राज्यसभा सांसद और कांग्रेस नेता मुरली देवड़ा का निधन हो गया है। 77 साल के मुरली कैंसर से जूझ
रहे थे। रात करीब साढ़े 3 बजे उन्होंने आखिरी सांस ली। अंतिम दर्शन के लिए उनका
पार्थिव शरीर दोपहर 12 बजे से 2 बजे के बीच मुंबई के कांग्रेस कार्यालय में रखा जाएगा। इसके
बाद 2 से तीन बजे के बीच कांग्रेस दफ्तर से चंदनवाड़ी सोनापुर तक
अंतिम यात्रा निकाली जाएगी और वहीं पर दोपहर तीन बजे उनका अंतिम संस्कार कर दिया
जाएगा।
मुरली देवड़ा के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख प्रकट किया है। पीएम ने पूर्व केंद्रीय मंत्री को एक समर्पित नेता बताया और कहा कि पार्टी लाइन से हटकर वह अन्य नेताओं के बीच भी चर्चित रहे। पीएम ने दिवंगत नेता की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। अभी यह साफ नहीं हो पाया है कि दिवंगत कांग्रेस नेता के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए दिल्ली से कांग्रेस के कौन-कौन से नेता जाएंगे।
मुरली देवड़ा के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख प्रकट किया है। पीएम ने पूर्व केंद्रीय मंत्री को एक समर्पित नेता बताया और कहा कि पार्टी लाइन से हटकर वह अन्य नेताओं के बीच भी चर्चित रहे। पीएम ने दिवंगत नेता की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। अभी यह साफ नहीं हो पाया है कि दिवंगत कांग्रेस नेता के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए दिल्ली से कांग्रेस के कौन-कौन से नेता जाएंगे।
मूल रूप से राजस्थान के सीकर से संबंध रखने वाले मुरली
देवड़ा का जन्म साल 1937 में मुंबई में हुआ था। यहीं से उन्होंने बीए की और समाज सेवा से जुड़ गए। उनके
राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 1968 में पार्षद बनकर हुई। 1977 में वह शिवसेना के समर्थन से मुंबई के मेयर चुने गए।
इसके बाद 1980 में मुरली देवड़ा ने साउथ मुंबई सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा और हार का मुंह देखना पड़ा, मगर इसके बाद हुए चुनावों में उन्होंने जीत हासिल की। 1982 में वह कांग्रेस के टिकट पर महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य बने। 1985, 1989 और 1991 में वह लोकसभा के लिए चुने गए, लेकिन 1996 और 1999 में उन्हें फिर हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद उन्होंने इस सीट से अपने बेटे मिलिंद देवड़ा को उतारा और 2004 में मिलिंद सांसद चुने गए।
गांधी परिवार के करीबी समझने जाने वाले मुरली इसके बाद दो बार राज्यसभा के लिए चुने गए। यूपीए की सरकार में उन्होंने पेट्रोलियम और कॉर्पोरेट अफेयर्स जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाल था।
इसके बाद 1980 में मुरली देवड़ा ने साउथ मुंबई सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा और हार का मुंह देखना पड़ा, मगर इसके बाद हुए चुनावों में उन्होंने जीत हासिल की। 1982 में वह कांग्रेस के टिकट पर महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य बने। 1985, 1989 और 1991 में वह लोकसभा के लिए चुने गए, लेकिन 1996 और 1999 में उन्हें फिर हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद उन्होंने इस सीट से अपने बेटे मिलिंद देवड़ा को उतारा और 2004 में मिलिंद सांसद चुने गए।
गांधी परिवार के करीबी समझने जाने वाले मुरली इसके बाद दो बार राज्यसभा के लिए चुने गए। यूपीए की सरकार में उन्होंने पेट्रोलियम और कॉर्पोरेट अफेयर्स जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाल था।
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