Monday, November 30, 2009

पथराव करके, दुकानें और टैक्सी में तोड़फोड़ करके मराठी भाषा के प्रति प्यार का निर्माण नहीं किया जा सकता। -स्मिता ठाकरे

स्थानीय लोगों को अपमानित करनेवाले अबू आजमी हों या विधानसभा मे हंगामा करनेवाली पार्टी हो... दोनों दोषी हैं। यह कहना है शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे की बहु स्मिता ठाकरे का। स्मिता ठाकरे ने मराठी के दैनिक अखबार 'लोकसत्ता' में लेख लिखकर अप्रयत्क्ष तरीके से राज ठाकरे और उनकी पार्टी एमएनएस पर निशाना साधा है। स्मिता ठाकरे ने कहा- पथराव करके, दुकानें और टैक्सी में तोड़फोड़ करके मराठी भाषा के प्रति प्यार का निर्माण नहीं किया जा सकता। उसके लिए प्यार से समझाना चाहिए। कोई भी भाषा एक दूसरे को विचारों से जोड़ने की शक्ति है। भाषा विभाजन का काम नहीं करती। लेकिन आज राजनेता क्या कर रहे है? भाषा की आड़ में हिंसाचार को बढ़ावा दे रहे हैं। अपने इस आर्टिकल में उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी भाषा का जोरदार समर्थन किया। उन्होंने कहा- मैं मराठी हूं, लेकिन हिंदी और अंग्रजी भाषा से भी मैं उतना ही प्यार करती हूं। मराठी के पु. ल. देशपांडे मुझे जितने प्यारे है, उतने ही हिंदी के प्रेमचंद भी। तो क्या मैं बागी बन जाती हूं? मेरी मराठी थोडी अलग है। ऑफिस और मिटिंग में मैं हिंदी और अंग्रेजी का इस्तेमाल करती हूं। लेकिन मैं मराठी में ही सोचती हूं।
ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में अच्छी एजुकेशन, अच्छी तनख्वाह और प्रतिष्ठा पानी है तो अंग्रेजी सीखना जरूरी है। हम खुद को सीमित क्यों करे? मातृभाषा की जिद करेंगे, तो आर्थिक प्रगति नहीं होगी। अंग्रेजी ज्ञान के बिना मल्टिनैशनल कंपनियों में मौका नहीं मिलेगा। रिसर्च, कम्प्यूटर और इंटरनेट के क्षेत्र में आप कुछ भी नहीं कर सकते मेरे विचार शायद आप को चौका दें। लेकिन आज मैं एक शिवसैनिक नहीं बल्कि एक देश की नागरिक, एक मां और मराठी का अभिमान रखनेवाली महिला के रूप में अपने विचार व्यक्त कर रही हूं।

Friday, November 27, 2009

अशोक कामटे की पत्नी विनीता द्वारा लगाये गये आरोपों पर स्पष्टीकरण नहीं देता तो वह इस्तीफा दे देंगे

मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रान्च के प्रमुख राकेश मारिया ने कहा है कि यदि गृह मंत्रालय उनके खिलाफ शहीद अशोक कामटे की पत्नी विनीता द्वारा लगाये गये आरोपों पर स्पष्टीकरण नहीं देता तो वह इस्तीफा दे देंगे, इस पर विनीता ने शुक्रवार को कहा कि वह अपनी किताब में लिखे प्रत्येक शब्द पर अडिग हैं। विनीता ने पुणे से फोन पर कहा- किताब में लिखी सामग्री के बारे में किसी के भी द्वारा उठाये गए सवालों का सामना करने के लिए मैं तैयार हूं। मैं प्रत्येक शब्द पर अडिग हूं। पिछले साल आतंकी हमलों के दौरान शहीद हुए आईपीएस अधिकारी कामटे की विधवा ने कहा- किताब सूचना के अधिकार कानून के तहत मुंबई पुलिस द्वारा दिये गए तथ्यों पर आधारित है। मारिया द्वारा अशोक को कामा अस्पताल भेजने का निर्देश देने से इनकार करने की विनीता ने अपनी किताब में आलोचना की है। कामटे इसी जगह आतंकवादियों की गोली का शिकार हुए थे।
खबरों के मुताबिक मारिया ने राज्य के गृह मंत्री आर.आर. पाटिल को कल एक पत्र लिखकर कहा कि यदि सरकार उनके खिलाफ लगे आरोपों पर कोई स्पष्टीकरण नहीं देती या उन्हें नहीं देने देती तो वह इस्तीफा दे देंगे। मारिया से इस बाबत प्रतिक्रिया नहीं ली जा सकी। विनीता ने कहा कि पहले वह किताब नहीं लिखना चाहती थीं लेकिन 26 नवंबर की रात के घटनाक्रम को जानने की उनकी इच्छा ने ऐसा कराया।

Wednesday, November 25, 2009

गृह मंत्री पी. चिंदबरम की भरपूर कोशिश के बावजूद 'तटीय सुरक्षा' अभी भी बड़ा 'मुद्दा' बनी हुई है।

मुंबई हमले के एक साल में केंद्र सरकार ने आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। लेकिन तटीय सुरक्षा का अहम सवाल अभी भी अपनी जगह कायम है। तटीय सुरक्षा के लिए 2005 में बनी योजना पर अमल की गति अभी भी धीमी है। इस योजना में राज्य सरकारों की अहम भूमिका है। लेकिन आपसी तालमेल में कमी के कारण उम्मीद के मुताबिक काम नहीं हो पाया है। 26 नवंबर 08 के हमले के बाद जो पहला काम प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने किया था वह था गृह मंत्री बदलने का। हमले के चार दिन बाद 30 नवंबर को शिवराज पाटिल को हटाकर पी. चिदंबरम गृह मंत्री बनाए गए थे। साल भर में चिदंबरम को भले ही मनचाही सफलता नहीं मिली हो लेकिन उन्होंने देश को अपने होने का अहसास तो कराया है। पहले दिन से राज्यों के सतत संपर्क में चल रहे चिदंबरम ने सबसे ज्यादा महत्व खुफिया सूचनाओं को एकत्र किए जाने और उन्हें आपस में बांटने को दिया। उन्होंने राज्यों के मुख्यमंत्रियों और मुख्य सचिवों तथा पुलिस महानिदेशकों से सीधी बात की। साथ ही यह संदेश दिया कि केंद्र सरकार अब वास्तव में आतंकवाद से लड़ना चाहती है। मल्टी एजेंसी सेंटर: खुफिया सूचनाओं के सतत प्रवाह के लिए सरकार ने सबसे पहले 'मल्टी एजेंसी सेंटर' स्थापित किया। 24 घंटे और सातों दिन सक्रिय रहने वाले इस सेंटर का मुख्य दायित्व था सभी सुरक्षा एजेंसियों और राज्य सरकारों के साथ सूचनाओं का आदान प्रदान करना। अन्य एजेंसियों से भी कहा गया कि वे अपनी सूचनाएं मल्टी एजेंसी सेंटर तक पहुंचाएं। दिल्ली में मुख्यालय के साथ देश के 30 प्रमुख स्थानों पर इस सेंटर की शाखाएं खोली गईं। साथ ही राज्यों की खुफिया शाखाओं को भी सक्रिय किया गया है। इतना कहा जा सकता है कि इस समय पिछले साल की तुलना में खुफिया सूचनाओं के मामले में बेहतर तालमेल है। एनएसजी हब: मुंबई हमले के समय एनएसजी के कमांडो मुंबई देर से पहुंचे थे। देर की वजह क्या थी, यह एक अलग मुद्दा है, लेकिन उससे इतना अवश्य हुआ कि सरकार को यह समझ में आ गया कि एनएसजी को सिर्फ दिल्ली में ही केंदित करके नहीं रखा जाना चाहिए। इसी वजह से अब तक हैदराबाद, चेन्नै, बेंगलुरु और मुंबई में एनएसजी के केंद खोले जा चुके है। इन चारों केंद्रों में 250-250 कमांडो तैनात किए गए हैं। सरकार का यह भी दावा है कि अब किसी अनहोनी की स्थिति में एनएसजी तत्काल मौके पर पहुंचेगी। एनआईए: मुंबई हमले के बाद सरकार ने जो सबसे बड़ा काम किया वह था राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) का गठन। हालांकि यह एजेंसी मुंबई हमले की जांच नहीं कर रही है पर नकली नोट और आतंकवाद से जुड़े अन्य मामलों की जांच का जिम्मा उसे सौंपा गया है। इनमें चर्चित हेडली-राणा मामला भी इसी एजेंसी के पास है। गैर कानूनी गतिविधि निरोधक कानून: पोटा खत्म कर चुकी केंद्र सरकार ने हमले के बाद सभी विपक्षी दलों को इस नए कानून के लिए राजी कर लिया। इसी के चलते गैरकानूनी गतिविधि निरोधक कानून संसद में सर्वसम्मति से पारित हुआ था। केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल: इस हमले के बाद केंद्र सरकार ने केंदीय अर्द्धसैनिक बलों को और मजबूत करने व इन बलों की संख्या बढ़ाने का ऐलान किया है। सीआरपीएफ और सीआईएसएफ में नई भर्तियां की जा रही है। सीआरपीएफ की 38 नई बटैलियन गठित करने का भी ऐलान किया है। सरकार पुलिस सुधारों पर भी जोर दे रही है। तटीय सुरक्षा: हालांकि 26 नवंबर के हमले के बाद सरकार लगातार तटीय सुरक्षा को मजबूत करने का दावा कर रही है। लेकिन इस क्षेत्र में अभी तक वांछित सफलता नहीं मिली है। केंद्र सरकार 2005 में शुरू की गई तटीय सुरक्षा योजना के अमल पर जोर दे रही है। तटवर्ती राज्यों को आधुनिक गश्ती नौकाएं देने, तटीय थाने और पुलिस चौकियां खोलने, मछुआरों को पहचान पत्र देने और नावों का रजिस्ट्रेशन कराने का काम बेहद धीमी गति से चल रहा है। गृह मंत्रालय के तमाम प्रयासों के बाद भी राज्यों के साथ बेहतर तालमेल नहीं बन पा रहा है। हालांकि सरकार का दावा है कि इस हमले के बाद तटीय सुरक्षा के लिए एक नई योजना तैयार की जा रही है। लेकिन यह सच है कि तटीय सुरक्षा के मामलों में घोषित ज्यादातर उपायों पर किसी न किसी स्तर पर विचार विमर्श ही चल रहा है। गृह मंत्रालय से अलग कैबिनेट सचिवालय ने भी कोस्टल सिक्युरिटी के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया था। करीब 16 हजार करोड़ के इस प्रस्ताव में तटीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कई अहम सुझाव दिए गए थे। लेकिन अभी तक यह प्रस्ताव 'विचार' के स्तर पर ही अटका है। सच्चाई यह है कि गृह मंत्री पी. चिंदबरम की भरपूर कोशिश के बावजूद 'तटीय सुरक्षा' अभी भी बड़ा 'मुद्दा' बनी हुई है।

Monday, November 23, 2009

मामले की जांच जल्द से जल्द पूरी करके दोषियों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए।

भारतीय पत्रकार विकास परिषद ने आईबीएन लोकमत के ऑफिस पर शिवसैनिकों द्वारा किए गए हमले का विरोध किया है। मुम्बई अध्यक्ष आनंद मिश्र ने कहा शिवसेना के तालिबानी हुकूमत के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले आईबीएन लोकमत के सम्पादक निखिल वागले और उनके जैसे निडर पत्रकार बधाई के हकदार हैं। मामले की जांच जल्द से जल्द पूरी करके दोषियों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए। मीडिया न्यूज सर्विस (एमएनएस) के प्रधान संपादक सुनील शर्मा ने इस हमले को लोकतंत्र के लिए घातक बताया और मांग की कि इस तरह के हमले करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने में गंभीरता दिखाते हुए सरकार को यह साबित करना चाहिए कि वह ऐसी ताकतों के दवाब में नहीं आती है। उत्तर भारतीय सभा (ठाणे शहर) के अध्यक्ष सुभाष चौहान, सामाजिक न्याय मोर्चा-मुंबई के अध्यक्ष डॉ. बाबूलाल सिंह, उत्तर भारतीय संघ-मुलुण्ड के अध्यक्ष विजय सिंह, उत्तर भारतीय संगम के अध्यक्ष रमाशंकर तिवारी, महानगरी मित्र मंडल मुलुण्ड के कार्याध्यक्ष डॉ. आर. एम. पाल ने भी इस हमले की निंदा की। साथ ही लोकतंत्र को कलंकित करने वाली पार्टियों एमएनएस, शिवसेना आदि पर पाबंदी लगाने की मांग की।

Sunday, November 22, 2009

रेलवे भर्ती बोर्ड की परीक्षाएं स्थानीय भाषाओं में भी देने की छूट होनी चाहिए, जिसे ममता ने मान भी लिया

मराठी मानुस के नाम पर भावनाएं भड़काकर वोटों की फसल काटने की जो अंधी दौड़ एमएनएस और शिवसेना के बीच चल रही है, उसमें अब महाराष्ट्र के कांग्रेसी मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण भी उतर गए लगते हैं। चव्हाण ने भी मराठी कार्ड फेंकते हुए शनिवार को रेलवे मंत्री ममता बनर्जी से आग्रह किया कि राज्य में रेलवे की नौकरियों में ज्यादा तादाद में मराठी लोगों की नियुक्तियां की जाएं। नवनिर्वाचित सीएम ने इसके अलावा रेलवे से यह मांग भी कि रेलवे भर्ती बोर्ड की परीक्षाएं स्थानीय भाषाओं में भी देने की छूट होनी चाहिए, जिसे ममता ने मान भी लिया है। शनिवार को ही एनसीपी नेता और राज्य के उपमुख्यमंत्री छगन भुजबल ने भी मराठी कार्ड खेलते हुए देश के महानतम क्रिकेटर सचिन तेंडुलकर को राजनीति में घसीट लिया। भुजबल ने रेलवे से मांग की कि नागपुर लाइन पर चलने वाली दुरांतो एक्सप्रेस का नाम सचिन तेंडुलकर के नाम पर किया जाए।
इससे पहले शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे ने पार्टी मुखपत्र सामना में अपने एक लेख में सचिन की आलोचना करते हुए कहा था कि वह क्रिकेट की पिच को छोड़कर राजनीति की पिच में कूद गए हैं। ठाकरे की यह टिप्पणी सचिन के इस बयान पर आई थी कि मुंबई भारत से संबंध रखती है। मैं एक मराठी हूं, मुझे इस पर बेहद गर्व है, लेकिन पहले मैं एक भारतीय हूं। इस बीच महाराष्ट्र में होने वाली रेलवे की परीक्षाओं के दौरान एमएनएस द्वारा उत्तर भारतीय छात्रों को निशाना बनाए जाने की घटनाओं के संदर्भ में रेलवे मंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को ऐलान किया कि रेलवे की परीक्षाएं अब हिंदी और अंग्रेजी के साथ-साथ क्षेत्रीय भाषाओं में भी होंगी। उन्होंने यहां पत्रकारों से कहा कि महाराष्ट्र में रेलवे की परीक्षा मराठी में और अन्य राज्यों में वहां की क्षेत्रीय भाषाओं में आयोजित की जाएंगी। मौजूदा नीति की समीक्षा के बाद यह निर्णय लिया गया है। अब हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू के अलावा क्षेत्रीय भाषाओं में भी परीक्षाएं होंगी।

Monday, November 16, 2009

सचिन को लिखी ठाकरे की इस चिट्ठी का सार कुछ यूं है...

मराठी का अभिमान तुमने जताया, मगर मुंबई के बारे मे तुम जो चिकी सिंगल लेने गए, उस वजह से मराठी मनों की पिच पर तुम रन आउट हो गए हो। मुंबई के लिए जब मराठियों ने आंदोलन किया था तब तुम्हारा जन्म भी नहीं हुआ था। 105 मराठी लोगों ने मुंबई के लिए अपनी जान गंवाई है। ...तो ये मुंबई बाहर वालों की कैसे हो सकती है? ...और तुम्हे इस विषय मे बोलने की क्या जरूरत थी...तुम इंटरनैशनल क्रिकेट की पिच को संभालो। मुंबई भले देश की फाइनेंशियल कैपिटल होगी, मगर पहले वह महाराष्ट्र की राजधानी है। यह बात याद रखो...सचिन, तुम्हारे चौकों-छक्कों पर लोग चिअर करते हैं....मगर मराठी मानुष के बारे में चौके-छक्के मत मारो। यह हम सह नहीं सकेंगे। ...क्रिकेट में जो कमाया है, वह राजनीति की पिच पर गंवाना नहीं। यह हमारी सलाह है। गौरतलब है कि सचिन ने रविवार को क्रिकेट में अपने 20 साल पूरे किए हैं। इस मौके पर एक कार्यक्रम में जब उनसे मराठी मानुष के मुद्दे पर पूछा गया तो उन्होंने यह बात कही थी।

Sunday, November 15, 2009

किसी से क्लीन चिट लेने की जरूरत नहीं है।

संदिग्ध आतंकवादी डेविड कॉलमेन हेडली से संबंधों के सिलसिले में सुरक्षा एजंसियों ने राहुल भट्ट को अभी क्लीन चिट नहीं दी है। इस पर राहुल के पिता महेश भट्ट ने दुख जताते हुए कहा है कि मेरे बेटे को किसी से क्लीन चिट लेने की जरूरत नहीं है। फिल्मकार महेश भट्ट ने कहा कि मैंने ऐसी खबरें पढ़ी हैं, जिनमें कहा गया है कि सुरक्षा एजंसियों ने हेडली से संबंध के सिलसिले में राहुल को क्लीन चिट नहीं दी है। इससे मुझे बहुत दुख पहुंचा है। वह एक सच्चा और जिम्मेदार भारतीय है जिसने खुद एजंसियों को सब कुछ बता दिया जो उसे पता था। राहुल दिल का साफ है और उसे किसी से क्लीन चिट लेने की कोई जरूरत नहीं है। महेश भट्ट ने सुरक्षा एजंसियों पर भी आरोप लगाया है कि वे अपनी बात पर कायम नहीं रहे और कुछ खास सूचना मीडिया में जाहिर कर दी।
भट्ट ने कहा कि मुझे खामोश रहने के लिए कहा गया था। लेकिन देखिए अब क्या हो रहा है। मैं बात पर कायम रहा और देखिए सुरक्षा एजंसियां क्या कर रही हैं। भट्ट ने कहा कि जांच एजंसियां राहुल की पहचान के बारे में तब तक कुछ नहीं जानती थीं जब तक राहुल ने खुद अपनी मर्जी से उन्हें सूचना नहीं दी। उन्होंने कहा कि मेरा बेटा ही था जिसने मुंबई के जॉइंट पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया से सम्पर्क किया और वह जानकारी उनके साथ साझा की जो उसके पास थी। इसके बाद ही जांच सही दिशा में आगे बढ़ रही है। एजंसियों को इस सच को मानना चाहिए।

अगर वे साड़ी भेजना चाहते हैं तो थोड़ा कायदे की और अच्छी भेजें।

कुर्बान फिल्म के पोस्टरों में अपनी खुली पीठ की वजह से शिवसेना का निशाना बनीं करीना कपूर ने जवाबी हमला किया है। गौरतलब है कि मुम्बई में शिवसैनिकों ने इन पोस्टरों पर अपना गुस्सा निकाला था और कुछ को साड़ी भी पहनाई थी। पार्टी के जितेंद्र जनावले ने कहा कि हम जल्द करीना के घर जाकर उन्हें साड़ी भेंट करेंगे। हालांकि करीना को अभी तक साड़ी नहीं मिली है और उन्होंने जोर देकर कहा है कि अगर वे साड़ी भेजना चाहते हैं तो थोड़ा कायदे की और अच्छी भेजें। यहां कुर्बान फिल्म के प्रमोशन के एक कार्यक्रम में करीना ने यह बात कही। अपने रियल लाइफ बॉयफ्रेंड सैफ के साथ खुली पीठ दिखाने वाले पोस्टरों को अभद्र बताए जाने पर करीना ने कहा कि मुझे उसमें कुछ भी गलत नहीं लगता। मेरे ख्याल से उसमें से सुंदरता झलकती है। सैफ के अलावा विवेक ओबेरॉय के स्टार कास्ट वाली कुर्बान फिल्म 20 नवंबर से पर्दे पर दिखेगी। आतंकवाद के बैकग्राउंड पर इसमें लव स्टोरी को दिखाया गया है।

Thursday, November 12, 2009

शिवसेना ने सपा की वैचारिक लड़ाई है।

महाराष्ट्र विधानसभा का तीन दिवसीय सत्र सपा नेता अबू आसिम आजमी के नाम रहा है। अब नागपुर के शीतकालीन सत्र में फिर गर्माहट होने की आशंका है। सत्र के पहले दिन हिन्दी में शपथ लेने पर मनसे का हमला, दूसरे दिन बाल ठाकरे पर दिए बयान पर शिवसेना की तरफ से चेतावनी और तीसरे दिन फिर हंगामा। मनसे के बाद शिवसेना ने बुधवार को आजमी के लिए सदन के अंदर और बाहर निबटने की तैयारी की थी लेकिन आजमी बुधवार को विधानसभा आए ही नहीं। पुलिस और सरकार की तरफ से कुछ विधायकों ने सपा नेता अबू आसिम आजमी से विधानसभा में न आने की अपील की थी, ताकि किसी अनहोनी घटना को टाला जा सके। पुलिस ने आजमी से कहा कि आपके सदन में जाने से यदि शिवसेना की तरफ से कुछ हरकत की जाती है तो मुम्बई में कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है। आजमी के अनुसार, उन्होंने शहर में शांति बनाए रखने के लिए विधानसभा न जाने की अपील मंजूर की। पुलिस को शंका थी कि मनसे के बाद शिवसेना लीड लेने के लिए आजमी पर हमला कर सकती है। शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने बुधवार को विधान भवन के समक्ष आजमी का पुतला जलाने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस ने लाठी चार्ज कर उन्हें खदेड़ दिया। आजमी ने कहा, 'सरकार अपने एक विधायक की सुरक्षा करने में नाकाम नजर आ रही है। यदि सरकार उनसे कह दे कि वह सुरक्षा नहीं कर सकती तो वे विधायक पद से इस्तीफा देने तक के लिए तैयार हैं। मनसे और शिवसेना बारी बारी से अपने राजनीतिक लाभ के लिए हंगामा करने पर उतारू हैं। दोनों ही दल के नेता किसी को कुछ भी कह दें। किसी के संबंध में कुछ भी लिख दें, सब उचित है। राज ठाकरे ने पिछले साल जया बच्चन के संबंध में कहा था कि गुडि़या अब बुढि़या हो गई है। सामना में मेरे खिलाफ लिखा गया। उस पर मैंने प्रतिक्रिया व्यक्त की और इससे भी यदि किसी की भावना आहत हुई है तो उसके लिए मैं माफी मांगता हूं ताकि शहर में अमन चेन बना रहे।' आजमी ने कहा कि वे बाल ठाकरे की नेता के तौर पर इज्जत करते हैं। शिवसेना ने सपा की वैचारिक लड़ाई है। वे बुजुर्गों का हमेशा आदर करते हैं।

Friday, November 6, 2009

हलफनामे में अलग अलग पैनकार्ड के नंबरों का उल्लेख किया

मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष और अशोक चव्हाण मंत्रिमंडल में मंत्री पद के प्रमुख दावेदार कृपाशंकर

सिंह इस खुलासे के बाद समस्याओं से घिर सकते हैं कि उन्होंने 2004 और 2009 विधानसभा चुनावों में जमा किए गए हलफनामे में अलग अलग पैनकार्ड के नंबरों का उल्लेख किया है। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर प्रकाशित सिंह के हलफनामे के अनुसार 2004 में पैन नंबर AVAPS 1485L है जबकि 2009 में उन्होंने अपना पैन नंबर CFYPS 989P बताया है। आयकर सूत्रों के अनुसार किसी व्यक्ति के पैन नंबर में परिवर्तन नहीं हो सकता। सूत्रों ने कहा कि अगर यह साबित होता है कि उन्होंने जानबूझकर आयकर कानून का उल्लंघन किया है तो उनके खिलाफ केस चल सकता है। उन्होंने बताया कि अगर विभाग की गलती से किसी व्यक्ति को दो पैन नंबर जारी होते हैं तो एक नंबर लौटाना होता है। कृपाशकंर सिंह इस बारे में टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं हो सके जबकि राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी देवाशीष चक्रवर्ती ने क कि वह ऐसे मामले में टिप्पणी नहीं कर सकते।

Tuesday, November 3, 2009

एशियन हार्ट इंस्टीटयूट इज दा बैस्ट


लोग कहते है ​कि जब से प्रधान मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की सर्जरी हुई है, डॉ. रमाकान्त पाण्डा का नाम बहुत आगे आ गया है । लेकिन यह सत्य है ​कि डॉ. रमाकान्त पाण्डा ने कडी मेहनत और लग्न से यह मुकाम हासिल किया है । अभी कुछ दिन पहले दिनांक 23 अक्टूबर 2009 को ​बिमला गुप्ता का एसेण्डिग अरोटा रूट इन्कलूडिंग वाल चेंज का सफल आपरेशन डॉ. पाण्डा ने किया । ज्ञातव्य है ​कि इससे पहले इस आपरेशन के लिए जसलोक हस्पताल के डॉ. हेमन्त कुमार , बोम्बे हास्पीटल के डॉ. भट्टाचार्य आ​दि तथा अनेकानेक डॉक्टरों से इसके बारे में चर्चा की जा चुकी थी, सभी का मत था ​कि आपरेशन का निर्णण् मेरी जिन्दगी का अहम निर्णय होगा क्यों​कि इसमें यह तो दिमागी हालत खराब हो जाएगी या पेरेलॉसिस होने की आशंका 80 प्रतिशत रहेगी । श्रीमती बिमला गुप्ता नहीं चाहती थी ​कि वे आपरेशन के बाद अपंगों की जिन्दगी जिऐं । इसमें डॉ. रमाकान्त पाण्डा नेविश्वास दिलाया ​कि वे इस आपरेशन को पूरी लगन से करेंगे और 95 प्रतिशत ठीक ही करेंगे । हुआ भी वही, जो डॉ. पाण्डा ने कहा , वही हुआ ।आज श्रीमती बिमला गुप्ता स्वस्थ है और रूम में शिफ्ट हो गई हैं शायद दो या तीन दिन में उनके घर आने की संभावना है ।और इसका श्रेय जाता है डॉ.पाण्डा और उनकी टीम को।

स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर राकेश सिन्हा का नाम एक बार पहले भी गिनीज बुक में दर्ज हो चुका है।

मुंबई के एक डॉक्टर ने 4.1 किलो के यूटरस (गर्भाशय) को सर्जरी से अलग कर गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज करवाया है। स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर राकेश सिन्हा का नाम एक बार पहले भी गिनीज बुक में दर्ज हो चुका है। इस हालिया सर्जरी के लिए डॉक्टर सिन्हा को गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स की ओर से 21 अक्टूबर को सार्टिफिकेट भी दिया जा चुका है। बीईएएमएस अस्पताल में काम करने वाले डॉक्टर सिन्हा ने इस सर्जरी से दो अमेरिकी डॉक्टरों का रिकॉर्ड तोड़ा है जिन्होंने 3.2 किलोग्राम के यूटरस निकाला था। सन् 2005 में डॉक्टर सिन्हा ने गर्भाशय के पास डेवलप हो गए खतरनाक ट्यूमर का ऑपरेशन किया था। इसका वजन करीब 3.4 किलोग्राम था।

स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर राकेश सिन्हा का नाम एक बार पहले भी गिनीज बुक में दर्ज हो चुका है।

मुंबई के एक डॉक्टर ने 4.1 किलो के यूटरस (गर्भाशय) को सर्जरी से अलग कर गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज करवाया है। स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर राकेश सिन्हा का नाम एक बार पहले भी गिनीज बुक में दर्ज हो चुका है। इस हालिया सर्जरी के लिए डॉक्टर सिन्हा को गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स की ओर से 21 अक्टूबर को सार्टिफिकेट भी दिया जा चुका है। बीईएएमएस अस्पताल में काम करने वाले डॉक्टर सिन्हा ने इस सर्जरी से दो अमेरिकी डॉक्टरों का रिकॉर्ड तोड़ा है जिन्होंने 3.2 किलोग्राम के यूटरस निकाला था। सन् 2005 में डॉक्टर सिन्हा ने गर्भाशय के पास डेवलप हो गए खतरनाक ट्यूमर का ऑपरेशन किया था। इसका वजन करीब 3.4 किलोग्राम था।

Sunday, November 1, 2009

महानायक इस धमकी से विचलित नहीं हुए

बॉलिवुड के महानायक अमिताभ बच्चन को एक हिन्दू मंदिर और एक मुस्लिम दरगाह जाने के मामले में किसी अज्ञात व्यक्ति ने एसएमएस के जरिए धमकी दी है। 67 वर्षीय अभिनेता ने पहले भी अपने ब्लॉग में लिखा था कि वह धार्मिक व्यक्ति हैं, जिसके बाद अज्ञात व्यक्ति ने उनको ऐसा नहीं करने की धमकी दी। लेकिन महानायक इस धमकी से विचलित नहीं हुए हैं। अमिताभ बच्चन ने अपने ब्लॉग में लिखा है कि किसी अज्ञात व्यक्ति ने उनके मोबाइल पर संदेश भेजकर मुस्लिम दरगाह और एक हिन्दू मंदिर जाने के लिए उनकी कड़ी आलोचना की है। उसने कहा है कि उनका ऐसा करना सही नहीं है और उन्हें दोबारा ऐसा नहीं करना चाहिए।
अभिनेता गुरुवार को तड़के हाजी अली दरगाह गए थे और उसके बाद नजदीक ही स्थित महालक्ष्मी मंदिर भी गए थे। आखिर में वह थोड़ी दूर स्थित सिद्धिविनायक मंदिर गए। इस धमकी के बारे में बच्चन ने कहा कि वह इस तरह की प्रतिक्रिया से बिल्कुल प्रभावित नहीं हैं। अपने ब्लॉग में उन्होंने लिखा है कि वह वहां दोबारा जाएंगे और ऐसा करते रहेंगे। वह देखना चाहते हैं कि कौन उन्हें इन पवित्र स्थानों में जाने से रोकता है। यदि उसमें हिम्मत है तो वह व्यक्ति उनके सामने आए।