Tuesday, December 31, 2013

साकीनाका जंक्शन में जब्त- केटामाइन ड्रग्स

दो दिन पहले साकीनाका जंक्शन में जब्त की गई सात करोड़ रुपये कीमत की केटामाइन ड्रग्स की कहानी जलगांव से जुड़ी हुई है। साकीनाका में जब्त ड्रग्स केस में इंस्पेक्टर सतीश रावराणे और अब्दुल रऊफ ने तीन लोगों को गिरफ़्तार किया , जबकि जलगांव केस में डीआरआई ने छह लोगों को। जलगांव केस का मास्टरमाइंड विकास पुरी है। पुरी के साथ इस केस में जिन लोगों को अरेस्ट किया गया था, उनमें से एक वरुण तिवारी भी है, जबकि साकीनाका में जिन लोगों को पकड़ा गया, उनमें एक राम शिरोमणि पांडे है।
विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि पांडे और तिवारी दोनों एक दूसरे को काफी समय से जानते हैं। संयोग से दोनों पेशे से ड्राइवर हैं। पांडे मुंबई में डाक विभाग में ड्राइवर है और शिवडी में कार्यरत हैं, जबकि तिवारी विकास पुरी का ड्राइवर है। एम टेक की डिग्री लिए पुरी की जलगांव में एक बड़ी कंपनी हैं। पांडे ने जांच अधिकारियों को बताया कि उसकी तिवारी से कुछ साल पहले पवई के पोस्ट ऑफिस में मुलाकात हुई थी।
यह संयोग नहीं है कि विकास पुरी भी मूल रूप से पवई के रहने वाले हैं, भले ही उनकी कंपनी जलगांव में हों। पर यहां बड़ा सवाल यह है कि तिवारी जब डाक विभाग में नौकरी नहीं करता, तो वह पवई पोस्ट ऑफिस तब क्यों गया था ? और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह कि जब पांडे की पोस्टिंग पवई में नहीं, शिवडी में थी, तो वह भी पवई क्यों गया था ? इसलिए मुंबई में जांच अधिकारी इस बात की छानबीन कर रहे हैं कि डाक पार्सल के जरिए तो कहीं ड्रग्स की सप्लाई नहीं हो रही थी।

Monday, December 30, 2013

आदर्श न्यायिक आयोग की रिपोर्ट महाराष्ट्र सरकार की वेबसाइट पर जारी की जानी चाहिए

आदर्श न्यायिक आयोग की रिपोर्ट महाराष्ट्र सरकार की वेबसाइट पर जारी की जानी चाहिए और इसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए। यह मांग आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने की है। उन्होंने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि राज्य सरकार ने इस रिपोर्ट का मराठी और हिंदी में अनुवाद भी नहीं कराया है जबकि महाराष्ट्र विधानसभा नियमों के अनुसार ऐसा किया जाना अनिवार्य है।
गलगली ने मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण और सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव (सेवा) भगवान सहाय को लिखा है कि महाराष्ट्र विधानसभा के नियमों के अनुसार हर रिपोर्ट सदन में पेश किए जाने के पहले अंग्रेजी और हिंदी में तैयार की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि मुंबई आतंकवादी हमले के संबंध में राम प्रधान समिति की रिपोर्ट भी दोनों भाषाओं में तैयार की गई थी, लेकिन सरकार ने अब इस नियम की अनदेखी की है।

Friday, December 27, 2013

कार्रवाई नहीं -आंदोलन शुरु

अन्ना हजारे ने गुरुवार को सीएम पृथ्वीराज चव्हाण से ग्राम सभाओं को मजबूत करने और अधिकारियों के स्थानांतरण समेत अन्य विषयों पर कानूनों को उचित तरीके से लागू करने का आग्रह करते हुए चेतावनी दी कि अगर कार्रवाई नहीं की गई तो वे आंदोलन शुरु करेंगे। हजारे ने कहा, 'समाज के हर स्तर पर व्यापक भ्रष्टाचार के कारण आम आदमी का जीना दूभर हो गया है।
राज्य की जनता ने 'जन आंदोलन' के जरिए सरकार पर ग्राम सभा को सशक्त करने, आधिकारिक जिम्मेदारी निभाने में देरी, अधिकारियों का तबादला और नागरिक संहिता पर कानून लागू करने के लिए दबाव बनाया था।' अन्ना ने सीएम को लिखे पत्र में लिखा है कि अच्छे कानून होने के बावजूद उनका क्रियान्वयन नहीं होना दुखद है।
वहीं एक अन्य खबर के मुताबिक सीएम पृथ्वीराज चव्हाण शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गांधी और अन्य वरिष्ठ नेताओं के सामने अपनी सरकार के कामकाज पर 'प्रस्तुति' देंगे। इससे पहले कांग्रेस आलाकमान ने कांग्रेस नीत राज्यों की सरकारों के कामकाज की समीक्षा का फैसला किया था।
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चव्हाण पार्टी नेतृत्व को महंगाई, विदर्भ में पिछले सत्र के सूखे और फिर बाढ़ जैसे विषयों से निबटने की अपनी सरकार की स्थिति के बारे में बताएंगे। उन्होंने कहा कि चुनावी नजरिये से ये मुद्दे महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं।

Monday, December 23, 2013

विरोधियों पर किए गए तीखे कटाक्ष। मोदी के भाषणों का मुख्य आकर्षण बनकर उभरे

प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद से नरेंद्र मोदी के भाषणों के मुद्दे, बोलने का अंदाज और भाव-भंगिमा, इन सभी में फर्क साफ नजर आने लगा है। अटल बिहारी वाजपेई की शैली में लिए गए 'पाज'। आरोह-अवरोह के उतार-चढ़ाव, जनता से सीधे संवाद की शैली और विरोधियों पर किए गए तीखे कटाक्ष। मोदी के भाषणों का मुख्य आकर्षण बनकर उभरे हैं।
मोदी के वक्तृत्व कौशल में सबसे बड़ी सुधार विषय-वस्तु के संयोजन में देखा जा सकता है। वे पहले से कहीं संयत भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं। हर बार की तरह उनके प्रतिद्वंद्वी राहुल गांधी उनके निशाने पर हैं पर 'युवराज' का संबोधन तो दूर वाराणसी और अब मुंबई की रैलियों में वे उनका सीधा उल्लेख तक टालते दिखाई दिए हैं। 'कांग्रेस के एक बड़े नेता' के नए संबोधन में थोड़ा सा आदरभाव दिखाई देता है। हालांकि ये अदब ज्यादा देर नहीं ठहरता। 'दिल्ली में उपदेश देता है', 'बोलता एक है, करता दूसरा है'- वे 'आप' की तरफ जाने की बजाए 'तुम' से भी निचली दहलीज की बेतक्कलुफी पर उतर आते हैं। कम से कम तालियां तो यही साबित करती हैं, जनता को यह अच्छा लगता है।
हर बार की तरह मोदी ने मराठी में मुंबई के लोगों का अभिवादन कर रैली की शुरुआत की। कुछ वाक्य बिलकुल साफ-सुथरी मराठी में बोलने के बाद वे राष्ट्रभाषा हिंदी की तरह मुड़ जाते हैं। महाराष्ट्र की बड़ी हस्तियों को याद करते हैं और 1950 से पहले महाराष्ट्र और गुजरात एक ही राज्य का हिस्सा होने की दलील देते हैं। ध्यान रखते हैं कि दोनों राज्यों के गठन के समय की राजनीतिक तल्खी मामले को कहीं बिगाड़ न दे। पुराने संयुक्त राज्य को उसके वास्तविक 'बॉम्बे स्टेट' के नाम से पुकारने की बजाए उसे 'बृहद महाराष्ट्र्' का नया नाम देना पसंद करते हैं। महाराष्ट्र को गुजरात का बड़ा भाई बताना नहीं चूकते। 24 घंटे बिजली वाले गुजरात की तुलना 'अंधियारे' महाराष्ट्र से करते हैं। सिंचाई घोटाले से लेकर आदर्श घोटाले तक की मिसाल देते हैं।
हर बार इस दुर्दशा के लिए यहां का राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराने की सावधानी बरतते चलते हैं। तुलना में गुजरात कहीं बड़ा दिखाई देता है, वे जब यह कहते हैं, 'लेकिन भाइयो-बहनो... जब गुजरात अलग हुआ तब चर्चा होती थी कि राज्य प्रगति कैसे करेगा। पानी नहीं है, प्राकृतिक संपदा नहीं है, उद्योग नहीं हैं और इतना रेगिस्तान है और उधर पाकिस्तान है। लेकिन, अलग होने के बाद भी गुजरात ने विकास की ऊंचाइयों को छुआ है। इससे पहले भारी संख्या में जुटे भाषाई वर्ग को संभालते हुए मुंबई को गुजराती भाषा का मायका बताते हुए एक नया रिश्ता जोड़ चुके होते हैं।
भूमिका बांधते हुए कहते हैं कि 'कुछ लोगों के पेट में दर्द होता है, इसलिए आज गुजरात के बारे में नहीं बोलूंगा'। इसके बाद मध्य प्रदेश को 'बीमारू' राज्य से उबारने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चव्हाण की स्तुति करने लगते हैं। एमपी और छत्तीसगढ़ ने देश के अन्न भंडार भर दिए हैं, कहते हुए दोनों बीजेपी शासित प्रदेशों की गौरव बखान करते हैं। इसके बाद किसानों का आत्महत्या जैसे महाराष्ट्र के मसलों को जोड़ते ही विचार प्रवाह फिर गुजरात की ओर लौटने लगता है। तुलनात्मक अध्ययन का नया दौर शुरू हो जाता है। वे कहते हैं, गुजरात में 14 मुख्यमंत्री बने लेकिन यहां 26 मुख्यमंत्री बने। सोचिए यहां की राजनीति के तौर-तरीके कैसे होंगे। एक आता है तो दूसरा भगाने में लग जाता है। हमारे गुजरात और महाराष्ट्र में सीमा के दोनों तरफ चेक पोस्ट हैं। दोनों के रेट बराबर हैं। लेकिन महाराष्ट्र के बजाय गुजरात के चेकपोस्ट में टेक्नॉलजी की मदद से काम होता। गुजरात की इनकम अपने चेकपोस्ट से 1470 करोड़ है जबकि महाराष्ट्र की 437 करोड़। महाराष्ट्र सरकार बताए कि 1033 करोड़ रुपये कहां चले जाते हैं?
मोदी की चाय की दुकान की पृष्ठभूमि का मुद्दा जब से सपा नेता नरेश अग्रवाल ने उठाया है, तब से गंगा में काफी पानी बह चुका है। पटना रैली के पास चायवालों को बांटकर स्थानीय बीजेपी ने इस मुद्दा बना डाला। इसी सप्ताह वाराणसी की रैली में मोदी खुद मंच से गरजे- 'चाय बेची है, देश नहीं बेचा है'। मुंबई रैली में 10 हजार चायवालों को VIP पास दिए जाने का उल्लेख करते हुए मोदी बोले, अब चायवाले VIP बन गए हैं। समय बदल रहा है, अब देश का हर गरीब VIP होगा'। मोदी एक छोटे से वर्ग को नई व्यापकता प्रदान कर चुके होते हैं। 'बेराजगार घूमता नौजवान' और उसकी नौकरी की राह ताकती 'बूढ़ी गरीब मां' -ऐसे पात्र हैं जिनके बिना मोदी का कोई भाषण पूरा नहीं होता। इन्हीं दोनों को समाहित करते हुए मोदी गुजरात में सिफारिश और घूस को दरकिनार करने वाली नई नियुक्ति तकनीक बताते हैं। वे कहते हैं- '30 हजार टीचर्स की भर्ती के लिए हमने इंटरव्यू नहीं लिया। हमने राज्य के युवाओं से अपनी जानकारी कंप्यूटर में फीड करने के लिए कहा। हमने युवाओं से उनके मार्क्स और क्वॉलिफिकेशन के बारे में पूछा। जिसकी क्वॉलिफिकेशन सबसे ज्यादा थी, कंप्यूटर की मदद से उन्हें चुना और उन्हें ऑफर लेटर भेज दिया।'
कांग्रेस पार्टी को वे देश की हर समस्या की जड़ बताते हैं। वे कहते हैं, कांग्रेस पार्टी का चरित्र जब तक हम नहीं समझेंगे, देश की समस्याओं का समाधान नहीं सूझेगा। देश की समस्याओं का कारण देश की जनता नहीं है। हमारी समस्याओं की वजह है कांग्रेस शासित सरकारें। इसलिए हमें कांग्रेस मुक्त भारत का सपना साकार करना होगा। साथ ही यह भी आरोप लगाते हैं कि कांग्रेस वोट बैंक की राजनीति में डूब कर समाज को तोड़ने और बांटने में जुटी हुई है। अंग्रेजों से लड़ते-लड़ते कांग्रेस ने डिवाइड ऐंड रूल की पॉलिसी अपना ली है। नदियों के लिए लड़ाया जा रहा है लोगों को। पानी के बंटवारे को लेकर कई सालों से लड़ाई लड़ रहे हैं लोग और केंद्र में बैठी सरकार को भाई को भाई से लड़ाने में आनंद आ रहा है। देश को वोट बैंक की राजनीति से उबारना होगा, तभी देश समस्याओं से मुक्त होगा। ठोस तर्क भी देते हैं और लोग सहमति में सिर हिलाते दिखाई देते हैं। वे जनता से पूछते हैं देश का काला धन कहां है। जवाब गूंजता है तो हलकी मुस्कान के साथ कहते हैं, जब देश का बच्चा-बच्चा जानता है, तो कांग्रेस क्यों कार्रवाई नहीं करती। कांग्रेसियों का काला पैसा स्विस बैंक में है, यह तर्क गले उतर जाता है।
 
वोट बैंक की राजनीति पर प्रहार करते समय वे वोटों के लिए मुस्लिमों को ठगाने का आरोप लगाते हैं। वे कहते हैं- कांग्रेस ने 90 जिले ऐसे चुने थे, जहां पर मुस्लिम ज्यादा हैं। ऐलान किया कि इन जिलों के विकास के लिए अलग बजट का प्रावधान किया जाएगा। हिंदुस्तान के मुस्लिम भाइयों को लगने लगा कि चलो अब कुछ भला होगा। अभी पार्ल्यामेंट में किसी ने पूछा कि आपने जो योजना घोषित की थी, उसमें आपने क्या खर्च किया। आपको यकीन नहीं होगा कि सरकार ने जवाब दिया है कि 3 साल में एक रुपया खर्च नहीं हुआ है।
 


Friday, December 20, 2013

अशोक चव्हाण पर मुकदमा चलाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया

महाराष्ट्र के राज्यपाल के शंकरनारायणन ने आदर्श हाउसिंग मामले में सीबीआई को राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण पर मुकदमा चलाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। इससे एजेंसी के पास उनके खिलाफ मामला बंद करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है। घोटाला सामने आने के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले चव्हाण उन 12 आरोपियों में से है जिनके खिलाफ एजेंसी ने इस मामले में आरोपपत्र दाखिल किया।
पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोपपत्र में खुद को शामिल किए जाने को चुनौती देते हुए कहा था कि मुकदमे के लिए राज्यपाल से अनुमति नहीं ली गई। जबकि, सीबीआई ने जवाब में कहा कि आरोपपत्र दाखिल करने के समय वह पूर्व मंत्री थे, इसलिए अनुमति की जरूरत ही नहीं थी।
हालांकि, अदालत ने एजेंसी को मामला चलाने की अनुमति नहीं दी थी। बाद में सीबीआई मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास गयी लेकिन अनुमति नहीं मिली। यहां तक कि इस संबंध में एजेंसी ने विस्तृत रिपोर्ट भी पेश की थी।

Tuesday, December 17, 2013

अंजलि दमानिया और बीजेपी नेता नितिन गडकरी के बीच छिड़ा वाकयुद्ध

आम आदमी पार्टी की अंजलि दमानिया और बीजेपी नेता नितिन गडकरी के बीच छिड़ा वाकयुद्ध 2014 के लोकसभा चुनावों में एक नया रूप ले सकता है। अंजलि दमानिया ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया है कि वह नागपुर से नितिन गडकरी के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। हालांकि, गडकरी ने अभी नागपुर से चुनाव लड़ने की आधिकारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन बीजेपी के सूत्रों के मुताबिक वह नागपुर से ही खड़े होंगे।
दमानिया ने कहा, 'मेरी पार्टी मुझे कुछ समय से नितिन गडकरी के खिलाफ खड़ा होने के लिए कह रही थी लेकिन मैं पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते इससे बच रही थी। लेकिन शुक्रवार को हमारी राज्य कार्यकारिणी की बैठक हुई और मैंने इसके लिए सहमति दे दी।' अब दमानिया को नागपुर लोकसभा सीट से 'आप' का कैंडिडेट घोषित किए जाने की औपचारिकता मात्र रह गई है। उन्होंने बताया, '22 और 23 दिसंबर को औरंगाबाद में हमारी जिला समिति की बैठक होगी, जिसमें इस पर चर्चा की जाएगी। उसके बाद, अधिक से अधिक 8 दिन में पार्टी द्वारा इसकी आधिकारिक घोषणा कर दी जाएगी।'

गडकरी नई दिल्ली में थे और उन्होंने इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की। उनके सहायक सुधीर देउलगांवकर ने कहा कि इस पर गडकरी कोई प्रतिक्रिया नहीं देंगे। उन्होंने बताया, 'गडकरी नागपुर से बीजेपी के उम्मीदवार हैं और उम्मीदवार ऐसी चीजों पर प्रतिक्रिया नहीं देते। जरूरत पड़ने पर पार्टी की स्थानीय युनिट इसपर जवाब देगी।'
एक स्थानीय नेता को चुनौती देने के परिणाम के बारे में पूछने पर दमानिया ने कहा कि वह इस चुनाव में एक संदेश देना चाहती हैं जो जीतने से ज्यादा जरूरी है। दमानिया ने कहा, 'यहां हमारा उद्देश्य गडकरी को चैलेंज देना और यह संदेश देना है कि हम हर जगह भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ेंगे। हम चाहते हैं कि अगर नागपुर के लोगों को लगता है कि मैं सही हूं तो नागपुर के लोग इस लड़ाई में हमारे लिए कैंपेनिंग करें।'
दिल्ली में आम आदमी पार्टी को मिले ठोस जनमत के बाद उसे कम नहीं आंका जा सकता। नागपुर के मौजूदा एम पी विलास मुत्तेवार किसी भी उम्मीदवार को हल्के में नहीं ले रहे। उन्होंने कहा, 'हालांकि इसपर कुछ कहना जल्दबाजी होगी, मैं सिर्फ इतना कहूंगा कि चुनाव के दौरान हम हर परिस्थिति के लिए तैयार रहेंगे और किसी भी पार्टी के उम्मीदवारों को हल्के में नहीं लेंगे।'
अंजलि दमानिया महाराष्ट्र से ही हैं और पेशे से पैथॉलजिस्ट हैं। उन्होंने 2011 में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने के लिए इंडिया अगेन्स्ट करप्शन जॉइन किया था। उन्होंने महाराष्ट्र में सिंचाई घोटाले का खुलासा किया था।
सितंबर 2012 में दमानिया ने नैशनल टीवी पर कहा था कि जब उन्होंने तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी से सिंचाई घोटाले पर मदद मांगी तो गडकरी ने उन्हें फटकारा। अक्टूबर 2012 में दमानिया ने मीडिया को बताया कि गडकरी ने अपने राजनीतिक संपर्कों का नाजायज फायदा उठाते हुए कृषियोग्य जमीन को अपनी कंपनी पूर्ति पावर ऐंड शुगर लिमिटेड के लिए हथिया लिया था।
इसके बाद 2007 में दमानिया द्वारा खुद को किसान बताकर खरीदे गए 36 प्लॉटों पर भी सवाल उठे और उनसे वे सभी प्लॉट वापस ले लिए गए।

Monday, December 9, 2013

आगे वाली सीट पर बैठे यात्री ने जोगेंद्र की गरदन पर चाकू रखकर उसे टैक्सी को सड़क किनारे लगाने को कहा

पिछले काफी महीनों से दादर, बांद्रा और अंधेरी से लेकर घाटकोपर, कुर्ला और विक्रोली जैसे भीड़ वाले रेलवे स्टेशनों से सवारी उठाने वाले टैक्सी चालक इन दिनों टैक्सी चोर गिरोह से परेशान हैं। टैक्सी चालकों की मानें तो भीड़ वाले स्टेशनों से यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए टैक्सी स्टैंड में टैक्सी चालक और ऑटोरिक्शा चालक यात्रियों का इंतजार करते हैं।
इस दौरान ऑटोरिक्शा और टैक्सी चोर गिरोह के लोग यात्री बनकर आते हैं और गंतव्य पर पहुंचने से पहले ही उनके साथ लूटपाट, मारपीट और जान से मारने की धमकी देकर टैक्सी व ऑटो सहित मोबाइल, नकदी और लाइसेंस लेकर फरार हो जाते हैं। दादर रेलवे स्टेशन टैक्सी चालक संगठन से जुड़े एक सदस्य ने बताया कि पुलिस में शिकायतें दर्ज करवाने के बाद भी टैक्सी व ऑटो चालकों को उनकी गाड़ियां नहीं मिलती हैं। संगठन की मानें तो अधिकतर टैक्सी चालक महिला यात्री के झांसे में फंसकर सब कुछ गवां बैठते हैं।
शुक्रवार की रात टैक्सी लूटने वाले गिरोह का शिकार बने लालबाग निवासी जोगेंद्र जैसवार ने बताया कि रात साढ़े नौ बजे वह दादर स्टेशन के बाहर यात्रियों का इंतजार कर रहा था। इस दौरान एक पुरुष और एक महिला आए और उन्होंने जोगेंद्र को कल्याण चलने को कहा। दूर का भाड़ा पाने के लालच में जोगेंद्र महिला को ले जाने को तैयार हो गया। इस दौरान महिला के दो और जान पहचान वाले वहां पहुंच गए और सभी लोग टैक्सी में बैठ गए।
जोगेंद्र के मुताबिक, सभी लोगों को बिठाकर जैसे ही वह कल्याण से आगे मोहिनी बीट चौकी के पास पहुंचा, अचानक आगे वाली सीट पर बैठे यात्री ने जोगेंद्र की गरदन पर चाकू रखकर उसे टैक्सी को सड़क किनारे लगाने को कहा। इसके बाद चाकू की नोंक पर उसे टैक्सी से उतारने के बाद टैक्सी की पिछली सीट पर बैठे दो लोगों ने उसका हाथ पकड़ा और महिला यात्री ने चाकू से उसकीबनियान फाड़ डाली।
इस दौरान एक व्यक्ति ने बनियान के टुकड़े से उसका हाथ बांधा, जबकि महिला ने बचे हुए टुकड़े को जोगेंद्र के मुंह में ठूंस दिया, ताकि वह बोल न पाए। इसके बाद महिला ने जोगेंद्र की पैंट से गाड़ी की चाबी, लाइसेंस, नकदी और मोबाइल लेने के बाद उसे सड़क किनारे धक्का मार दिया। फिर लुटेरे वहां से टैक्सी में बैठकर फरार हो गए। करीब एक बजे रात में किसी तरह हाथ खोलने के बाद जोगेंद्र टिटवाला पुलिस स्टेशन पहुंचा।
जांच अधिकारी एस. के. कदम के मुताबिक, जोगेंद्र के बयान के आधार पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। जांच टीम दादर स्टेशन के बाहर लगे सीसीटीवी फुटेज को भी खंगाल रही है।
 

Thursday, December 5, 2013

बीएमसी का दस्ता दल-बल के साथ बीआईटी चाल पहुंचा

ताडवाडी, मझगांव की बीआईटी चाल की चार इमारतों की बिजली और पानी मंगलवार को बीएमसी ने काट दी। कार्रवाई के दौरान स्थानीय निवासियों ने डटकर विरोध किया। उनका समर्थन स्थानीय नेताओं ने भी किया। किंतु बीएमसी और पुलिस के सामने उनकी एक नहीं चली। चार इमारतों में कुल 320 परिवार रहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें हटाने का आदेश दिया है। 
मंगलवार को बीएमसी का दस्ता दल-बल के साथ बीआईटी चाल पहुंचा। इसकी भनक जैसे ही लोगों का लगी सभी लोग नीचे आ गए। शिवसेना के नेता व पूर्व नगरसेवक यशवंत जाधव व अन्य लोग भी पहुंच गए। लोग बीएमसी की कार्रवाई का विरोध करने लगे, लेकिन पहले से तैनात पुलिस के सामने विरोधकों की एक न चली। बीएमसी दस्ते ने पानी और बिजली कनेक्टशन काट दिए। 
ताडवाडी में बीआईटी चालें हैं। इनमें बिल्डिंग नंबर 13, 14, 15 और 16 जर्जर हो चुकी हैं। इन बिल्डिंगों को बीएमसी ने रहने के अयोग्य घोषित कर दिया है और सी-1 की श्रेणी में डाल दिया है। इन बिल्डिंगों में रहने वालों को बीएमसी ने ट्रांजिट कैंप और माहुल में घर मुहैया कराए हैं, लेकिन लोग वहां पर जाने के लिए तैयार नहीं है। लोगों का कहना है कि ट्रांजिट कैंप का घर बहुत ही छोटा है जबकि माहुल का मकान बहुत दूर है। 
सभी लोगों को रहने के लिए पर्याप्त व्यवस्था की गई है, फिर भी लोग यहां से जाने के लिए तैयार नहीं है। बिल्डिंग खतरनाक हो चुकी और सुप्रीम कोर्ट ने भी इन इमारतों को खाली कराने का आदेश दिया है, इसलिए पहले दौर में इन इमारतों की बिजली और पानी का कनेक्शन काटा है।