Sunday, November 22, 2009

रेलवे भर्ती बोर्ड की परीक्षाएं स्थानीय भाषाओं में भी देने की छूट होनी चाहिए, जिसे ममता ने मान भी लिया

मराठी मानुस के नाम पर भावनाएं भड़काकर वोटों की फसल काटने की जो अंधी दौड़ एमएनएस और शिवसेना के बीच चल रही है, उसमें अब महाराष्ट्र के कांग्रेसी मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण भी उतर गए लगते हैं। चव्हाण ने भी मराठी कार्ड फेंकते हुए शनिवार को रेलवे मंत्री ममता बनर्जी से आग्रह किया कि राज्य में रेलवे की नौकरियों में ज्यादा तादाद में मराठी लोगों की नियुक्तियां की जाएं। नवनिर्वाचित सीएम ने इसके अलावा रेलवे से यह मांग भी कि रेलवे भर्ती बोर्ड की परीक्षाएं स्थानीय भाषाओं में भी देने की छूट होनी चाहिए, जिसे ममता ने मान भी लिया है। शनिवार को ही एनसीपी नेता और राज्य के उपमुख्यमंत्री छगन भुजबल ने भी मराठी कार्ड खेलते हुए देश के महानतम क्रिकेटर सचिन तेंडुलकर को राजनीति में घसीट लिया। भुजबल ने रेलवे से मांग की कि नागपुर लाइन पर चलने वाली दुरांतो एक्सप्रेस का नाम सचिन तेंडुलकर के नाम पर किया जाए।
इससे पहले शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे ने पार्टी मुखपत्र सामना में अपने एक लेख में सचिन की आलोचना करते हुए कहा था कि वह क्रिकेट की पिच को छोड़कर राजनीति की पिच में कूद गए हैं। ठाकरे की यह टिप्पणी सचिन के इस बयान पर आई थी कि मुंबई भारत से संबंध रखती है। मैं एक मराठी हूं, मुझे इस पर बेहद गर्व है, लेकिन पहले मैं एक भारतीय हूं। इस बीच महाराष्ट्र में होने वाली रेलवे की परीक्षाओं के दौरान एमएनएस द्वारा उत्तर भारतीय छात्रों को निशाना बनाए जाने की घटनाओं के संदर्भ में रेलवे मंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को ऐलान किया कि रेलवे की परीक्षाएं अब हिंदी और अंग्रेजी के साथ-साथ क्षेत्रीय भाषाओं में भी होंगी। उन्होंने यहां पत्रकारों से कहा कि महाराष्ट्र में रेलवे की परीक्षा मराठी में और अन्य राज्यों में वहां की क्षेत्रीय भाषाओं में आयोजित की जाएंगी। मौजूदा नीति की समीक्षा के बाद यह निर्णय लिया गया है। अब हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू के अलावा क्षेत्रीय भाषाओं में भी परीक्षाएं होंगी।

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