Monday, June 28, 2010

मुलाकात में कोई राजनीति नहीं

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने एमएनएस के अध्यक्ष राज ठाकरे के साथ हुई अपनी बैठक को ज्यादा महत्व नहीं देते हुए कहा कि इस मुलाकात में कोई राजनीति नहीं है। चव्हाण ने कहा कि हाई कोर्ट द्वारा बेहतरीन पांच योजना को खारिज किए जाने के बाद उत्पन्न स्थिति से कानूनी तौर पर निपटने के बारे में विभिन्न राजनीतिक दलों की अपनी राय है। मैंने सभी की राय सुनने का निर्णय किया है। इसमें कोई राजनीति नहीं है। कांगेस सांसद संजय निरूपम ने कहा कि उन्हें बैठक में कुछ भी गलत नजर नहीं आता। यह लाखों छात्रों की शैक्षणिक जीवन से जुड़ा मामला है। राज ठाकरे ने शनिवार को मुख्यमंत्री के निवास 'वर्षा' पर चव्हाण के साथ बैठक हुई थी। एमएनएस प्रमुख ने दसवीं कक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले लाखों छात्रों का भविष्य हाई कोर्ट के निर्णय के कारण अधर में लटक गया है। हाई कोर्ट ने 11वीं कक्षा में दाखिले के लिए सरकार बेहतरीन पांच प्रणाली योजना को पक्षपातपूर्ण करार देते हुए खारिज कर दिया है।

Thursday, June 24, 2010

बिहार में नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए महाराष्ट्र में कांग्रेस ने अभी से तैयारी शुरू कर दी

बिहार में नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए महाराष्ट्र में कांग्रेस ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है। महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले बिहार के लाखों लोगों को रिझाने और कांग्रेस की ओर मोड़ने की मुहिम के तहत महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष माणिकराव ठाकरे ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए मुंबई में बाकायदा एक विशेष कमिटी बनाई है। इस चुनाव कमिटी का गठन गांधी भवन, नरीमन पॉइंट स्थित पार्टी कार्यालय में महाराष्ट्र कांग्रेस अल्पसंख्यक सेल द्वारा आयोजित बैठक में किया गया, जिसमें मूलत: बिहार के रहने वाले कांग्रेसियों ने भारी संख्या में भाग लिया। अल्पसंख्यक सेल के अध्यक्ष हुसैन दलवई तथा उपाध्यक्ष फारूक आजम ने मतदाताओं में विश्वास जगाने के लिए महाराष्ट्र के कांग्रेस नेता मुकुल वासनिक को बिहार के चुनाव का प्रभारी बनाने की सोनिया गांधी की पहल का स्वागत किया। माणिकराव ठाकरे ने किसान सेल के उपाध्यक्ष एवं बिहार प्रवासी संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. बलवंत शास्त्री के सुझाव को स्वीकार करते हुए घोषणा की कि महाराष्ट्र से कम से कम पांच लोगों को बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का टिकट देने का पार्टी हाईकमान से आग्रह करेंगे। महाराष्ट्र कांग्रेस महासचिव महादेव शेलार को विशेष चुनाव कमिटी का संयोजक बनाया गया है जबकि इसके सात सदस्य होंगे फारूक आजम, मौलाना बुनई नईम हसनी, डॉ. बलवंत शास्त्री, रेणु राय, अली खान, अब्दुल वहीद मुखिया और सुशांत पाठक। इन्हें महाराष्ट्र के बिहारी बहुल जिलों का दौरा कर कांग्रेस के पक्ष में जनमत तैयार की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

Tuesday, June 22, 2010

बीजेपी ने शिवसेना के प्रति कड़ा रुख अपनाने का निर्णय

औरंगाबाद मनपा में शिवसेना द्वारा बीजेपी सदस्यों के साथ मारपीट की घटना के बाद से युति में भारी तनाव व्याप्त है। इस सिलसिले में बीजेपी ने शिवसेना के प्रति कड़ा रुख अपनाने का निर्णय किया है। बीजेपी ने अगले दो-तीन दिनों में राज्य कार्यकारिणी की बैठक करके शिवसेना को विधिवत चेतावनी देने का मन बना लिया है। इस बार शिवसेना को स्पष्ट रूप से यह कह दिया जाएगा कि मारपीट और दंगल करना हो तो युति बरकरार रखने में बीजेपी को रुचि नहीं है। इससे पहले भी कई मौकों पर शिवसेना से नाता तोड़ने की कगार पर बीजेपी पहुंची थी, पर हर बार इसके राजनीतिक फायदे-नुकसान की याद दिलाने पर वह नरमाने पर मजबूर होती रही है। इस बार बीजेपी के शीर्ष नेताओं का रवैया अलग है। इसके पीछे गणित यह है कि फिलहाल कोई चुनाव नहीं है अत: बीजेपी कड़ा रुख अपना सकती है। एकनाथ खडसे ने इस बयान के साथ बीजेपी का रुख साफ कर दिया है कि 'वह अब मार नहीं खाएगी'। पिछले शनिवार को औरंगाबाद मनपा की स्थायी समिति के अध्यक्ष पद को लेकर हुए बवाल के दौरान शिवसेना के सदस्यों ने बीजेपी के जिलाध्यक्ष बसराव मंगरूले को पीटा। कांग्रेस और निर्दलियों की मदद से बीजेपी के राजू शिंदे स्थायी समिति के अध्यक्ष चुने गये। इसके विरोध में शिवसेना ने बवाल मचाया था। बीजेपी द्वारा निर्देश के बावजूद राजू शिंदे ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है। अत: शिवसेना तमतमा गई है। अब यह कह कर बीजेपी शिंदे का बचाव करने वाली है कि उसकी स्थानीय इकाई इस मसले पर निर्णय करेगी। पार्टी ने बहुत पहले यह निर्णय किया है कि स्थानीय मामलों के निर्णय स्थानीय इकाई ही करेगी। बीजेपी द्वारा शिवसेना को यह संकेत दिया जाएगा कि शिवसेना की दादागिरी उसे निर्णय बदलने पर मजबूर नहीं कर सकती, वह चाहे तो औरंगाबाद में बीजेपी से युति तोड़ दे। इसका मतलब होगा कि शिंदे इस्तीफा नहीं देंगे।

Thursday, June 17, 2010

6 जून को कुर्ला से 8 साल की नुसरत खुर्शीद आलम शेख गायब

6 जून को कुर्ला से 8 साल की नुसरत खुर्शीद आलम शेख गायब हो गई थी। 11 दिन बाद भी उसे ढूंढ पाने में नाकाम रही पुलिस के पास अपने बचाव के लिए शायद कई बहाने हों, लेकिन विभाग के खाते में नाकामियों की (महज गुमशुदा बच्चियों के मामले में) एंट्री इतनी ज्यादा है कि आम आदमी की रूह कांप जाए। एनबीटी द्वारा मुंबई पुलिस से हासिल जानकारी के मुताबिक, शहर में हर साल करीब 1,800 लड़कियां (18 वर्ष से कम) गुम हो जाती हैं। इनमें से 15-20 प्रतिशत को पुलिस कभी ढूंढ नहीं पाती (देखें टेबल)। गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाने के बाद बच्चियों के मां-बाप हर रोज पुलिस स्टेशन का चक्कर लगाते हैं, इस आस में कि शायद उनकी लाड़ली का कोई सुराग पुलिस को मिला हो...और महीनों चक्कर लगाकर वे समझ जाते हैं कि अब पुलिस नहीं, उनके जिगर के टुकड़े को भगवान ही ढूंढ सकता है। एनबीटी को मिली जानकारी के अनुसार, इन बच्चियों में से अधिकतर देह व्यापार गिरोह के हत्थे चढ़ जाती हैं तो कुछ ऑर्गन ट्रांसप्लांट का अवैध कारोबार करनेवालों के हाथों। छोटी बच्चियों को भिखारी गिरोह भी बरगलाकर ले जाते हैं। लड़कियों के बैकग्राउंड की पड़ताल किए जाने पर पता चला है कि इनमें से अधिकतर स्लम्स से हैं खासकर ऐसे परिवारों से जो बाहर से आकर यहां बसे हैं। लापता लड़कियों में से कुछ मां-बाप से लड़कर तो कुछ विकट परिस्थितियों से घबराकर घर से चली गईं। वहीं कुछ को पहचानवालों-कम-दलालों ने लालच देकर उठा लिया गया। एडिशनल कमिश्नर ऑफ पुलिस (क्राइम ब्रांच) देवेन भारती का तर्क है कि कुछ अपने बॉयफ्रेंड्स के साथ भाग जाती हैं तो कुछ को नौकरी का लालच देकर भगाया जाता है। और नेहरूनगर की नुसरत जैसी कमउम्र लड़कियां? भारती इन केसों को 'रेयर' करार देते हैं। भारती ने स्वीकारा कि इनमें से अधिकतर भिक्षावृत्ति और देह व्यापार के धंधे में पहुंचा दी जाती हैं। बकौल भारती 'कई लड़कियां हमने रेड लाइट एरिया से ट्रेस की हैं। अंगों के अवैध कारोबार में भी इनके इस्तेमाल की जानकारी मिली है, लेकिन ऐसा वयस्कों के साथ ज्यादा होता है।' रेड लाइट एरिया से छुड़वाई गई लड़कियों के लिए काम करनेवाले एनजीओ 'प्रेरणा' की प्रमुख प्रीति पाटकर कहती हैं, 'जो आंकड़े पुलिस के पास हैं, वे हकीकत से काफी कम हैं। मुंबई, पुणे और ठाणे को छोड़ दें, तो बाकी शहरों में पुलिस वही टका सा जवाब देती है-'बॉयफ्रेंड के साथ भाग गई होगी।' यानी मामला गंभीर है। और पुलिस के पास इन बच्चियों को खोजने के अलावा भी कई काम हैं। तो क्या इन बच्चियों और उनके घरवालों की सिसकियां कोई नहीं सुनेगा?

Tuesday, June 15, 2010

'साहेब' मराठी हृदयसम्राट

मनसे प्रमुख राज ठाकरे के 43वें जन्मदिन पर पार्टी कार्यकर्ताओं ने बीएमसी की इमारत के आकार वाला केक उन्हें भेंट दिया और आगामी चुनाव के लिए उन्हें शुभकामनाएं दीं। जन्मदिन की बधाईयां देने के लिए राज के समर्थकों ने पूरी मुंबई में मौके की जगहों पर बड़े-बड़े पोस्टर और होर्डिंग्स लगाए हैं जिन पर उनके लिए 'साहेब' लिखा गया है। महाराष्ट्र में यह संबोधन सामान्यत: बाल ठाकरे और शरद पवार के लिए इस्तेमाल होता है। हर लिहाज से बाल ठाकरे के वारिस लगने वाले राज को उनके समर्थक अब साहेब बनाने में जुट गये हैं। मराठी हृदयसम्राट तो उन्हें पहले ही बता दिया गया है। मनसे के कार्यालय में महाराजा की कुर्सी जैसी एक कुर्सी है, जिस पर राज बैठते नहीं है पर वह वहां है। यह कुर्सी बाल ठाकरे की कुर्सी जैसी दिखती है। बहरहाल मनसे कार्यकर्ताओं ने सोमवार को राज को जो केक भेंट दिया उस पर पार्टी का झंडा लगा हुआ था। वह बीएमसी के अगले वर्ष होने वाले चुनाव के मद्देनजर दिया गया। दो साल बाद होने वाले इस चुनाव में शिवसेना-बीजेपी का शासन उलटने की राज की मंशा को इस केक में विंबिंत किया गया है। वह महाराष्ट्र नवनिर्माण चित्रपट सेना की ओर से दिया गया। इसके अध्यक्ष अमेय खोपकर ने कहा, 'हम चाहते हैं कि मनसे बीएमसी के चुनाव जीते और हमारी इच्छा है कि पार्टी के अधिक से अधिक पार्षद चुनकर आयें।' मध्य मुंबई में शिवाजी पार्क क्षेत्र स्थित राज के आवास पर कई पार्टी कार्यकर्ता उन्हें जन्मदिन की शुभकामना देने पहुंचे। सफेद कुर्ते पजामे में मौजूद मनसे नेता ने सभी का शुक्रिया अदा किया। इस मौके पर राज ने पार्टी नेता अरविंद गावडे की पहल पर निर्मित तीन एंबुलेंसों और आहार वितरित करने वाले वाहनों को हरी झंडी दिखायी। कार्यक्रम में मनसे नेता शिशिर शिंदे, बाला नांदगांवकर और राम कदम भी मौजूद थे।

Wednesday, June 9, 2010

34 वर्षीय सुष्मिता ने अकरम के साथ अपने रोमांस और शादी की योजना संबंधी अफवाहों को खारिज कर दिया

बॉलिवुड ऐक्ट्रेस सुष्मिता सेन ने पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर वसीम अकरम के साथ अपने संबंधों को
लेकर लगाई जा रही अटकलों पर विराम लगा दिया है। उन्होंने कहा कि वह पाकिस्तानी क्रिकेटर से शादी करने नहीं जा रही हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि पूर्व मिस यूनिवर्स और अकरम के बीच करीब दो साल पहले एक टेलिविजन चैनल पर रिऐलिटी शो की मेजबानी करने के बाद नजदीकियां बढ़ गई हैं। अकरम कोलकाता नाइटराइडर्स के गेंदबाजी कोच हैं और अभी भारत में ही हैं। हालांकि, पिछले साल अक्टूबर में अकरम की पत्नी हुमा की मृत्यु हो जाने के बाद यह भी खबरें उड़ीं कि उनका रोमांस और मजबूत हो गया है और दोनों शादी कर सकते हैं। हाल में दोनों को कथित तौर पर एक साथ देखा गया था और उन्होंने एक साथ शाम बिताई थी। 34 वर्षीय सुष्मिता ने अकरम के साथ अपने रोमांस और शादी की योजना संबंधी अफवाहों को खारिज कर दिया है। एक प्रचार कार्यक्रम में हिस्सा लेने आईं सुष्मिता ने यहां कहा, 'यह सच नहीं है। मैं शादी करने नहीं जा रही हूं। वसीम बेहद अच्छे इंसान हैं। भगवान उनका भला करे।' सुष्मिता अपने काम से ज्यादा अपने निजी जीवन की वजह से लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचती रही हैं। लेकिन उन्होंने हाल में ही कहा था कि वह अकेली हैं। उन्होंने उन खबरों का खंडन किया था कि वह 'दूल्हा मिल गया' फिल्म के निर्देशक मुदस्सर अजीज के साथ संबंध विच्छेद के बाद अपने पूर्व प्रेमी मानव मेनन के पास लौट गई हैं।

Sunday, June 6, 2010

दसवीं कक्षा के छात्रों को 8 जून को परीक्षा के नतीजे

दसवीं कक्षा के छात्रों को 8 जून को परीक्षा के नतीजे बताने के लिये मुंबई विभागीय राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) इस साल विशेष पहल करने जा रही है। यह पार्टी मुंबई के सभी 36 विधानसभा क्षेत्रों में 36 साइबर सेवा मुफ्त में मुहैया कराने जा रही है जहां दसवीं कक्षा के छात्र मार्च में लिए गए परीक्षा के नतीजे जान सकते हैं। इस सुविधा को मुहैया कराने वाले मुंबई एनसीपी के अध्यक्ष नरेंद्र वर्मा ने बताया कि अब तक 28 से 30 साइबर सेंटर वालों से उनकी बातचीत हो चुकी है और एक-दो दिनों में सभी 36 केंद्रों पर यह सुविधा मुहैया करा दी जाएगी। जिस दिन दसवीं कक्षा के नतीजे निकलेंगे उस दिन सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे तक छात्र एनसीपी द्वारा मुहैया कराए गये साइबर सेंटर पर नतीजे देख सकते हैं। छात्रों की मदद के लिए प्रत्येक साइबर सेंटर पर एनसीपी के तालुका अध्यक्ष व अन्य पदाधिकारी उपलब्ध होंगे। साथ ही एक एसईओ भी होगा जो छात्रों को साइबर सेंटर से दिए गए सीट पर हस्ताक्षर करने के साथ साथ स्टैंप व मुहर लगाएंगे जिससे छात्रों को 11वीं कक्षा में प्रवेश लेने के लिए दरबदर भटकना नहीं पड़े।

Thursday, June 3, 2010

अब उपयोगकर्ता को एक हजार रुपये की जगह पांच हजार रुपये चुकाने पड़ेंगे।

भाईंदर की जैसलपार्क चौपाटी पर अब किसी प्रकार का धार्मिक, सांस्कृतिक व अन्य आयोज न करना पहले से पांच गुना महंगा पड़ेगा। इसके लिए अब उपयोगकर्ता को एक हजार रुपये की जगह पांच हजार रुपये चुकाने पड़ेंगे। इसके अलावा डिपॉजिट मनी भी पांच हजार रुपये से बढ़ाकर दस हजार रुपये कर दी गई है। यह फैसला मीरा-भाईंदर मनपा की स्थायी समिति की बैठक में लिया गया है। हालांकि, समिति के सदस्य तथा बीजेपी नगरसेवक मदन सिंह ने फैसले पर विरोध जताते हुए कहा कि किराया बढ़ने से उक्त क्षेत्र में होने वाले धार्मिक, सांस्कृतिक आयोजनों में कमी आएगी। इसके अलावा किराया वसूली का अधिकार मनपा प्रशासन को नहीं, बल्कि जिलाधिकारी को है। ऐसे में, यह वसूली अवैध मानी जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि किराया बढ़ाने संबंधी प्रस्ताव मनपा प्रशासन द्वारा रखा गया, जिसे बीजेपी, शिवसेना के विरोध के बावजूद सत्ताधारी कांग्रेस, एनसीपी व एमएनएस ने बहुमत के आधार पर पारित करा दिया। सिंह ने विरोध जताते हुए प्रस्ताव को निरस्त करने की मांग की है। उनकी दलील है कि पहले ही तमाम नये कर थोपे गये हैं, साथ ही कई करों में वृद्धि भी की गई है। उनके मुताबिक नागरिक टैक्स देते हैं, तो उन्हें सुविधाएं देना मनपा प्रशासन की जिम्मेदारी है। शिवसेना के प्रवीण पाटील एवं बीजेपी की वर्षा भानुशाली ने भी सिंह का समर्थन किया है।

Tuesday, June 1, 2010

फिर से बहुजन विकास आघाड़ी

वसई-विरार महानगरपालिका के पहले चुनाव में वोटरों ने एक बार फिर से बहुजन विकास आघाड़ी के प्रति अपना विश्वास जताते हुए मनपा की कमान उसे सौंप दी है। पिछले विधानसभा चुनाव में बविआ के उम्मीदवार के खिलाफ सभी विरोधी दलों ने साझा उम्मीदवार मैदान में उतार कर उसे करारी मात दी थी और इसे ठाकुर साम्राज्य के पतन की शुरुआत बताया था। मगर इस हार के बावजूद बविआ के मुखिया हितेंद्र ठाकुर हताश नहीं हुए। उन्होंने तब कहा था कि जल्दी ही यहां के वोटरों को यह अहसास हो जाएगा कि उन्होंने गलत फैसला किया है। मनपा के चुनाव परिणाम ने उनके इस विश्वास को सही साबित कर दिया है। असल में विधानसभा का चुनाव जीतने के बाद नये विधायक विवेक पंडित के कारनामों ने वसई को भले ही देश भर में चर्चित कर दिया हो, मगर स्थानीय लोगों में इससे नाराजगी ही पैदा हुयी। 53 गावों को मनपा से अलग कराने की अपनी मांग पर जोर डालने के लिए उनके द्वारा किये गये आंदोलन की वजह से गांव के लोगों को परेशानी झेलनी पड़ी। वैसे भी विधानसभा चुनाव के जन आंदोलन समिति का जिस तरह गठन हुआ था, वह अधिक समय तक चलने वाला नहीं था, क्योंकि इसके घटकों कहीं कोई मेल नहीं था। विस चुनाव के तुरंत बाद ही इस गठबंधन में बिखराव आने लगा था। मनपा चुनाव में यह खुल कर सामने आ गया। इस चुनाव में एक ही वार्ड बविआ के खिलाफ जहां जआंस का प्रत्याशी खड़ा था, वहीं उसके घटक दल का उम्मीदवार भी मैदान में था। जैसे एक वार्ड अगर जआंस का उम्मीदवार है तो, वहीं से शिवसेना का, या बीजेपी का, या कांग्रेस का, या मनसे का उम्मीदवार भी मैदान में था। जबकि विस चुनाव में ये सभी दल जआंस के साथ थे। इस बिखराव का फायदा भी बविआ को मिला। इस चुनाव परिणाम पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए द वॉयस आफ पिपल्स के अध्यक्ष मेल्विन सिक्वेरा ने कहा कि वसई का बहुत बड़ा क्षेत्र गांवों में बसता है। वहां से काफी लोग नौकरी करने मुंबई आते हैं और इसके लिए उन्हें पहले बस का लंबा सफर तय कर वसई रोड स्टेशन आना पड़ता है। कई इलाके ऐसे हैं जहां दिन में एक बार बस आती है और एक बार ही वापस आती है। विवेक पंडित के आंदोलन की वजह से इन बसों का आना-जाना ठप हो गया, जिसकी वजह से लोग अपने काम पर नहीं जा सके। ऐसा एक नहीं, दो-तीन बार हुआ। इससे उन गांवों के लोग भी परेशान हुए जिन्होंने उन्हें वोट दे कर विधानसभा में भेजा था।