Thursday, February 18, 2016

याचिका पर सुनवाई पूरी होने तक फिल्म की कोई सामग्री रिलीज नहीं



बांबे हाई कोर्ट ने शीना बोरा हत्याकांड पर बनी बंगाली फिल्म "डार्क चॉकलेट" के निर्देशकों से कहा है कि वे एक याचिका पर सुनवाई पूरी होने तक फिल्म की कोई सामग्री रिलीज नहीं करें।
यह फिल्म मीडिया दिग्गज पीटर मुखर्जी, पत्नी इंद्राणी मुखर्जी और उनकी बेटी शीना पर आधारित है। बेटी की हत्या में मुख्य आरोपी इंद्राणी मुखर्जी और पीटर इस समय सलाखों के पीछे हैं।
पीटर मुखर्जी की बेटी शंगोम दास गुप्ता ने फिल्म पर रोक लगाने की मांग को लेकर याचिका दाखिल की थी। इस पर सुनवाई करते जस्टिस एससी धर्माधिकारी और जस्टिस जीएस पटेल की पीठ ने यह आदेश दिया। उनके वकील वेंकटेश धोंद ने कोर्ट से कहा कि पीटर मुखर्जी के जीवन पर आधारित यह फिल्म अगर रिलीज हो जाती है तो उनकी निष्पक्ष सुनवाई पर असर पड़ सकता है।
उन्होंने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड को भी पक्षकार बनाने की मांग की। फिल्म के निर्देशक अग्निदेव चटर्जी ने कोर्ट को बताया कि फिल्म की शूटिंग पूरी हो चुकी है। धर्माधिकारी ने कहा, "याचिका पर सुनवाई पूरी होने तक कोई भी सामग्री इंटरनेट पर जारी नहीं करें। हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि मुखर्जी को निष्पक्ष सुनवाई का मौका मिले।"
कोर्ट ने एक नई याचिका दाखिल करने को कहा जिस पर पीटर मुखर्जी के हस्ताक्षर हों। उल्लेखनीय है कि "डार्क चॉकलेट" का ट्रेलर पहले ही यूट्यूब पर जारी हो चुका है। इस फिल्म में इंद्राणी की भूमिका में महिमा चौधरी और शीना के किरदार में रिया सेन हैं जबकि पीटर मुखर्जी के किरदार में सुदीप मुखर्जी दिखेंगे। इस फिल्म को 19 जनवरी को रिलीज करने की योजना थी।

Friday, February 12, 2016

इशरत लश्कर आतंकी



मुंबई की विशेष अदालत को दिए लश्कर आतंकी डेविड कोलमैन हेडली के बयान को लश्कर आतंकी इशरत जहां की मां शमिमा कौसर ने झुठला दिया है। उसका कहना है कि उसकी बेटी निर्दोष है और बड़े लोग उसे बेवजह इस मामले में फंसा रहे हैं।
इसी तरह 19 वर्षीय इशरत जहां की बहन मुसर्रत और वकील वृंदा ग्रोवर ने दावा किया कि इशरत का आतंकवाद से कोई लेना-देना नहीं था। ग्रोवर ने हेडली मामले में सरकारी वकील उज्ज्वल निकम के अदालती तौर-तरीकों पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस मामले का हेडली के मामले से कोई लेना-देना नहीं था। वह निर्दोष थी और उसे फर्जी एनकाउंटर में मारा गया था। ग्रोवर ने कहा कि हेडली ने अपने बयान में कहा है कि उसे बताया गया था। अदालत में कही-सुनी बातों को सुबूत नहीं माना जा सकता।
दूसरी ओर, इशरत के साथ ही एनकाउंटर में मारे गए आतंकी जावेद शेख उर्फ प्रणेश पिल्लई के पिता ओपीनाथ पिल्लई ने भी कहा कि उन्हें लगता है कि इशरत लश्कर आतंकी नहीं थी। यह सरासर गुजरात पुलिस का फर्जी एनकाउंटर था।
सही साबित हुई गुजरात पुलिस
मुंबई। पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी डेविड हेडली के इशरत जहां पर किए गए खुलासे से गुजरात पुलिस ने राहत की सांसें ली है। गुजरात पुलिस यह कहती रही है कि इशरत एक आतंकवादी थी। हेडली ने बताया है कि वह लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम करती थी। एक कथित मुठभेड़ में गुजरात पुलिस ने उसे मार गिराया था। रिटायर आइपीएस अधिकारी डीजी वंजारा ने कहा कि यह साबित हो गया है कि वह मुठभेड़ जायज थी।
कॉलेज की छात्रा 19 वर्षीया इशरत और उसके तीन अन्य साथियों को 2004 में गुजरात पुलिस ने कथित फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया था। जब मुठभेड़ हुई थी उस दौरान वंजारा शहर की अपराध शाखा के डीसीपी थे। पिछले वर्ष फरवरी में मुंबई की एक अदालत ने उन्हें जमानत पर रिहा किया। अदालत ने गुजरात में उनके प्रवेश पर रोक लगा रखी है इसलिए वर्तमान में वह मुंबई में रहते हैं।
वंजारा ने कहा, "मुठभेड़ पर राजनीति शुरू हो गई थी और उसने दूसरा ही रुख अख्तियार कर लिया। मुठभेड़ सही थी लेकिन गुजरात पुलिस के खिलाफ मामले फर्जी हैं। हेडली की गवाही से इशरत के निर्दोष कॉलेज छात्रा होने की दलील झूठी साबित हो चुकी है।" उन्होंने कहा कि एजेंसियां और लोग फर्जी मुठभेड़ का दावा कर रहे थे।

Sunday, February 7, 2016

अब वॉट्सऐप नौकरी पाने का जरिया भी बन गया



अब वॉट्सऐप नौकरी पाने का जरिया भी बन गया है। मुंबई के जेवियर इंस्टिट्यूट ऑफ कम्युनिकेशन के छह छात्रों ने वॉट्सऐप के जरिए घर बैठे इंटरव्यू दिए और उन्हें नौकरी मिल भी गई। देश में यह अपने तरह का पहला मामला है।
छात्रों से गुड़गांव स्थित एक नामी एडवरटाइजिंग कंपनी ने संपर्क साधा था। कंपनी ने 'द इंटरर्नशिप' नामक वॉट्सऐप ग्रुप बनाकर छात्रों को उसमें जोड़ा और घर बैठे ही इंटरव्यू देने की सुविधा मुहैया कराई।
कंपनी का मानना है कि घर बैठे ही इंटरव्यू देना छात्रों के लिए सुविधाजनक होगा। साथ ही आने-जाने का खर्च और एनर्जी भी बचेगी।
Skype और Google Hangouts के साथ ही LinkedIn, Twitter और Facebook जैसी सोशलनेटवर्किंग साइट्स की मदद से कैंपस रिक्रूटमेंट किया जाता रहा है।
नौकरी पाने वाले छात्रों में से एक साईं पदवाल के मुताबिक, यह बहुत रोमांचक था। हमें पता ही नहीं चला कि हमारा इंटरव्यू हो रहा है। हमसे `Be like Bill' सीरीज पर मेमेस् बनाने को कहा गया था। इस प्लेटफॉर्म की मदद से हमने यह काम बखूबी कर दिखाया।
वॉट्सऐप के जरिए इंटरव्यू लेने वाले जेडब्ल्यूटी के सीनियर क्रिएटिव डायरेक्टर बी. दासगुप्ता कहते हैं, रिज्यूम से बमुश्किल पता चलता है कि छात्र कितने क्रिएटिव हैं। एक क्रिएटिव पर्सन तब अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन करता है, जब उसे उसके माहौल में अकेला छोड़ दिया जाए। वॉट्सऐप के माध्यम से हमने यही करने की कोशिश की।