Sunday, November 9, 2014

अनिल देसाई को आखिरी वक्त पर वापस बुला लिया

शिव सेना और बीजेपी के रिश्तों में रविवार को तनाव इतना बढ़ा कि शिव सेना ने मोदी कैबिनेट में शामिल होने गए अपने नेता अनिल देसाई को आखिरी वक्त पर वापस बुला लिया। शिव सेना इस बात से भी नाराज बताई जा रही है कि बीजेपी ने उसके नेता सुरेश प्रभु को उसकी इच्छा के खिलाफ बीजेपी में शामिल करके कैबिनेट में जगह दे दी। इतनी खटास के बाद भी शिव सेना ने महाराष्ट्र में बीजेपी सरकार को समर्थन करने के लिए नई शर्त रख दी।
देर शाम शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि बीजेपी अगर एनसीपी का समर्थन लेती है तो हम विपक्ष में बैठेंगे। सोमवार से राज्य विधानसभा का तीन दिवसीय विशेष सत्र शुरू हो रहा है। रविवार रात तक शिव सेना इस बारे में साफ-साफ फैसला नहीं कर पाई कि वह विश्वास मत के दौरान बीजेपी सरकार का समर्थन करेगी या सरकार के विरोध में मतदान करके विपक्ष में बैठेगी। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को बुधवार को विधानसभा में बहुमत साबित करना है।
बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, अनिल देसाई को शिव सेना के कोटे से केंद्र में राज्यमंत्री बनाने का फैसला हो चुका था। उनका नाम राष्ट्रपति भवन भी भेज दिया गया था। लेकिन जैसे ही शिव सेना को पता चला कि उसके नेता सुरेश प्रभु को बीजेपी में शामिल करके उन्हें मोदी कैबिनेट में जगह दी गई है, उसने अनिल देसाई को वापस मुंबई बुला लिया। दोपहर तक सुरेश प्रभु को लेकर भी अटकलों का दौर चलता रहा। बाद में साफ हुआ कि उन्होंने बीजेपी की सदस्यता ले ली है और वे बीजेपी के कोटे से कैबिनेट मंत्री बने हैं। उन्होंने सुरेश प्रभु के शिव सेना छोड़ने के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। हालांकि तनातनी के बावजूद शिव सेना ने केंद्र में अपने इकलौते मंत्री अनंत गीते को लेकर अभी कोई फैसला नहीं किया है।

रविवार की शाम उद्धव ठाकरे ने प्रेस कॉन्फेंस में 'अगर-मगर' के साथ ही अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, 'अगर बीजेपी एनसीपी का समर्थन लेगी, तो शिव सेना सरकार का विरोध करेगी। सरकार के विश्वास मत से पहले मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होना है। उसमें पता चल जाएगा कि बीजेपी के साथ एनसीपी है या नहीं। उद्धव ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव सर्वससम्मति से हुआ तो ठीक, वर्ना शिव सेना भी अपना उम्मीदवार उतार सकती है।

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