नवी मुंबई के बिल्डर
सुनील कुमार की हत्या की जांच के लिए मुंबई क्राइम ब्रांच ने गुरुवार को एसआईटी का
गठन किया है। हालांकि नवी मुंबई पुलिस ने तीन लोगों को इस केस में अब तक गिरफ्तार
किया है, पर चूंकि नवी मुंबई पुलिस पर यह आरोप लग रहा था
कि वह इस केस में कुछ बड़े लोगों को बचा रही है, इस कारण
से बुधवार को राज्य सरकार ने इस हत्याकांड की जांच मुंबई क्राइम ब्रांच को
ट्रांसफर कर दी। केस ट्रांसफर होने की एक वजह लाल बत्ती की एक गाड़ी भी बताई जा रही है।
बिल्डर सुनील कुमार की हत्या के वक्त की सीसीटीवी कैमरे में दर्ज रिकॉर्डिंग की
विस्तृत जांच में पाया गया कि हत्या के ठीक उसी समय सड़क पर एक लालबत्ती वाली कार
घटनास्थल से रुक-रुक कर गुजर रही थी। उस वक्त करीब एक दर्जन लोग इकट्ठा हो गए थे,
पर लालबत्ती वाली वह कार बिना रुके चली गई। सुनील कुमार के बेटे
ने उस लालबत्ती वाली कार की जांच कराने की मांग भी गृह मंत्री आर. आर. पाटील से की
थी।
Thursday, February 21, 2013
Sunday, February 17, 2013
'परप्रांतीय'
राज ठाकरे की पार्टी
एमएनएस के कार्यकर्ताओं ने शनिवार को मुलुंड में चल रही इनकम टैक्स भर्ती परीक्षा
हंगामा करके रोक दी। हंगामा करने वालों का आरोप था कि स्टेनो पद के लिए परीक्षा
देने वाले सभी कैंडिडेट 'परप्रांतीय' हैं।
मुलुंड के महानगरपालिका कार्यालय में शनिवार को इनकम टैक्स में स्टेनो पद की भर्ती की परीक्षा रखी गई थी। इन परीक्षाओं में जानबूझकर मराठी युवकों को वंचित रखा जा रहा है, यह दावा करते हुए एमएनएस कार्यकर्ताओं ने भीतर घुसकर हंगामा कर दिया। एमएनएस सूत्रों के अनुसार, स्थानीय विभागाध्यक्ष सत्यवान दलवी को खबर लगी कि भर्ती में भाग लेने वालों में एक भी मराठी कैंडिडेट नहीं है। वह कार्यकर्ताओं के साथ म्यूनिसिपल ऑफिस पहुंच गए। उन्होंने एग्जाम कंट्रोलर से मिलकर इस बात पर कड़ा विरोध दर्ज कराया।
मुलुंड के महानगरपालिका कार्यालय में शनिवार को इनकम टैक्स में स्टेनो पद की भर्ती की परीक्षा रखी गई थी। इन परीक्षाओं में जानबूझकर मराठी युवकों को वंचित रखा जा रहा है, यह दावा करते हुए एमएनएस कार्यकर्ताओं ने भीतर घुसकर हंगामा कर दिया। एमएनएस सूत्रों के अनुसार, स्थानीय विभागाध्यक्ष सत्यवान दलवी को खबर लगी कि भर्ती में भाग लेने वालों में एक भी मराठी कैंडिडेट नहीं है। वह कार्यकर्ताओं के साथ म्यूनिसिपल ऑफिस पहुंच गए। उन्होंने एग्जाम कंट्रोलर से मिलकर इस बात पर कड़ा विरोध दर्ज कराया।
Monday, February 4, 2013
सप्लाईमें आई कमी की वजह से प्याज के दाम नहीं बढ़े
महाराष्ट्र सरकार के अधिकारियों की राय बन रही कि सप्लाईमें आई कमी की वजह से प्याज के दाम नहीं बढ़े हैं। बल्किइसके पीछे व्यापारियों की ' प्राइज फिक्सिंग ' और 'मुनाफाखोरी ' काम कर रही है। इससे निपटने के लिए आगामी28 फरवरी से शुरू हो रही रबी खरीद में सरकारी संगठन 'नाफेड ' की मार्फत प्याज खरीदने की योजना पर विचार चलरहा है।
आवक में मामूली गिरावट : सरकारी स्तर पर आकलन से यहपता चला है कि फरवरी की शुरुआत में प्याज की आवक मेंकेवल तीन प्रतिशत कमी है। इसकी तुलना में प्याज के थोक भाव में 150 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है।इस बात पर खेद व्यक्त किया किया जा रहा है कि इतने दाम बढ़ने पर किसानों के पल्ले लगभग कुछ भी नहींआएगा। पहले किसानों से औने - पौने दाम पर प्याज खरीद चुके व्यापारियों ने दाम बढ़ाने के लिए स्टॉक दबारखे हैं। अब बढ़े दामों पर भारी मुनाफा पीटकर खरीददारों को निशाना बनाया जा रहा है।
राजनीतिक हस्तक्षेप भी समस्या है : इस मामले में राजनीतिक हस्तक्षेप सबसे बड़ी समस्या बनकर सामने आईहै। नाशिक और आसपास के प्याज व्यापारी अब गन्ना किसानों की तरह आक्रामक हो गए हैं। कुछ वर्षों पहले ,केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार पर सड़े हुए प्याज फेंककर किसानों ने नाराजगी व्यक्त की थी। इसके बाद प्याज केएक्सपोर्ट की अनुमति देकर गोदामों में सड़ रहा हजारों टन प्याज बचाया जा सका।
लासलगांव में लगी है आग : प्याज के व्यापार की राजधानी माने जानेवाले नाशिक के लासलगाव में पिछलीजनवरी में 355 रुपये क्विंटल में प्याज बिक रहा था। इस वर्ष जनवरी में यह दाम बढ़कर 2,235 रुपये पर पहुंचगया है। जबकि जयपुर और आगरा जैसी दूसरी प्याज मंडियों में इस तरह से दाम नहीं बढ़े हैं।
आवक में मामूली गिरावट : सरकारी स्तर पर आकलन से यहपता चला है कि फरवरी की शुरुआत में प्याज की आवक मेंकेवल तीन प्रतिशत कमी है। इसकी तुलना में प्याज के थोक भाव में 150 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है।इस बात पर खेद व्यक्त किया किया जा रहा है कि इतने दाम बढ़ने पर किसानों के पल्ले लगभग कुछ भी नहींआएगा। पहले किसानों से औने - पौने दाम पर प्याज खरीद चुके व्यापारियों ने दाम बढ़ाने के लिए स्टॉक दबारखे हैं। अब बढ़े दामों पर भारी मुनाफा पीटकर खरीददारों को निशाना बनाया जा रहा है।
राजनीतिक हस्तक्षेप भी समस्या है : इस मामले में राजनीतिक हस्तक्षेप सबसे बड़ी समस्या बनकर सामने आईहै। नाशिक और आसपास के प्याज व्यापारी अब गन्ना किसानों की तरह आक्रामक हो गए हैं। कुछ वर्षों पहले ,केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार पर सड़े हुए प्याज फेंककर किसानों ने नाराजगी व्यक्त की थी। इसके बाद प्याज केएक्सपोर्ट की अनुमति देकर गोदामों में सड़ रहा हजारों टन प्याज बचाया जा सका।
लासलगांव में लगी है आग : प्याज के व्यापार की राजधानी माने जानेवाले नाशिक के लासलगाव में पिछलीजनवरी में 355 रुपये क्विंटल में प्याज बिक रहा था। इस वर्ष जनवरी में यह दाम बढ़कर 2,235 रुपये पर पहुंचगया है। जबकि जयपुर और आगरा जैसी दूसरी प्याज मंडियों में इस तरह से दाम नहीं बढ़े हैं।
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