Monday, September 24, 2012

गणेशोत्सव के पांचवें दिन भक्तों ने गौरी-गणपति को विदाई


 गणेशोत्सव के पांचवें दिन भक्तों ने गौरी-गणपति को विदाई दी। लाखों की संख्या में गणेश भक्त अलग-अलग चौपाटियों पर नम आंखों से 'गणपति बप्पा मोरया, पुढच्या वर्षी तू लवकर या' के घोष वाक्य के साथ विसर्जन के लिए पहुंचे। इस दौरान विसर्जन रास्तों पर ट्रैफिक भी जाम रहा। बीएमसी से प्राप्त जानकारी के अनुसार, रविवार को शाम 6 बजे तक 16,263 मूर्तियों के विसर्जन किए जा चुके थे। मुंबई के अलावा उपनगरों, नवी मुंबई, ठाणे, कल्याण, मीरा-भाईंदर, वसई-विरार और आसपास के इलाकों से भी बड़ी संख्या में गणपति प्रतिमाओं के विसर्जन की खबर है। 

मुंबई में बीएमसी की ओर से 73 साधारण स्थल और 24 कृत्रिम तालाब विसर्जन के लिए तैयार किए गए हैं। कंधे पर गौरी-गणपति को लिए भक्तों का सैलाब 'एक दो तीन चार, गणपति की जय जय कार' बोलते हुए विसर्जन स्थल की ओर बढ़ा जा रहा था। आंकड़ों पर नजर डालें तो, शाम तक 14,563 घरेलू गणपति, 92 सार्वजनिक और 1608 गौरी मूर्तियों का विसर्जन किया गया। देर शाम तक विसर्जन के दौरान किसी तरह की अप्रत्याशित घटना होने की कोई जानकारी नहीं मिली। 

कई जगहों पर भक्तों की भीड़ के चलते घंटो तक ट्रैफिक की स्थिति चरमराई रही। प्रशासन की ओर से, सिर्फ अनंत चतुर्दशी के दिन ही विसर्जन स्थलों के रास्तों पर गाडि़यों के आवागमन में बदलाव किया जाता है। शहर में गिरगांव चौपाटी, दादर शिवाजी पार्क मंे अधिक भीड़ देखी गई जबकि, पश्चिम उपनगर में जुहू चौपाटी, गोराई, मार्वे खाड़ी में तथा पूर्वी उपनगर में पवई तालाब, शीतल तालाब, चेरई तालाब में सबसे अधिक विसर्जन किए गए। 
अगला विसर्जन अब 25 सितंबर को होना है। बीएमसी कमिश्नर सीताराम कुंटे ने विसर्जन के एक दिन पहले जुहू और वर्सोवा के सागर कुट्टी चौपाटी का जायजा लिया। बीएमसी के डिजास्टर मैनेजमेंट सेल के मुताबिक, रविवार की शाम साढ़े चार बजे से रात ती बजे तक समुद्र में ज्वार रहेगा, इसकी वजह से बीएमसी ने चौपाटियों पर विसर्जन के लिए तैनात अपने लाइफ गार्ड्स को सतर्क कर रखा है।

Wednesday, September 12, 2012

दिग्विजय सिंह का कुल जिस राघोगढ़ रियासत के राजा हैं उसका अधिकृत इतिहास उनके खींची होने की पुष्टि करता है।


 ठाकरे परिवार को बिहार मूल का बताने वाले कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह पर उन्हीं के अंदाज में पलटवार किया गया है। शिवसेना के मुखपत्र 'दोपहर का सामना' के एक लेख में दिग्विजय के पूर्वजों को 'दगाबाज' कहते हुए दावा किया गया है कि वे मुगलों और अंग्रेजों के मुखबिर थे। लेख में ठाकरे के पूर्वजों की खूब तारीफ गई है। कहा गया है कि शिवाजी की सेना में ठाकरे के पूर्वजों का अहम स्थान रहा है। वहीं, दिग्विजय को खिंची कुल का बताया गया है। लेख में कहा गया है कि दिग्विजय के पूर्वज मुगलों और अंग्रेजों की मुखबिरी करते थे।

इसमें लिखा गया है, 'ठाकरे कुल पर आरोप लगाने वाले दिग्विजय सिंह का कुल भी जांच लिया जाए। ठाकरे कुल के पूर्वज तो छत्रपति शिवराज की सेना के शूरवीर थे। वे हिंदू स्वराज के लिए लड़ रहे थे। दिग्विजय सिंह का कुल खींची राजपूतों का है। वे जिस राघोगढ़ रियासत के राजा हैं उसका अधिकृत इतिहास उनके खींची होने की पुष्टि करता है। खींची संस्थान, जोधपुर से प्रकाशित 'सर्वे ऑफ खींची हिस्ट्री'जिसके लेखक ए.एच निजामी और जी. ए. खींची हैं, का दावा है कि खींची उपजाति राजपूत धन लेकर युद्ध करने के लिए कुख्यात रहे हैं। ... दिग्वजिय जिस रोघागढ़ रियासत के कुंवर हैं, वह रियासत गरीबदास नामक योद्धा को बादशाह अकबर ने दी थी। जब राजपूताना और मामलाव के अधिकांश क्षत्रिय राणा प्रताप की ओर हो लिए थे, तब भी राघोगढ़ का गरीबदास अकबर का मुखबिर था। इस गद्दी पर 17 97 तक दिग्विजय का पूर्वज बलवंत सिंह मौजूद था। '1778 के प्रथम मराठा-अंग्रेज युद्ध में बलवंत सिंह ने अंग्रेजों की मदद की थी।

गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से दिग्विजय सिंह और ठाकरे परिवार के बीच जुबानी जंग छिड़ी हुई है। विवाद तब शुरू हुआ जब दिग्विजय सिंह ने यह कहा कि बिहारियों का विरोध करने वाला ठाकरे परिवार खुद बिहार से आया है। इसके लिए उन्होंने ठाकरे परिवार पर लिखी किताब का हवाला भी दिया। दिग्विजय के इस बयान से तिलमिलाए उद्धव ठाकरे ने उन्हें पागल तक कह डाला।

Monday, September 10, 2012

राज ठाकरे को अपनी इमेज की चिंता सताने लगी


एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे को अपनी इमेज की चिंता सताने लगी है। पाकिस्तानी कलाकारों को लेकर बने 'सुरक्षेत्र' सीरियल के मामले में 'सेटेलमेंट' करने के आरोप लगाए गए, इसे लेकर वे काफी खफा हैं। ठाणे के एक सार्वजनिक कार्यक्रम में उन्होंने अपनी इस नाराजी को मंच से स्वर दिया। 

राज ने कहा कि 'सुरक्षेत्र' का विरोध करने के बाद इसे वापिस लेने पर 'सेटेलमेंट' की खबरें छपीं। इसलिए मैंने सिंगापुर के 'मिफ्टा' नाट्य व चित्रपट पुरस्कार समारोह में जाने का न्योता ठुकरा दिया था। 'म्हैसकर फाउंडेशन' इस कार्यक्रम के प्रायोजक थे और मैंने टोल विरोध आंदोलन चला रखा था। इसलिए मैंने साफ कर दिया है कार्यक्रम में उपस्थित रहना मेरे लिए संभव नहीं होगा। 

राज ने पाकिस्तानी कलाकारों के सीरियल को अनुमति देने के बारे में विस्तार से सफाई दी। उन्होंने बताया कि देश में पाकिस्तान के समर्थन से आतंकवादी कार्रवाइयां हो रही हैं, ऐसे में चुपचाप बैठे रहकर पाकिस्तानी कलाकारों को बुलाने का मैं विरोध करता हूं। लेकिन 'सहारा वन' के निदेशक बोनी कपूर और 'कलर्स' के पदाधिकारी मुझे मिलने आए और बताया कि 'सुरक्षेत्र' के लिए उन्होंने भारी खर्च कर रखा है। हम पर कितना कर्ज हो गया है, यह बताते हुए बोनी कपूर लगभग रोने की हालत में पहुंच गए थे। इस कार्यक्रम के आयोजन पर आखिर भारत के ही पैसे खर्च हुए हैं, ये सोचकर मैंने कार्यक्रम को अनुमति दे दी।' 

Friday, September 7, 2012

कांग्रेसी नेता सुबोध कांत सहाय और विजय दर्डा के बाद दो और नेताओं का नाता 2005-2009 के बीच कोयला ब्लॉक आवंटन पाने वालीं कंपनियों से जुड़ ग

 कांग्रेसी नेता सुबोध कांत सहाय और विजय दर्डा के बाद दो और नेताओं का नाता 2005-2009 के बीच कोयला ब्लॉक आवंटन पाने वालीं कंपनियों से जुड़ गया है। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता प्रेम चंद गुप्ता के बेटों ने उस समय कोयला ब्लॉक के लिए आवेदन किया था जब वह केंद्र सरकार में कंपनी मामलों के मंत्री थे। गुप्ता का बेटा स्टील के कारोबार में बिल्कुल नया था, इसके बावजूद उन्हें ब्लॉक मिल गया।

सूचना एवं प्रसरण राज्यमंत्री एस. जगतरक्षकन ने तो अलॉटमेंट से पांच दिन पहले जेआर पावर नामक कंपनी बनाई और सरकारी कंपनी पुड्डुचेरी इंड्स्ट्रियल प्रमोशन डिवलपमेंट ऐंड इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन (पीआईपीडीआईसी) के साथ एमओयू साइन करके 17 जनवरी 2007 को कोल ब्लॉक के लिए दावेदारी ठोक दी। 25 जुलाई को कंपनी को उड़ीसा के नैनी में कोल ब्लॉक मिल गया और एक महीने के भीतर ही जेआर पावर ने अपनी हिस्सेदारी हैदराबाद की कंपनी केएसके एनर्जी वेंचर्स को बेच दी, जिससे इस कंपनी को ब्लॉक से कोयला निकालने का अधिकार मिल गया।

बाद जगतरक्षकन ने 2009 में चुनाव लड़ने के लिए कंपनी के डायरेक्टर पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन उनके परिवार के लोग अभी भी कंपनी के डायरेक्टर हैं। साफ है कि कोर सेक्टर में कोई ट्रैक रेकॉर्ड न होने के बावजूद जेआर पावर को मनमानी पूर्ण तरीके से ब्लॉक आवंटित किए गए और कंपनी ने इसे बेचकर एक महीने के भीतर ही मोटा मुनाफा कमा लिया। खास बात यह है कि जिस पीआईपीडीआईसी के साथ जेआर पावर ने कोल ब्लॉक की दावेदारी जताने के लिए संयुक्त उपक्रम बनाया था वह भी एक इन्वेस्टमेंट कंपनी है।