Monday, November 30, 2009

पथराव करके, दुकानें और टैक्सी में तोड़फोड़ करके मराठी भाषा के प्रति प्यार का निर्माण नहीं किया जा सकता। -स्मिता ठाकरे

स्थानीय लोगों को अपमानित करनेवाले अबू आजमी हों या विधानसभा मे हंगामा करनेवाली पार्टी हो... दोनों दोषी हैं। यह कहना है शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे की बहु स्मिता ठाकरे का। स्मिता ठाकरे ने मराठी के दैनिक अखबार 'लोकसत्ता' में लेख लिखकर अप्रयत्क्ष तरीके से राज ठाकरे और उनकी पार्टी एमएनएस पर निशाना साधा है। स्मिता ठाकरे ने कहा- पथराव करके, दुकानें और टैक्सी में तोड़फोड़ करके मराठी भाषा के प्रति प्यार का निर्माण नहीं किया जा सकता। उसके लिए प्यार से समझाना चाहिए। कोई भी भाषा एक दूसरे को विचारों से जोड़ने की शक्ति है। भाषा विभाजन का काम नहीं करती। लेकिन आज राजनेता क्या कर रहे है? भाषा की आड़ में हिंसाचार को बढ़ावा दे रहे हैं। अपने इस आर्टिकल में उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी भाषा का जोरदार समर्थन किया। उन्होंने कहा- मैं मराठी हूं, लेकिन हिंदी और अंग्रजी भाषा से भी मैं उतना ही प्यार करती हूं। मराठी के पु. ल. देशपांडे मुझे जितने प्यारे है, उतने ही हिंदी के प्रेमचंद भी। तो क्या मैं बागी बन जाती हूं? मेरी मराठी थोडी अलग है। ऑफिस और मिटिंग में मैं हिंदी और अंग्रेजी का इस्तेमाल करती हूं। लेकिन मैं मराठी में ही सोचती हूं।
ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में अच्छी एजुकेशन, अच्छी तनख्वाह और प्रतिष्ठा पानी है तो अंग्रेजी सीखना जरूरी है। हम खुद को सीमित क्यों करे? मातृभाषा की जिद करेंगे, तो आर्थिक प्रगति नहीं होगी। अंग्रेजी ज्ञान के बिना मल्टिनैशनल कंपनियों में मौका नहीं मिलेगा। रिसर्च, कम्प्यूटर और इंटरनेट के क्षेत्र में आप कुछ भी नहीं कर सकते मेरे विचार शायद आप को चौका दें। लेकिन आज मैं एक शिवसैनिक नहीं बल्कि एक देश की नागरिक, एक मां और मराठी का अभिमान रखनेवाली महिला के रूप में अपने विचार व्यक्त कर रही हूं।

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