Sunday, November 30, 2014

धर्म के साथ-साथ पहनावे पर भी टिप्पणी

बॉलिवुड ऐक्टर गौहर खान को एक रिऐलिटी शो की रिकॉर्डिंग के दौरान मौजूद एक दर्शक ने थप्पड़ मार दिया और उनके धर्म के साथ-साथ उनके पहनावे पर भी टिप्पणी की। वहां मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने बाद में उस युवक को दबोच कर पुलिस के हवाले कर दिया। 
रविवार देर शाम गोरेगांव स्थित फिल्म सीटी में एक रिऐलिटी शो के रिकॉर्डिंग के दौरान शो की महिला एंकर गौहर खान के साथ एक युवक ने छेड़खानी और मारपीट की। आरोपी युवक का नाम मोहम्मद अकिल मलिक (24 साल) बताया जा रहा है।

जोन-12 के डीसीपी पंजाबराव उगले ने बताया कि गौहर खान द्वारा आरे पुलिस स्टेशन में की गई शिकायत के मुताबिक, रविवार की शाम स्टूडियो नंबर-9 में एक रिऐलिटी शो की रिकॉर्डिंग हो रही थी। इस दौरान मंच पर गौहर खान प्रोग्राम पेश कर रही कि अचानक दर्शकों में से एक व्यक्ति (अकिल मलिक) मंच पर आया और उसने उन्हें थप्पड़ मारा।
पुलिस के अनुसार आरोपी अकिल मलिक गौहर खान के शॉर्ट ड्रेस से खफा था और इससे नाराज होकर उसने ऐसा कदम उठाया। यहां तक की थप्पर मारने के बाद मलिक ने गौहर से पूछा भी कि एक मुस्लिम होकर भी ऐसे कपड़े पहनने और गंदे गानों पर डांस करने में तुम्हें शर्म नहीं आती। 
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार इस दौरान आरोपी ने गौहर खान के साथ छेड़खानी करने की भी कोशिश की। पूरे मामले की आरे पुलिस जांच करने में जुटी है। गौहर खान बिग बॉस 7 (2013) की विजेता रह चुकी हैं।

Saturday, November 29, 2014

शिवसेना उपमुख्यमंत्री, गृह मंत्रालय, 6 कैबिनेट और 4 राज्यमंत्री पद और 8 महामंडलों का अध्यक्ष पद से कम पर राजी नहीं

बीजेपी और शिवसेना नेताओं के बीच शुक्रवार को शुरू हुई 'मातोश्री वार्ता' का पहला दौर बिना किसी नतीजे के खत्म हो गया। शिवसेना अब भी उपमुख्यमंत्री और गृह मंत्री पद की अपनी मांग छोड़ने को तैयार नहीं है। जबकि बीजेपी ने इसके मुआवजे के रूप में केंद्र में एक कैबिनेट और एक राज्य मंत्री पद का ऑफर दिया है।
बीजेपी के वार्ताकार केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, महाराष्ट्र सरकार में मंत्री चंद्रकांत पाटील के साथ शाम 6 बजे चर्चा के लिए 'मातोश्री' पहुंचे और यह वार्ता 40 मिनट तक चली। जब वे भीतर जा रहे थे, तो उनके चेहरे खिले हुए थे, लेकिन जब वे बाहर निकले तो मुस्कान गायब थी। वार्ता बेनतीजा रहने से उदास बीजेपी के दोनों नेता बिना कोई बात किए ही निकल गए।
चर्चा में शामिल उद्धव ठाकरे और सुभाष देसाई ने बीजेपी वार्ताकारों से साफ तौर पर कहा कि शिवसेना उपमुख्यमंत्री, गृह मंत्रालय, पीडब्ल्यूडी मंत्रालय, जल संसाधन मंत्रालय के साथ 6 कैबिनेट और 4 राज्यमंत्री पद और 8 महामंडलों का अध्यक्ष पद से कम पर राजी नहीं है।
बीजेपी के वार्ताकारों ने यह कह कर बातचीत खत्म की, कि वह शनिवार को दिल्ली में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और महाराष्ट्र बीजेपी के नेताओं के साथ इस बारे में चर्चा कर फैसला लेंगे।
वैसे तो बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को भी शनिवार को मुंबई आना था, लेकिन खबर है कि दांत में दर्द के कारण उनका कार्यक्रम टल गया है। इसलिए बहुत संभव है कि अब इस बारे में फैसला सोमवार तक ही हो पाएगा।
उद्धव ठाकरे के साथ 'मातोश्री वार्ता' पर जाने से पहले बीजेपी कोर कमिटी की बैठक राजस्व मंत्री एकनाथ खडसे के घर पर हुई, जिसमें राज्य बीजेपी नेताओं ने धर्मेंद्र प्रधान को सारे अपडेट्स दिए। इसी तरह मीटिंग खत्म होने के बाद उद्धव ठाकरे ने महापौर बंगले पर शिवसेना नेताओं के साथ मीटिंग की और उन्हें चर्चा के बारे में अवगत कराया।

Wednesday, November 26, 2014

पुलिस को और भी सक्षम बनाने की दिशा में बहुत ही कम प्रयास

26/11 आतंकी हमले के बाद मुंबई पुलिस को तीसरी दुनिया की पुलिस से दुनिया की सबसे बेहतरीन पुलिस बनाने के लिए कई सुझाव दिए गए थे जिससे वह 26/11 जैसे खतरों से निपटने में सक्षम बन सके। लेकिन पुलिस को और भी सक्षम बनाने की दिशा में बहुत ही कम प्रयास किए गए हैं।
बधवार पार्क लैंडिंग पॉइंट, जहां से 10 पाकिस्तानी बंदूकधारी मुंबई में घुसे थे, वहां अब चौबीसों घंटे सुरक्षा रहती है। एक पुलिस अधिकारी ने कहा, 'शहर के सभी 19 लैंडिंग पॉइंट्स को सुरक्षा प्रदान की गई है।' 26/11 के बाद से पुलिस को 20 नई पट्रोलिंग बोट्स (नौकाएं) दी गई थीं, हालांकि ये बुलेटप्रूफ या फाइटर बोट्स नहीं हैं।
एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने कहा कि 2008 में हुए 26/11 के आतंकी हमले के बाद राज्य सरकार ने 29 हाई टेक 'बुलेटप्रूफ' स्पीडबोट्स का ऑर्डर दिया था। लेकिन टेस्ट से साबित हो गया कि वे बुलेटप्रूफ नहीं हैं। सिटी पुलिस ने 2010 में अमेरिकी प्रेजिडेंट बराक ओबामा के मुंबई दौरे से पहले इनमें से एक बोट की क्षमता की जांच की थी। जब एसएलआर (सेल्फ लोडिंग रायफल) से गोली चलाई गई तो उसने स्पीडबोड की बॉडी को भेद दिया। इसके बाद पुलिस ने तुरंत ही इन बोट्स के सप्लायर को पांच कंसाइनमेंट को वापस लेने का आदेश दिया। 
अधिकारी ने कहा, 'सरकार ने एक प्राइवेट फर्म से बोट्स के लिए 150 करोड़ के करार पर हस्ताक्षर किए थे, जिनमें से प्रत्येक बोट की कीमत 5 करोड़ रुपये थी। यह करार 10 पाकिस्तानी आतंकियों के समुद्र के रास्ते मुंबई में घुसने और आंतकी हमला किए जाने के बाद किया गया था। इस फर्म ने लेवल III (यूएस नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ जस्टिस स्पेसीफिकेशन के आधार पर) की बोट्स दिए जाने का वादा किया था और दावा किया था कि एके-47 की गोली भी इसे नहीं भेद पाएगी। हमने कंपनी से कहा कि वे अपनी बोट्स को वापस ले लें।'
मुंबई तटीय पुलिस राज्य की 720 किलोमीटर लंबी तटीय सीमा में से 124 किलोमीटर क्षेत्र को कवर करती है। शहर की पुलिस ने 2009 में चार बुलेटप्रूफ बोट्स खरीदीं थी, जिनके नाम कोएना, भीमा, कावेरी और पुरना हैं। इन बोट्स के ऑडर आंतकी हमले के पहले दिए गए थे। 2011 में तटीय पुलिस ने 10 नॉन बुलेटप्रूफ बोट्स खरीदे। केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र को 28 बोट्स दिए।
अभी माहिम में एक तटीय पुलिस स्टेशन काम कर रहा है। केंद्र सरकार बोरिवली में एक और पुलिस स्टेशन खोलना चाहती है। पुलिस डिपार्टमेंट ने ऑफिशल बोट्स की लैंडिंग के लिए चार जेटीज बनाने का प्रस्ताव रखा है। अधिकारी ने कहा, 'तटीय स्टेशन की पांच और पुलिस चौकियां बनाए जाने का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेज दिया गया है।'
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक इंडियन नेवी, एयर फोर्स, कोस्ट गार्ड और राज्य की एजेंसियों के 30 से ज्यादा जहाज और सबमरीन को पश्चिमी तटीय क्षेत्र में तैनात किया गया है। साथ ही यह भी कहा कि नेवी की सुरक्षा पहले से ज्यादा मजबूत है।
26/11
के बाद रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (आरपीएफ) ने छत्रपति शिवाजी टर्मिनल पर इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस लगाया है। आरपीएफ (सीआर) के सीनियर डिविजनल सिक्यॉरिटी कमिश्नर आलोक वोहरा ने कहा, 'हमने 1466 क्लोज सर्किट कैमरे, 14 हैवी ड्यूटी एक्सरे बैगेज स्कैनर्स, तीन पोर्टेबल बैगेज स्कैनर्स, 85 डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर्स, 426 हैंड हेल्ड मेटल डिटेक्टर्स, 37 कैनीज (उनमें से 6 ट्रैकर्स) और 180 जवानों को हमारे टीम में शामिल किया है।'

मैं सच जानता हूं। कसाब पर काम्टे ने नहीं , मैंने गोलियां चलाईं- अरुण जाधव

छह साल पहले 26/11 की रात गिरगांव में हुए एनकाउंटर में अबू इस्माइल मारा गया था और अजमल कसाब घायल हो गया था। पर गिरगांव से पहले कामा अस्पताल से लगी रंग भवन लेन में भी कसाब को कई गोलियां लगी थीं। अब तक ये कहानियां चल रही थीं कि वे गोलियां तब के अडिशनल सीपी अशोक काम्टे की एके-47 से निकली थीं , पर 26/11 के हीरो अरुण जाधव ने मंगलवार को एनबीटी से दावा किया कि कसाब को गोलियां काम्टे ने नहीं , खुद उन्होंने मारी थीं। अरुण जाधव का दावा है कि यह बात उन्होंने 26/11 की जांच के लिए बनी राम प्रधान कमिटी के सामने भी कही थी।
26/11
को दस आतंकवादी बधवार पार्क के रास्ते मुंबई में घुसे थे और फिर दो - दो के ग्रुप में पांच अलग - अलग जगह घुस गए थे। अजमल कसाब और अबू इस्माइल वाला ग्रुप टैक्सी से मुंबई सीएसटी पहुंचा था। सीएसटी में दर्जनों लोगों पर अंधाधुंध गोलीबारी के बाद दोनों आतंकवादी रेलवे के पिछले पुल से बाहर आते हुए कामा अस्पताल के अंदर पीछे वाले गेट से घुस गए थे। तब के अडिशनल सीपी सदानंद दाते के नेतृत्व में फौरन एक टीम सीढियों के सहारे कामा अस्पताल के ऊपर तक पहुंच रही थी कि तभी गोलीबारी व हैंडग्रेनेड से किए हमले में पीएसआई प्रकाश मोरे और कांस्टेबल विजय खांडेकर की मौत हो गई, जबकि खुद दाते व उनका एक सिपाही तिलेकर उसमें घायल हो गया था। तिलेकर किसी तरह कामा अस्पताल के पीछे वाले गेट से बाहर आने में सफल रहा और फिर बकौल अरुण जाधव विजय सालसकर को यह बात बताई, जो अपनी क्राइम ब्रांच की टीम के साथ बाहर खड़े थे। अशोक काम्टे और तब के एटीएस चीफ हेमंत करकरे अलग - अलग रास्तों से अपनी - अपनी टीम के साथ कामा अस्पताल के पीछे वाले गेट तक पहुंचे थे। उस वक्त तक पायधुनी पुलिस के एसीपी भी क्वॉलिस पुलिस गाड़ी से वहां पहुंच चुके थे।
घायल तिलेकर को अस्पताल पहुंचाने का निर्देश देने के बाद सालसकर, काम्टे व करकरे के बीच जो मंत्रणा हुई, उसमें यह फैसला किया गया कि कामा अस्पताल में सीढ़ियों पर फंसे सदानंद दाते को बचाने के लिए आगे वाले गेट यानी मुख्य सड़क वाले द्वार से कामा अस्पताल के अंदर घुसा जाए। उसी के तहत पायधुनी के एसीपी की क्वॉलिस गाड़ी में सबसे आगे काम्टे बैठे, फिर ड्राइविंग सीट पर सालसकर, जबकि बीच की रो में हेमंत करकरे। सबसे पीछे वाली जगह पर कुल चार लोग बैठे। इनमें अरुण जाधव, पायधुनी के एसीपी का ड्राइवर भोसले, एसीपी का ऑपरेटर योगेश पाटील व अशोक काम्टे का ऑपरेटर जयवंत पाटील शामिल था।
क्वॉलिस गाड़ी में बैठने से पहले की जो प्लानिंग थी, उसके मुताबिक इस टीम को कामा अस्पताल से लगी रंग भवन वाली लेन से मेन रोड पर आना था और फिर मुख्य गेट से कामा अस्पताल में घुसकर कसाब व इस्माइल को पकड़ना था, पर जैसे ही इस पुलिस टीम की यह गाड़ी कामा अस्पताल के पीछे वाले गेट से थोड़ी मूव ही हुई, कि उसी वक्त वायरलेस से मैसेज आया कि दो आतंकवादी रंगभवन वाली लेन में एक लालबत्ती वाली गाड़ी के पीछे छिपे हुए हैं। यह लालबत्ती की गाड़ी तब के मेडिकल एजुकेशन सेक्रेटरी भूषण गंगवानी की थी , जिसमें ड्राइवर मारूति फड बैठा हुआ था, जिसकी बाद में एक अंगुली ही चली गई थी। अरुण जाधव का कहना है कि इस लालबत्ती की गाड़ी से काफी पहले की दूरी पर कसाब व इस्माइल कुछ गमलों के पीछे छिपे बैठे थे, जिसका हम लोगों को अंदाज नहीं था, जबकि इन दोनों आतंकवादियों ने हमें दूर से देख लिया था, इसलिए हम कुछ रियेक्ट करते, उससे पहले ही उन्होंने हम पर अंधाधुंध गोलियां चला दीं। जवाब में इस क्वॉलिस जीप से भी गोलियां चलीं, जिसमें कसाब घायल हो गया। पिछले छह सालों से मीडिया में इस तरह की खबरें चलीं कि क्वॉलिस गाड़ी से चली गोलियां दरअसल अशोक काम्टे की एके-47 से निकली थीं, पर अरुण जाधव का कहना है कि मैं उस वारदात का अकेला विटनेस हूं , मैं सच जानता हूं। कसाब पर काम्टे ने नहीं , मैंने गोलियां चलाईं। मैंने अपनी कार्बाइन से तीन गोलियां चलाईं, जिसमें दो कसाब को लगीं भी। मुझे भी पांच गोलियां मारी गईं। जाधव ने कहा कि सबूत के तौर पर उस दिन के रंग भवन के कारतूसों को देखा जा सकता है कि ये कारतूस काम्टे की एके-47 के हैं या मेरी कार्बाइन के।
पायधुनी के एसीपी की इस क्वॉलिस जीप में कुल सात पुलिसकर्मी थे। वारदात के वक्त चार लोगों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। उस वक्त जो खबरें आईं, उसके मुताबिक विजय सालसकर करीब आधा घंटे तक जिंदा रहे और सड़क पर पड़े रहे, पर चूंकि उन्हें समय पर अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सका , इसलिए समय पर इलाज न मिलने के कारण बाद में उनकी मौत हो गई। हालांकि अरुण जाधव को इस बारे में कुछ पता नहीं है, इसलिए इस बारे में उन्होंने एनबीटी से कुछ बोला भी नहीं। पर अरुण जाधव ने इतना जरूर कहा कि जब गोलीबारी हुई , तो पीछे की सीट पर बैठे हम चार लोग एक दूसरे पर गिर पड़े। उसी वक्त कसाब व इस्माइल जब रंग भवन लेन से पुलिस की क्वॉलिस गाड़ी को ड्राइव कर बाहर निकल रहे थे, उसी वक्त ऑपरेटर योगेश पाटील के मोबाइल की घंटी बज गई, इस पर एक आतंकवादी ने फौरन योगेश को गोली मार दी । दोनों आतंकवादी पुलिस की गाड़ी को फिर विधानभवन के बाहर छोड़ कर वहां एक बिजनेसमैन की स्कोडा गाड़ी में जबरन घुस कर उसकी गाड़ी को ले भागे थे। उसी के बाद अरुण जाधव ने क्वॉलिस गाड़ी में लगे वायरलेस से पुलिस कंट्रोल रूम को दोनों आतंकवादियों के स्कोडा से भागने की सूचना दे दी। इसके बाद पूरे शहर में नाकाबंदी कर दी गई। इसी में गिरगांव में हुए एनकाउंटर के बाद अबू इस्माइल मारा गया, जबकि कसाब जिंदा पकड़ा गया।

Monday, November 24, 2014

कांग्रेस नेता मुरली देवड़ा का निधन

राज्यसभा सांसद और कांग्रेस नेता मुरली देवड़ा का निधन हो गया है। 77 साल के मुरली कैंसर से जूझ रहे थे। रात करीब साढ़े 3 बजे उन्होंने आखिरी सांस ली। अंतिम दर्शन के लिए उनका पार्थिव शरीर दोपहर 12 बजे से 2 बजे के बीच मुंबई के कांग्रेस कार्यालय में रखा जाएगा। इसके बाद 2 से तीन बजे के बीच कांग्रेस दफ्तर से चंदनवाड़ी सोनापुर तक अंतिम यात्रा निकाली जाएगी और वहीं पर दोपहर तीन बजे उनका अंतिम संस्कार कर दिया जाएगा।
मुरली देवड़ा के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख प्रकट किया है। पीएम ने पूर्व केंद्रीय मंत्री को एक समर्पित नेता बताया और कहा कि पार्टी लाइन से हटकर वह अन्य नेताओं के बीच भी चर्चित रहे। पीएम ने दिवंगत नेता की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। अभी यह साफ नहीं हो पाया है कि दिवंगत कांग्रेस नेता के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए दिल्ली से कांग्रेस के कौन-कौन से नेता जाएंगे। 

मूल रूप से राजस्थान के सीकर से संबंध रखने वाले मुरली देवड़ा का जन्म साल 1937 में मुंबई में हुआ था। यहीं से उन्होंने बीए की और समाज सेवा से जुड़ गए। उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 1968 में पार्षद बनकर हुई। 1977 में वह शिवसेना के समर्थन से मुंबई के मेयर चुने गए। 
इसके बाद 1980 में मुरली देवड़ा ने साउथ मुंबई सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा और हार का मुंह देखना पड़ा, मगर इसके बाद हुए चुनावों में उन्होंने जीत हासिल की। 1982 में वह कांग्रेस के टिकट पर महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य बने। 1985, 1989 और 1991 में वह लोकसभा के लिए चुने गए, लेकिन 1996 और 1999 में उन्हें फिर हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद उन्होंने इस सीट से अपने बेटे मिलिंद देवड़ा को उतारा और 2004 में मिलिंद सांसद चुने गए। 
गांधी परिवार के करीबी समझने जाने वाले मुरली इसके बाद दो बार राज्यसभा के लिए चुने गए। यूपीए की सरकार में उन्होंने पेट्रोलियम और कॉर्पोरेट अफेयर्स जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाल था।

Friday, November 21, 2014

मुंबई में मेट्रो का जाल बिछाने की तैयारी

मुंबई में मेट्रो का जाल बिछाने की तैयारी हो रही है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता में हुए एमएमआरडीए की बैठक में 2 नए मेट्रो रूट को मंजूरी दी गई। दहिसर-चारकोप-बांद्रा-मानखुर्द मेट्रो (मेट्रो-2) और वडाला-घाटकोपर-ठाणे-कासारवडावली (मेट्रो-5) को हरी झंडी दी गई।
45,000
करोड़ रुपये के इन दोनों मेट्रो प्रॉजेक्टों का काम राज्य सरकार की मेट्रो रेल विकास कॉर्पोरेशन (एमआरवीसी) के तहत 2021 तक करने का लक्ष्य है। एमएमआरडीए अब इसका प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजेगी। फिर इसे कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद आगे की प्रक्रिया शुरू होगी। इन प्रॉजेक्टों में 50 पर्सेंट लोन इंटरनैशनल एजेंसी से लिया जाएगा। 20 पर्सेंट केंद्र और 30 पर्सेंट राज्य व एमएमआरडीए मिलकर देंगे। 

मेट्रो-2 दहिसर-चारकोप-बांद्रा-मानखुर्द 26,605 करोड़ रुपये लागत 40 किमी. की दूरी 36 स्टेशन 
मेट्रो-5 वडाला-घाटकोपर-ठाणे-कासारवडावली 19,097 करोड़ रुपये लागत 32 किमी. की दूरी 30 स्टेशन 
मेट्रो-2 दहिसर तक मेट्रो-2 का काम शुरू होने से लोगों को काफी राहत मिलेगी। इसके काम को लेकर लंबे समय से खींचतान चल रही थी। वैसे इसका काम 2009 में ही दिया गया था, लेकिन मंजूरी न मिलने के कारण इस पर कोई खास पहल नहीं हो पाई। कुछ दिनों पहले ही पिछला कॉन्ट्रैक्ट रद कर दिया गया। चारकोप-बांद्रा-मानखुर्द तक के इस प्रॉजेक्ट को दहिसर तक बढ़ाया गया है। पहले एलिवेटेड चलने वाली मेट्रो को अब पूरी तरह से अंडरग्राउंड बनाया जाएगा। 
मेट्रो-5 जोड़ेगी ठाणे को मेट्रो-5 वडाला से ठाणे होकर कासारवडावली तक जाएगी। इससे मुंबई की ठाणे के साथ कनेक्टिविटी काफी मजबूत होगी। इसका काफी हिस्सा अंडरग्राउंड होगा। हालांकि कुछ हिस्सा एलिवेटेड भी होगा। यह एलबीएस मार्ग से गुजरेगी, जहां काम करना बड़ी चुनौती है।

Tuesday, November 18, 2014

तमाम स्कूलों व कॉलेजों के बाहर नशीले मादक पदार्थों की बिक्री किए जाने का सनसनीखेज आरोप

एनसीपी विधायक जीतेन्द्र आह्वाड ने ठाणे शहर, कलवा तथा मुंब्रा स्थित तमाम स्कूलों व कॉलेजों के बाहर नशीले मादक पदार्थों की बिक्री किए जाने का सनसनीखेज आरोप लगाया है। आह्वाड के मुताबिक, ड्रग माफिया एमडी और बुक सांकेतिक नाम से पहचाने जाने वाले नशीले पदार्थ को पहले छात्रों को मुफ्त में देते हैं और फिर एक बार लत लग जाने पर उनसे ऊंचे दाम वसूलते हैं। ठाणे शहर में सोमवार दोपहर हुई प्रेस सम्मेलन में आह्वाड ने इस बात का खुलासा किया।

आह्वाड ने आरोप लगाया कि इस तरह के सफेद पावडर का नशीले पदार्थ के रूप में उपयोग होने के बावजूद इसको मादक पदार्थ की श्रेणी में नहीं रखा गया है, जिससे पुलिस द्वारा इसको बेचे जाने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पाती है। इस तरह के नशीले पदार्थ को स्कूल और कॉलेज के छात्र कोल्डड्रिंक में मिला कर या नाक से सूंघ कर सेवन करते हैं।
आह्वाड के अनुसार, छात्रों को इस पावडर की आदत लग जाने पर ड्रग माफिया 60 रुपये का पावडर छात्रों को 600 से डेढ़ हजार रुपये में बेचते हैं। आह्वाड ने राज्य सरकार से एमडी और बुक सांकेतिक नाम से पहचाने जाने वाले पावडर को नशीले पदार्थ की श्रेणी में शामिल करने की मांग की है, ताकि पुलिस इस तरह के पावडर की बिक्री करने वाले ड्रग माफिया के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर सके। बता दें कि एमडी और बुक सांकेतिक नाम से पहचाने जाने वाले नशीले पदार्थ का उपयोग रेव पार्टियों में भी होता है।

Monday, November 17, 2014

कांग्रेस-एनसीपी सरकार में मंत्रियों के पीए और पीएस रहे लोगों को न रखा जाए

नई सरकार में शिक्षा मंत्री बनाए गए विनोद तावडे को बीजेपी सरकार और बीजेपी पार्टी संगठन के बीच समन्वय की जिम्मेदारी दी गई है। इसी तरह राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के साथ समन्वय की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी मंत्री चंद्रकांत पाटील को दी गई है। यह दोनों फैसले राज्य मंत्रिमंडल, बीजेपी तथा संघ परिवार के पदाधिकारियों के बीच हुई बैठक में लिया गया। सूत्रों के मुताबिक यह अति गोपनीय बैठक शनिवार को मुंबई में बॉम्बे पोर्ट ट्रस्ट के सभागृह में हुई। तकरीबन पांच घंटे चली इस बैठक में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और बीजेपी सरकार के सभी मंत्रियों के अलावा संगठन मंत्री वी. सतीश, सह संगठन मंत्री रवींद्र भुसारी और संघ से जुड़े बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे उपस्थित थे।
सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में संगठन और संघ की तरफ से निर्देशों का हवाला देकर सभी मंत्रियों को यह सलाह दी गई है कि वे अपने पीए (पर्सनल असिस्टेंट) और पीएस (पर्सनल सेक्रेटरी)का चुनाव करते वक्त यह सुनिश्चित करें कि कांग्रेस-एनसीपी सरकार में मंत्रियों के पीए और पीएस रहे लोगों को न रखा जाए।
इस बैठक कहा गया कि आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को कई कठोर निर्णय लेने होंगे, लेकिन इन फैसलों के बारे में संगठन और संघ को भी विश्वास में लिया जाएगा। ताकि दोनों संगठनों के कार्यकर्ता इस तरह के फैसलों के प्रति जागरुक रहें और आम जनता के बीच सरकार के फैसलों के मकसद को सही ढंग से पहुंचाया जा सके, ताकि संगठन को उनका फायदा मिल सके।
मंत्रिमंडल विस्तार 22 से 25 के बीच सूत्रों का कहना है कि बैठक में देवेंद्र फडणवीस सरकार के आगामी मंत्रिमंडल विस्तार पर भी चर्चा हुई। इसमें यह पता चला है कि आगामी 22 से 25 नवंबर के बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस अपनी सरकार का मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकते हैं। हालांकि मंत्रिमंडल में किसे शामिल करना है इस पर चर्चा नहीं हुई।
बैठक में यह फैसला लिया गया कि हर तीन महीने में सरकार, संघ और संगठन के पदाधिकारियों के बीच एक बैठक होगी, जिसमें सरकार को फैसलों की समीक्षा और संघ तथा संगठन की अपेक्षाओं से सरकार के प्रतिनिधियों को अवगत कराया जा सके।


Saturday, November 15, 2014

ममता कुलकर्णी को भी डिटेन कर रखा है

पिछले सप्ताह केन्या में हुई फिल्म अभिनेत्री ममता कुलकर्णी के पति विकी गोस्वामी की गिरफ्तारी के पीछे अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का हाथ होने की चर्चा है। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, दाऊद ने विकी को इसलिए अरेस्ट करवाया , क्योंकि वह छोटा राजन से जुड़ा हुआ है। विकी के साथ वहां की पुलिस ने केन्या के ड्रग माफिया बराकत आकाशा, बराकत के छोटे भाई और पाकिस्तान के ड्रग कारोबारी गुलाम हुसैन को भी गिरफ्तार किया है। पुलिस ने 9 नवंबर से ममता कुलकर्णी को भी डिटेन कर रखा है, हालांकि अधिकृत रूप से उन्हें अरेस्ट नहीं किया है।
पिछले सप्ताह हुई इन गिरफ्तारियों की पृष्ठभूमि कई साल पुरानी है। जांच एजेंसियों का कहना है कि बराकत के पिता इब्राहिम आकाशा केन्या के कुख्यात ड्रग माफिया रहे हैं। इब्राहिम का सन 2000 में नीदरलैंड में उसके परिवार के सामने ही कत्ल कर दिया गया था। इब्राहिम के प्रतिद्वंद्वियों का तब आकलन था कि इब्राहिम के कत्ल के बाद उसका पूरा परिवार हिल जाएगा, पर इब्राहिम आकाशा की मौत के बाद उसके दो बेटों ने उसका कारोबार संभाल लिया। यह बात मोजांबिक के ड्रग माफिया मोहम्मद बशीर सुलेमान को पसंद नहीं आई , क्योंकि वह इब्राहिम आकाशा के गढ़ में अपना कारोबार फैलाना चाहता था। मोहम्मद बशीर सुलेमान को ड्रग की दुनिया में एमबीएस के नाम से जाना जाता है।

सुलेमान ने आकाशा के बेटों को बर्बाद करने और उनके कारोबार को खत्म करने के लिए उन तमाम लोगों से पहचान बढ़ाई, जो उसके काम के साबित हो सकते थे। अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम उन्हीं में से एक था। दोनों की दोस्ती बाद में किस हद तक आगे बढ़ी , इसकी पुष्टि सन 2011 में मोजांबिक में अमेरिकन एंबेसी से भेजे गए एक केबल से में भी होती है जिसे विकिलीक्स ने बाद में सार्वजनिक कर दिया था। जब दोस्ती हो गई , तो इस बहाने इन दोस्तों ने अपने दुश्मनों और उनसे जुड़े लोगों के बारे में जानकारियां निकालनी शुरू कर दीं।
उसी में दाऊद को पता चला कि उसका दुश्मन विकी गोस्वामी केन्या के आकाशा बंधुओं के साथ मिलकर काम कर रहा है। इसके बाद दाऊद ने विकी की खोजबीन शुरू कर दी। दाऊद को विकी का लोकेशन तो नहीं मिला, पर बरकत आकाशा के बारे में महत्वपूर्ण टिप मिल गई। यह टिप दाऊद ने सुलेमान को भेज दी। सुलेमान ने फिर अपने लोगों के जरिए केन्या पुलिस तक यह जानकारी बढ़ाई। केन्या पुलिस से फिर यूनाइटेड स्टेट्स ड्रग एनफोर्समेंट एजेंसी को यह जानकारी शेयर की।
बाद में दोनों जांच एजेसियों के संयुक्त ऑपरेशन में बरकत सबसे पहले पकड़ा गया और फिर उससे पूछताछ में विकी गोस्वामी सहित कई अन्य लोग भी। विकी की गिरफ्तारी के बाद जांच टीम उसकी पत्नी बॉलिवुड की पूर्व अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को भी अपने साथ ले गई। ममता को जांच टीम ने अभी तक छोड़ा नहीं है, हालांकि रिकॉर्ड में वह अरेस्ट भी नहीं है।

Wednesday, November 12, 2014

टोरिक्शा चालकों के लिए ट्रैफिक पुलिस विभाग द्वारा नई स्मार्ट कार्ड योजना

शहर में चल रहे सभी ऑटोरिक्शा चालकों के लिए ट्रैफिक पुलिस विभाग द्वारा नई स्मार्ट कार्ड योजना लाई जा रही है। इसके तहत सभी ऑटो चालकों के लिए अपना एक पहचानपत्र रखना अनिवार्य कर दिया जाएगा। यह स्मार्टकार्ड सभी ऑटो में ऐसी जगह लगाया जाएगा, जहां से पीछे बैठा यात्री खुद ही कार्ड को स्कैन कर ऑटोरिक्शा व उसके चालक का पूरा विवरण आसानी से जान सकेगा। स्वप्नाली केस के बाद हाल ही में इस योजना को ठाणे शहर में सफलतापूर्वक शुरू किया गया था और अब यह यहां भी शुरू होने जा रही है।
सूत्रों ने बताया, यह कार्ड एक स्टिकर के रूप में होगा जिसे शहर के सभी ऑटोरिक्शा वालों को दिया जाएगा। इस स्टिकर पर छपे कोड को यात्री अपने स्मार्टफोन से स्कैन कर ऑटोरिक्शा की पूरी जानकारी जान सकेगा। इस योजना को लेकर ट्रैफिक पुलिस द्वारा बीते सोमवार को शहर के ऑटोरिक्शा यूनियन के साथ एक बैठक रखी गई थी, जिसमें उन्हें इस योजना के बारे में बताया गया था। दो दिन पहले बुधवार को इस कार्ड को सभी ऑटो रिक्शा चालकों के लिए उपलब्ध करा दिया गया है, जिसके लिए उन्हें एक फॉर्म भरने के साथ 100 रुपये का शुल्क अदा करना होगा। इस फॉर्म में ऑटो चालकों को अपना नाम, पता, संपर्क-क्रमांक, ऑटोरिक्शा क्रमांक समेत कई और जानकारियां देनी होंगी। इसके बाद इन सभी महत्वपूर्ण जानकारियों को स्टिकर में एनकोड कर ऑटो चालकों को रिक्शा में चिपकाने के लिए दे दिया जाएगा।

ट्रैफिक पुलिस विभाग द्वारा शुरू की जा रही इस योजना का शहर की महिलाओं व महिला संगठनों ने खुलकर स्वागत किया है। उनका कहना है कि कई बार वे कुछ आपराधिक प्रवृत्ति के ऑटो चालकों से बचने में खुद को असहाय पाती हैं और डरी हुई स्थिति में यात्रा करने के लिए विवश हो जाती हैं।

उद्धव ठाकरे अपनी पार्टी के भविष्य को लेकर पूरी तरह अनजान

महाराष्ट्र की राजनीति में शिवसेना के हालिया रुख पर बात करते हुए कांग्रेस विधायक नितेश राणे ने कहा कि उद्धव ठाकरे अपनी पार्टी के भविष्य को लेकर पूरी तरह अनजान हैं। यदि वह पार्टी को सही राह पर न लाए तो जल्द ही मजाक बनकर रह जाएंगे।
उन्होंने कहा, 'उद्धव ठाकरे को पता ही नहीं है कि वह किसकी तरफ और क्यों हैं। उन्हें पता ही नहीं है कि उन्हें भविष्य में पार्टी को कहां ले जाना है।' शिवसेना के सरकार में शामिल होने के बारे में पूछने पर राणे ने कहा कि इस पार्टी ने खुद को ऐसी जगह लाकर खड़ा कर लिया है जहां इसके पास कोई विकल्प ही नहीं है।
नितेश राणे ने कहा, 'शिवसेना आज इस स्थिति में है कि उसे जो भी ऑफर किया जाएगा वह उसे स्वीकार कर लेगी। इस बात का कोई मतलब ही नहीं है कि वह सरकार में हिस्सेदारी करते हैं कि नेता विपक्ष बनते हैं। यदि किसी पार्टी का अध्यक्ष खुद नहीं जानता कि पार्टी की स्थिति क्या है, तो ऐसी पार्टी कैसे महाराष्ट्र के लोगों के लिए लड़ सकती है। यदि उन्होंने जल्द ही अपनी पार्टी को पुनर्जीवित नहीं किया तो वह बहुत जल्द ही मजाक बन जाएंगे।'
नितेश राणे के पिता नारायण राणे, जो कि खुद पहले शिवसेना में थे और अब कांग्रेस में हैं, उद्धव ठाकरे के कट्टर विरोधी माने जाते हैं।

Tuesday, November 11, 2014

शिव सेना में अंदरूनी टूटफूट ही एकमात्र सुरक्षित उपाय

शिव सेना ने महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता पद पर दावा पेश करके अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं। इसे बीजेपी से किनारा करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। शिव सेना से हाथ धो लेने के बाद देवेंद्र फडणवीस सरकार कैसे बचेगी, इस बारे में चर्चा जारी है। कांग्रेस, एनसीपी या शिव सेना में अंदरूनी टूटफूट ही एकमात्र सुरक्षित उपाय लगता है। वरना राज्य की बीजेपी सरकार अब पूरी तरह शरद पवार के रहमो-करम पर टिकी दिख रही है।
एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने 'फिलहाल' बीजेपी की सरकार को 'स्थिरता' देने का आश्वासन दिया है। हालांकि, उन्होंने साफ नहीं किया है कि यह समर्थन सीधा होगा, या फिर पिछले दरवाजे से? एनसीपी विश्वासमत को सीधा समर्थन करती है, तो बीजेपी को किसी बाहरी समर्थन की जरूरत नहीं पड़ेगी। अगर एनसीपी मतदान में हिस्सा न लेने का 'पिछला रास्ता' चुनती है, तब भी 3-4 और विधायकों की जरूरत पड़ेगी। निर्दलीय और छोटे दलों के 9 विधायकों का पक्का समर्थन काम आसान बना देगा। पवार ने यह सस्पेंस कायम रखा है कि वे इसमें कौन सा रास्ता चुनेंगे। उन्होंने प्रेस को बताया कि विश्वासमत वाले दिन एनसीपी विधायकों की बैठक में इसका फैसला होगा। हालांकि दोनों ही स्थितियों में बुधवार का टेस्ट उतना मुश्किल नहीं जान पड़ता।
बीजेपी सरकार को एनसीपी की कुछ दिनों की लीज मिली है। पवार के शब्दों में- 'अभी चुनाव नहीं कराना चाहते हैं, इसलिए'। एनसीपी विपक्ष की भूमिका निभाएगी। हर विधेयक पर उसके सदस्य समय के अनुसार फैसला लेंगे। 3 या 5 साल सरकार चलाने का कोई जिम्मा उसके पास नहीं है। एनसीपी का 'बाहरी' समर्थन उनकी स्थिति को मजबूत बनाता है। एनसीपी जब चाहेगी, फडणवीस सरकार के सामने विभिन्न मुद्दों पर मांगें रखेंगी। 'मांग' तो यह नाम भर की होगी, इसे हिदायत या निर्देश कहना शायद ज्यादा मुनासिब होगा। शिव सेना को तो कुछ डिपार्टमेंट देने भर की बात थी। एनसीपी का हस्तक्षेप बढ़ा तो हर डिपार्टमेंट उसकी जद में होगा।
महाराष्ट्र विधानसभा में अध्यक्ष पद का चुनाव होना है। यह गनीमत है कि एनसीपी इसमें अपना उम्मीदवार खड़ा नहीं कर रही। वरना कांग्रेस और नाराज शिव सेना के समर्थन पर वह आसानी से चुन लिया जाता। अगर ऐसा होता है तो अल्पमत फडणवीस सरकार के लिए यह अच्छा संकेत नहीं होगा। एनसीपी ने इस मुद्दे पर भी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। पवार ने कहा कि हम अध्यक्ष पद का उम्मीदवार देखकर फैसला करेंगे।
हालात न बदले तो सत्ता की लगाम एनसीपी के हाथ में होगी। ऊपर से सरकार चलाने की कोई जिम्मेदारी भी नहीं। आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि यह व्यवस्था कुछ दिन चलने के बाद एनसीपी को सरकार में शामिल करना बीजेपी को बेहतर मालूम देने लगे। पवार ने नई सरकार से अपेक्षाओं की पहली लिस्ट प्रेस के सामने बांच दी है। किसानों के पक्ष में फडणवीस सरकार को ये-ये सब करना चाहिए। यह कोई अंतिम लिस्ट नहीं है और न ही अपेक्षा रखने वाले नेताओं की एनसीपी में कोई कमी है। ऐसे में हर कानून बनाने, हर नीति पर विधानमंडल की मुहर लगाने के लिए समर्थन की गुहार लगेगी। बीजेपी ने जो राह चुनी है, आसान नहीं कही जा सकती।
महाराष्ट्र विधानपरिषद के 78 सदस्यों में एनसीपी के सर्वाधिक 28 सदस्य हैं। इस बूते पर उसे परिषद में विपक्ष के नेता पद मिलेगा। कांग्रेस के इस सदन में केवल 21 सदस्य हैं। बीजेपी के 11 और शिव सेना के 6 सदस्य हैं। विधानसभा के अलावा विधानपरिषद में हर विधेयक पारित करने के लिए सरकार को एनसीपी की सहायता लेनी पड़ सकती है। इस तरह बीजेपी सरकार की निर्भरता दोगुनी हो जाती है। जाहिर है एनसीपी का वर्चस्व भी इसी अनुपात में बढ़ता जाएगा।

Sunday, November 9, 2014

अनिल देसाई को आखिरी वक्त पर वापस बुला लिया

शिव सेना और बीजेपी के रिश्तों में रविवार को तनाव इतना बढ़ा कि शिव सेना ने मोदी कैबिनेट में शामिल होने गए अपने नेता अनिल देसाई को आखिरी वक्त पर वापस बुला लिया। शिव सेना इस बात से भी नाराज बताई जा रही है कि बीजेपी ने उसके नेता सुरेश प्रभु को उसकी इच्छा के खिलाफ बीजेपी में शामिल करके कैबिनेट में जगह दे दी। इतनी खटास के बाद भी शिव सेना ने महाराष्ट्र में बीजेपी सरकार को समर्थन करने के लिए नई शर्त रख दी।
देर शाम शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि बीजेपी अगर एनसीपी का समर्थन लेती है तो हम विपक्ष में बैठेंगे। सोमवार से राज्य विधानसभा का तीन दिवसीय विशेष सत्र शुरू हो रहा है। रविवार रात तक शिव सेना इस बारे में साफ-साफ फैसला नहीं कर पाई कि वह विश्वास मत के दौरान बीजेपी सरकार का समर्थन करेगी या सरकार के विरोध में मतदान करके विपक्ष में बैठेगी। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को बुधवार को विधानसभा में बहुमत साबित करना है।
बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, अनिल देसाई को शिव सेना के कोटे से केंद्र में राज्यमंत्री बनाने का फैसला हो चुका था। उनका नाम राष्ट्रपति भवन भी भेज दिया गया था। लेकिन जैसे ही शिव सेना को पता चला कि उसके नेता सुरेश प्रभु को बीजेपी में शामिल करके उन्हें मोदी कैबिनेट में जगह दी गई है, उसने अनिल देसाई को वापस मुंबई बुला लिया। दोपहर तक सुरेश प्रभु को लेकर भी अटकलों का दौर चलता रहा। बाद में साफ हुआ कि उन्होंने बीजेपी की सदस्यता ले ली है और वे बीजेपी के कोटे से कैबिनेट मंत्री बने हैं। उन्होंने सुरेश प्रभु के शिव सेना छोड़ने के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। हालांकि तनातनी के बावजूद शिव सेना ने केंद्र में अपने इकलौते मंत्री अनंत गीते को लेकर अभी कोई फैसला नहीं किया है।

रविवार की शाम उद्धव ठाकरे ने प्रेस कॉन्फेंस में 'अगर-मगर' के साथ ही अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, 'अगर बीजेपी एनसीपी का समर्थन लेगी, तो शिव सेना सरकार का विरोध करेगी। सरकार के विश्वास मत से पहले मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होना है। उसमें पता चल जाएगा कि बीजेपी के साथ एनसीपी है या नहीं। उद्धव ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव सर्वससम्मति से हुआ तो ठीक, वर्ना शिव सेना भी अपना उम्मीदवार उतार सकती है।

Saturday, November 1, 2014

मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के खिलाफ एक शिकायत

पुणे की एक अदालत में महाराष्ट्र के नये मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के खिलाफ शुक्रवार को एक शिकायत दाखिल की गयी है। इसमें आरोप है कि उन्होंने विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान बिना हेलमेट पहने दुपहिया वाहन चलाकर मोटर वाहन अधिनियम का उल्लंघन किया है।
हाल में इसी तरह की एक शिकायत नागपुर में केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी के खिलाफ भी दाखिल की गयी है।फडणवीस के खिलाफ एक स्थानीय संस्था देश बचाओ पार्टी के अध्यक्ष हेमंत पाटिल ने पुणे के शिवाजी नगर में प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्टे्रट के समक्ष मोटर वाहन कानून की धारा 129 और 177 के तहत शिकायत दाखिल की है।
ये धाराएं हेलमेट पहनकर दुपहिया वाहन चलाने से संबंधित हैं और इसमें उल्लंघन पर 100 रूपये के जुर्माने का प्रावधान है। याचिकाकर्ता ने अपनी शिकायत के समर्थन में फडणवीस के बिना हेलमेट पहने दुपहिया वाहन चलाते हुए एक तस्वीर भी पेश की है।