। मालेगांव में आठ सितंबर 2006 को हुए चार विस्फोटों में 30 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। तीन आरोपियों नूरउलहुदा समसुदोहा, शब्बीर अहमद मसिउल्ला और मोहम्मद जाहिद ने याचिका दाखिल की थी। याचिका में आरोप है कि अबरार अहमद नामक शख्स द्वारा दाखिल हलफनामे में संकेत है कि याचिकाकर्ताओं को फंसाया गया है। इसमें यह आरोप भी लगाया गया है कि अबरार का हलफनामा दिखाता है कि 2006 के मालेगांव विस्फोटों और 2008 में इसी कस्बे में हुए विस्फोटों में कोई कड़ी जुड़ी है। 2008 के मामले में हिंदू संगठन अभिनव भारत के सदस्य आरोपी हैं। हालांकि, याचिकाकर्ताओं के वकील अमीन सोलकर ने कहा कि यही समूह 2006 के हमलों में भी शामिल हो सकता है और इसलिए एसआईटी को मामलों में जांच करनी चाहिए। हालांकि, अदालत ने कहा कि वह अबरार के शपथपत्र की सच्चाई की पुष्टि नहीं कर सकती और याचिकाकर्ता इस संबंध में निचली अदालत में मुकदमा शुरू होने पर वहां गुहार लगा सकते हैं। उच्चतम न्यायालय ने 2006 के मामले में मुकदमे पर रोक लगा दी थी। दरअसल आरोपियों ने महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी।

Tuesday, April 6, 2010

संजय गांधी नेशनल पार्क से बाघों के एक जोड़े को गोद लेने की इच्छा

वन्यप्राणियों के संरक्षण का समर्थन करते हुए शिवसेना के कार्यकारी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने शहर के संजय गांधी नेशनल पार्क से बाघों के एक जोड़े को गोद लेने की इच्छा व्यक्त की है। पार्क के निदेशक पी. एन. मुंडे ने बताया कि शिवसेना नेता ने पार्क प्रशासन को इस आशय का एक पत्र लिखा है। पत्र में उद्धव ने पूछा है कि वह पार्क में वन्यप्राणियों के संरक्षण के लिए क्या कर सकते हैं। मुंडे ने बताया कि पार्क प्रशासन उद्धव को अनुमति देने से पहले वन्यजीवन मुख्यालय से अंतिम अनुमोदन का इंतजार कर रहा है। बाघों की घटती संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए खुद भी एक वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर रहे उद्धव ठाकरे ने कहा कि वह बाघों के संरक्षण के लिए एक राज्यव्यापी आंदोलन चलाना चाहते हैं। गौरतलब है कि बाघ शिवसेना का चुनाव चिन्ह भी है। महाराष्ट्र के दोनों बाघ अभयारण्यों-मेलघाट और टडोबा अंधारी में हाल के समय में बाघों के शिकार में काफी वृद्धि हुई है और बाघों के प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहे हैं।

संजय गांधी नेशनल पार्क से बाघों के एक जोड़े को गोद लेने की इच्छा

वन्यप्राणियों के संरक्षण का समर्थन करते हुए शिवसेना के कार्यकारी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने शहर के संजय गांधी नेशनल पार्क से बाघों के एक जोड़े को गोद लेने की इच्छा व्यक्त की है। पार्क के निदेशक पी. एन. मुंडे ने बताया कि शिवसेना नेता ने पार्क प्रशासन को इस आशय का एक पत्र लिखा है। पत्र में उद्धव ने पूछा है कि वह पार्क में वन्यप्राणियों के संरक्षण के लिए क्या कर सकते हैं। मुंडे ने बताया कि पार्क प्रशासन उद्धव को अनुमति देने से पहले वन्यजीवन मुख्यालय से अंतिम अनुमोदन का इंतजार कर रहा है। बाघों की घटती संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए खुद भी एक वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर रहे उद्धव ठाकरे ने कहा कि वह बाघों के संरक्षण के लिए एक राज्यव्यापी आंदोलन चलाना चाहते हैं। गौरतलब है कि बाघ शिवसेना का चुनाव चिन्ह भी है। महाराष्ट्र के दोनों बाघ अभयारण्यों-मेलघाट और टडोबा अंधारी में हाल के समय में बाघों के शिकार में काफी वृद्धि हुई है और बाघों के प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहे हैं।