Friday, February 27, 2015

बीजेपी को छोड़कर महाराष्ट्र का कोई भी राजनीतिक दल रेल बजट से खुश नहीं

बीजेपी को छोड़कर महाराष्ट्र का कोई भी राजनीतिक दल रेल बजट से खुश नहीं है  इनका कहना है कि रेल मंत्री सुरेश प्रभु से महाराष्ट्र को रेल बजट में बड़ी उम्मीदें थीं। मोदी की नजर में अच्छा बनने के लिए उन्होंने अपने ही राज्य की जनता की उम्मीदों को ध्वस्त कर दिया। कांग्रेस, एनसीपी जैसे विरोधी दलों से तो बजट का विरोध स्वाभाविक था, लेकिन केंद्र और राज्य दोनों जगह सत्ता में बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिव सेना ने भी रेल बजट को निराशाजनक बताया है।
रेल बजट के विरोध में शिव सेना के नेताओं ने कुछ इस तरह दी प्रतिक्रिया...
'यह तो निराश करने वाला बजट है'
यह पूरी तरह से असंतुष्ट करने वाला बजट है। महीने भर पहले ही रेल मंत्री सुरेश प्रभु से मुलाकात कर उन्हें मुंबई की उपनगरीय रेलों की समस्याओं के संदर्भ में अवगत कराया गया था, परंतु बजट में रेल मंत्री ने उपनगरीय रेल के लिए कोई घोषणा नहीं की है। इस रेल बजट से महाराष्ट्र और मुंबई को कुछ नहीं मिला है। रेल बजट में कई घोषणाएं की गई हैं, लेकिन रेल मंत्री ने यह नहीं बताया कि इन घोषणाओं को पूरा करने के लिए पैसा कहां से आएगा? बजट ने हर किसी को अंधेरे में रखा है। प्लैटफॉर्म की ऊंचाई बढ़ाने के लिए 97 करोड़ रुपये की जरूरत है। इस काम को पूरा करने के लिए एक ही बार में धन आवंटित करना चाहिए था। लाइनों के दोहरीकरण और तिहरीकरण की बात कर रहे हैं, लेकिन वे किन लाइनों पर काम करेंगे इस बारे में रेल मंत्री ने सदन में कुछ बताया ही नहीं।
- गजानन कीर्तिकर, शिव सेना सांसद
यह बजट निराशाजनक और अपेक्षाओं को भंग करने वाला है। इस बजट में सिर्फ एक ही बात अच्छी है कि रेल मंत्री ने यात्रियों के लिए सुरक्षा और स्वच्छता को प्राथमिकता दी है।
- विनायक राऊत, शिव सेना सांसद
महाराष्ट्र के ग्रामीण भाग के लिए कोई योजना रेल बजट में नहीं है। इस रेल बजट से महाराष्ट्र के हिस्से में कुछ भी न आने से जनता निराश और नाराज है।
- शिवाजीराव आढलराव पाटील, शिव सेना सांसद
महाराष्ट्र के रहने वाले किसी व्यक्ति को 37 साल बाद रेल मंत्री बनाया गया। इससे राज्य के लोगों को एक उम्मीद बंध गई थी, लेकिन रेल मंत्री ने महाराष्ट्र के लोगों को निराश किया है। मोदी सरकार रेल किराया नहीं बढ़ाने पर अपनी पीठ थपथपा रही है, परंतु किराया तो उन्होंने जून में 14.2 पर्सेंट बढ़ा दिया था। पुणे-नाशिक, वर्धा-यवतमाल-नांदेड, कल्याण-अहमदनगर, मनमाड-इंदौर, बडनेरा-वाशिम, सहित अन्य मार्ग के बारे में रेल बजट में कोई घोषणा न होने से लोग निराश हुए हैं।
- माणिकराव ठाकरे, अध्यक्ष, महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस
मोदी सरकार के पहले पूर्ण रेल बजट ने सभी को निराश किया है। पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम होने के कारण आस बंधी थी कि यात्री किराए और माल भाड़े में कमी आएगी। इसी सरकार ने आठ महीने पहले पेश किए गए अंतरिम बजट में पेट्रोल-डीजल की कीमतों का हवाला देकर किराए में ऐतिहासिक बढ़ोतरी की थी। यूपी, बिहार के लोगों को आस थी कि रेल मंत्री नई गाड़ी देंगे और साप्ताहिक गाड़ियों को रोजाना करेंगे पर वहां भी निराशा ही हाथ लगी। इससे साबित हो गया है कि मोदी सरकार सिर्फ जुबानी खर्च करने में माहिर है।
- नसीम खान, पूर्व मंत्री, महाराष्ट्र
बीजेपी सरकार का यह रेल बजट पूर्ण रूप से निराश करने वाला बजट है। रेलवे को सबसे ज्यादा राजस्व महाराष्ट्र से मिलता है। देश भर में रेल से यात्रा करने वाले कुल यात्रियों की तुलना में महाराष्ट्र और मुंबई में ज्यादा रेल यात्री हैं। इसलिए महाराष्ट्र और मुंबई को अधिक सुविधाएं दिए जाने की जरूरत थी। रेल मंत्री सुरेश प्रभु मुंबई की लोकल रेल की समस्याओं को जानते हैं, इसलिए मुंबई को इस बार पर्याप्त सुविधा मिलने की उम्मीद थी, लेकिन बजट ने इन उम्मीदों को ध्वस्त कर दिया है। रेल बजट में स्टेशनों और ट्रेनों को कंपनियों का नाम दिए जाने की बात कही गई है, यह फैसला उचित नहीं है। इससे शहरों की अपनी पहचान प्रभावित होगी। दरअसल यह बजट निजी कंपनियों के फायदे का और आम जनता की उपेक्षा का बजट है।
- छगन भुजबल, पूर्व मुख्यमंत्री महाराष्ट्र
समस्याओं का अध्ययन किए बिना ही सिर्फ घोषणाओं के दम पर बीजेपी सरकार चल रही है। चुनाव में अच्छे दिन की घोषणा करने वाली मोदी सरकार ने जनता को बुरे दिन दिखाने की शुरुआत रेल बजट से कर दी है। यह बजट कर्ज के दम पर रेल को चलाने वाला बजट है। रेल मंत्री खुद कोकण के हैं, वहां के लोगों का प्रभु पर भरोसा था, लेकिन उन्होंने भरोसा तोड़ने का काम किया है।
- नवाब मलिक, प्रवक्ता एनसीपी
रेल मंत्री सुरेश प्रभु का बजट भाषण तो उत्तम था, उनसे उम्मीद थी कि वे महाराष्ट्र पर कृपा करेंगे पर उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं किया। कोकण और मुंबई के लोगों को उनसे बड़ी आस थी। कोकण के लोगों को रेलवे की नई सुविधा और साधन मिलेंगे। मुंबईकरों की प्रभु से अपेक्षा थी, भीड़ से उन्हें राहत मिलेगी पर उन्होंने निराश किया।
- बाला नांदगांवकर, एमएनएस नेता
रेल बजट के पक्ष में भी कई नेताओं ने दी प्रतिक्रिया...
'बजट रेलवे को मजबूत भविष्य देने वाला है'
यह रेल बजट देश को विकास की ओर ले जाने के दूरदृष्टिकोण को ध्यान में रखकर पेश किया गया है। बजट में मुंबई और महाराष्ट्र के लिए बहुत कुछ दिया है। एमयूटीपी-3 के अंतर्गत 11,500 करोड़ रुपये का बजट में प्रावधान किया है, राज्य की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है। शिवसेना के लोगों ने शायद बजट को ध्यान से पढ़ा और सुना नहीं है। इसलिए वे बजट पर प्रतिकूल टिप्पणी कर रहे हैं।
- देवेंद्र फडणवीस, मुख्यमंत्री महाराष्ट्र
रेल किराया नहीं बढ़ाया और कृषि उत्पादक के लिए अत्याधुनिक कार्गो की व्यवस्था करके रेल मंत्री ने किसानों को दिलासा दी है। सर्वे के बाद आवश्यक नई गाड़ियां शुरू करने की योजना बजट में शामिल की है। रेल को गति देने के लिए विविध प्रकार की आधुनिक तकनीक की बात कही है। मुंबई के लिए एमयूटीपी-3 शुरू करने से लोकल यात्रियों की परेशानियां कम होंगी।
- एकनाथ खडसे, राजस्व मंत्री
इस बजट में स्वच्छता, सुरक्षा और मौजूदा व्यवस्थाओं में सुधार पर जोर दिया गया है। बुजुर्गों को लोअर सीट, महिलाओं की सुरक्षा के लिए महिला डिब्बों में सीसीटीवी कैमरे, जनरल डिब्बों में मोबाइल चार्जिंग की सुविधा, जानकारी और शिकायतों के लिए मोबाइल एप और हेल्पलाइन नंबर जारी कर रेल मंत्री ने रेल यात्रियों की समस्याओं के समाधान और उनके लिए सुविधाएं जुटाने पर जोर दिया है।
- सुधीर मुनगंटीवार, वित्त मंत्री महाराष्ट्र
पिछले कई सालों से गलत निर्णयों के कारण पटरी से खिसक गई भारतीय रेल का किराया नहीं बढ़ाकर लोगों पर कोई आर्थिक बोझ रेल मंत्री ने नहीं पड़ने दिया है। देश की सामान्य जनता को ध्यान में रखकर रेल मंत्री ने बजट तैयार किया है। यात्रियों को बेहतर सुविधा मिले इस पर ज्यादा ध्यान दिया है। रेल बजट को किसी भी राज्य को दृष्टि में रखकर नहीं बल्कि देश को ध्यान में रखकर बनाया गया है।
- रावसाहेब दानवे पाटील, अध्यक्ष महाराष्ट्र बीजेपी
किराया नहीं बढ़ाकर रेल मंत्री ने आम जनता को राहत दी है। नौ मार्गों पर हाई स्पीड ट्रेन चलेगी। दिल्ली-कोलकाता, दिल्ली-मुंबई मार्ग की गति बढ़ाने का निर्णय बेहतर है। महिला यात्रियों की सुरक्षा की दृष्टि से निर्भय निधि व महिला डिब्बों में सीसीटीवी कैमरा लगाने के फैसले का हम स्वागत करते हैं, परंतु महाराष्ट्र को जैसी आवश्यकता थी वैसा नहीं दिया गया।
- रामदास आठवले, सांसद व आरपीआई नेता
यह एक तारीफ के काबिल रेल बजट है। वर्तमान स्थितियों में इससे बेहतरीन बजट नहीं हो सकता था। बजट में जिस तरह से बिना किराया बढ़ाए यात्री सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया गया है। एक तरफ किराए के बोझ से राहत और दूसरी तरफ महिला और बुजुर्ग यात्रियों की सहूलियतों का ध्यान रखा गया है। कुल मिलाकर यह बजट परिपूर्ण रूप से रेल यात्रियों का राहत देने वाला बजट है।
-मनोभव त्रिपाठी, सदस्य, बीजेपी प्रदेश कार्यकारिणी

यह एक सकारात्मक बजट है और लोकलुभावन घोषणाओं से दूर रहने के लिए रेल मंत्री की सराहना की जानी चाहिए। रेल मंत्री ने यात्रियों पर बोझ डालने के बजाए वित्तिय अनुशासन और निजी क्षेत्र की भागीदारी के बल पर रेलवे के लिए संसाधन जुटाने की कोशिश की है। मुंबई के लिए एमयूटीपी -3 की घोषणा कर रेल मंत्री ने मुंबई का ख्याल रखा है।

Wednesday, February 25, 2015

मुंबई का महत्व कम नहीं

संतुलित विकास की अवधारणा को लागू करने के बावजूद देश के राजस्व योगदान में मुंबई का महत्व कम नहीं हुआ है। इस वित्तीय वर्ष में मुंबई से केंद्रीय उत्पाद शुल्क के रूप में 23,247 करोड़ रुपये और सर्विस टैक्स के रूप में 43,184 करोड़ रुपये एकत्र हुए हैं।
यह राजस्व देश के कुल उत्पाद शुल्क का 12 पर्सेंट और सर्विस टैक्स राजस्व के रूप में 1/3 हिस्सा है। यह जानकारी मंगलवार को 'सेंट्रल एक्साइज डे' पर आयोजित एक समारोह में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दी।

यहां यह भी कहा गया कि मुंबई में पहले से दो सेंट्रल एक्साइज जोन हैं, सर्विस टैक्स का एक नया जोन बनाया गया है जिससे राजस्व में और बढ़ोतरी हो सकेगी।

Monday, February 23, 2015

महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के बावजूद कुछ नहीं बदला

बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार पर शिवसेना ने ताजा हमला किया है। शिवसेना ने गोविंद पानसरे की हत्या पर सामना के ताजा संपादकीय में कहा है कि महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के बावजूद कुछ नहीं बदला है 
शिवसेना ने वामपंथी नेता गोविंद पानसरे के हत्यारों को पकड़ने में नाकामी पर महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस सरकार का मजाक उड़ाया है। सीएम पर निशाना साधते हुए कहा शिवसेना ने पूछा है, 'नई सरकार के आने के साथ कुछ बदला है क्या? अगर कोई जानता है तो कृपया हमें बताए।' शिवसेना ने टोल टैक्स के खिलाफ मुहिम छेड़ने वाले पानसरे के हत्यारों को पकड़ने में नाकामी पर राज्य सरकार की खिल्ली उड़ाई।
कोल्हापुर में गोली लगने से जख्मी हुए पानसरे की शुक्रवार को मौत हो गई। शिवसेना ने कहा कि यह अंधविश्वास के विरोध में मुहिम छेड़ने वाले नरेंद्र दाभोलकर की हत्या की पुनरावृत्ति है। सामाना के संपादकीय के मुताबिक, 'मुख्यमंत्री और सरकार तो बदल गई है, लेकिन तंत्र वही है। लोग मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं, क्योंकि वह राज्य के गृहमंत्री भी हैं।'
शिवसेना ने कहा, 'फडणवीस ने कहा कि यदि पुलिस अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल करे तो वो हत्यारों को पकड़ सकती है।' इससे पता चलता है कि उन्हें पुलिस पर भरोसा नहीं है। शिवसेना की यह ताजा टिप्पणी बताती है कि दोनों दलों के गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है।

Friday, February 20, 2015

सरकार से नाराज , परंतु सरकार का साथ नहीं छोड़ेंगे

फडणवीस सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार का मामला अधर में लटक गया है। मार्च से शुरू हो रहे बजट सत्र से पहले मंत्रिमंडल के विस्तार की संभावना कम ही है। इससे नाराज सहयोगी दलों के तेवर बदल गए हैं। अब वे सरकार के खिलाफ बिगुल बजाने की तैयारी में हैं, जिसका नेतृत्व आरपीआई (आठवले) के प्रमुख रामदास आठवले कर रहे हैं। उन्होंने आगामी शनिवार को एमआईजी क्लब में सहयोगी दलों की विशेष बैठक बुलाई है।
बीती 7 फरवरी को बीजेपी सरकार के 100 दिन पूरे हो गए। नागपुर अधिवेशन से ठीक पहले बीजेपी सरकार में शिवसेना ने एंट्री दी। उससे पहले शिवसेना प्रमुख विरोधी दल थी। उस वक्त दोनों की सत्ताधारी दल की ओर से कहा गया था कि नागपुर अधिवेशन खत्म होने के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार होगा। बीजेपी ने अपने सहयोगी दल राष्ट्रीय समाज पक्ष के अध्यक्ष महादेव जानकर, आरपीआई के रामदास आठवले, शेतकरी संगठन के राजू शेट्टी और शिव संग्राम के विनायक मेटे को आश्वासन दिया था कि उनकी पार्टी के लोगों को भी जल्द ही मंत्रिमंडल में शामिल करेंगे। बजट सत्र 9 मार्च से शुरू हो रहा है।
इस बीच शिवसेना-बीजेपी के बीच मनमुटाव काफी बढ़ गया। दोनों दलों के राज्यमंत्रियों ने एक-दूसरे पर कई तरह के आरोप लगाए। सरकार चलाने के लिए बीजेपी-शिवसेना ने मिलकर समन्वय समिति का गठन किया लेकिन उस समन्वय समिति में घटक दल को कोई स्थान नहीं दिया गया। यही बात सहयोगी दलों को अखर रही है। गुरुवार को आठवले ने बागी रुख दिखाया। समन्वय समिति में स्थान नहीं देने के मामले को सहयोगी दल अपने मान-सम्मान से जोड़कर देख रहे हैं। आठवले का कहना है कि सरकार बनाने में हम सभी सहयोगी दलों का योगदान रहा है, फिर भी सत्ता में हमें कोई स्थान नहीं दिया और न ही समन्वय समिति में रखा गया। आठवले ने बीजेपी को याद दिलाया कि मंत्रिमंडल में शामिल करने का वादा अब तक पूरा नहीं किया है।

मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिलने से आठवले भले ही सरकार से नाराज हो, परंतु वे बीजेपी-शिवसेना सरकार का साथ नहीं छोड़ेंगे। उल्टे आठवले को बीजेपी-शिवसेना के बीच जारी विवाद सता रहा है। उन्होंने दोनों ही दलों से अपील की है कि वे अपने आपसी विवाद खत्म करें।

Wednesday, February 18, 2015

अंतिम संस्कार के वक्त नजर आया- जिंदगी भर की कमाई का हासिल

हजारों चाहने वालों की आंखों से धार-धार बहते आंसू और हिचकियां, 'ओ आबा... ओ आबा...' का दिल को बींध देने वाला आर्तनाद, हजारों लोगों के मुंह से आबा की हजारों यादें और आबा के बच्चों के शोकाकुल चेहरों में उनके भविष्य के प्रति चिंता का भाव पढ़ने की कोशिश करता विराट जनसैलाब आबा उर्फ आर.आर. पाटील की जिंदगी भर की कमाई का हासिल था जो मंगलवार को उनकी अंतिम संस्कार के वक्त नजर आया।
मंगलवार की सुबह आबा का पार्थिव मुंबई से तासगांव पहुंचा। तासगांव आबा का चुनाव क्षेत्र था, बल्कि इसे उनका किला ही कहना चाहिए। यहां के लोगों ने उन्हें 6 बार अपना विधायक चुना था। इस बार की मोदी लहर भी आबा के किले में सेंध नहीं लगा पाई थी। तासगांव के लोग आबा से कितना प्यार करते थे, इसका उदाहरण मंगलवार को सबको प्रत्यक्ष देखने को मिला। सुबह तकरीबन 9.15 बजे तासगांव से आबा के पार्थिव की अंतिम यात्रा उनके मूल गांव अंजनी के लिए रवाना हुई। तासगांव के लोगों ने उनके अंतिम यात्रा के वाहन पर जो बोर्ड लगा रखा था, उस पर लिखा था 'आपला मा‌णूस' अर्थात अपना व्यक्ति। यात्रा के पीछे था पूरे सांगली जिले से आए आबा पर प्यार करने वाले हजारों लोग का जनसैलाब। रोते, सिसकते, हिचकियां लेते लोग। अंतिम यात्रा को तासगांव से अंजनी पहुंचने में तीन घंटे लग गए।
अंजनी के हेलिपेड मैदान पर आबा के अंतिम संस्कार का चबूतरा बनाया गया था। पूरा गांव वहां जमा था। पूरे गांव में किसी घर में मंगलवार को चूल्हा नहीं जला। घर की औरतें और मर्द सारे के सारे कड़क धूप के बावजूद अपने आबा को विदा करने हेलिपेड मैदान के इर्द-गिर्द जमा थे। अनेक वीआईपी लोग आ रहे थे लेकिन अंजनी के लोगों को जैसे किसी से कोई मतलब ही नहीं था। वीआईपी लोग माइक पर भाषण की शक्ल में आबा की विशेषताओं को बता रहे थे लेकिन कोई उन्हें सुनने को तैयार नहीं था। मानो अंजनी के लोग कह रहे हों, 'तुम हमें हमारे आबा के बारे में क्या बताओगे!'
आबा के बच्चे छोटे हैं। बेटा रोहित 10वीं में है। बेटियां स्मिता और प्रियंका अभी मेडिकल और लॉ की पढ़ाई कर रही हैं। घर में ग्रामीण पत्नी और बूढ़ी मां हैं। ऐसे में आबा के अंतिम संस्कार के इंतजाम का सारा जिम्मा अजित पवार और सुप्रिया सुले ने संभाला था। उनके साथ उनकी मदद के लिए थे जयंत पाटील। आबा की पत्नी और बेटियों के साथ सांसद सुप्रिया सुले अंतिम समय तक बनी रहीं। अजित पवार और जयंत पाटील ने आबा के पार्थिव को कंधा भी दिया। इन तीनों के बीच इस बॉन्डिंग की एक खास वजह यह भी है कि तीनों एक साथ राजनीति में आए। तीनों एक ही चुनाव में विधायक चुने गए और एक ही सरकार में मंत्री बने और तीनों शरद पवार को अपना सरपरस्त मानते हैं।
एक वक्त ऐसा भी आया जब आबा के अंतिम संस्कार में भाग लेने पहुंचे लोग अपने प्रिय नेता के अंतिम दर्शन लेने के लिए अनियंत्रित होने लगे, तब आबा की बड़ी बेटी स्मिता को हाथ जोड़ कर लोगों से संयम बनाए रखने की अपील करनी पड़ी।

इस पूरे घटनाक्रम में दोपहर के 2 बज चुके थे और अब वह वक्त आ गया था जब आबा के शरीर को अग्नि के हवाले किया जाना था। उनका बेटा रोहित को 'असव्य' पहनाकर चबूतरे पर लाया गया। उसके साथ आबा की दोनों बेटियां भी थीं। तीनों ने मिलकर अपने महान दिवंगत पिता को जैसे ही मुखाग्नि दी लोगों का शोक फूट पड़ा। पूरा क्षेत्र 'आर.आर. पाटील अमर रहें' के नारों से गूंज उठा।

Monday, February 16, 2015

म्हाडा के घरों की लॉटरी

म्हाडा के घरों की लॉटरी को लेकर चल रहा सस्पेंस खत्म हो गया है। मई के अंतिम सप्ताह या जून के पहले सप्ताह में म्हाडा मुंबई के 785 घरों के लिए लॉटरी निकालेगी। म्हाडा के सूत्रों ने लॉटरी के 31 मई को निकाले जाने की प्रबल संभावना जताई है। वहीं कोकण मंडल के 3683 घरों की लॉटरी दिसंबर महीने में निकाली जाएगी। मुंबई में बिल्डरों द्वारा बनाए जाने वाले घरों की ऊंची कीमतों के चलते लोगों की नजर हमेशा ही म्हाडा की लॉटरी पर लगी रहती है।
लॉटरी के संदर्भ में गृह निर्माण राज्य मंत्री रविंद्र वायकर ने म्हाडा परिसर में घोषणा की। हालांकि, मुंबई मंडल के घरों की संख्या में इजाफा हो सकता है। प्रतीक्षा नगर समेत कुछ अन्य जगहों पर घर बढ़ सकते हैं। ऐसे में मुंबई मंडल में घरों की संख्या बढ़कर 1000 तक पहुंच सकती है।
म्हाडा के विभिन्न इलाकों में आ रहे इन घरों पर सभी की नजरें हैं। मुंबई के घरों की कीमतें 8 लाख से लेकर 80 लाख के बीच हैं। वहीं, विरार के बोलिंज के घरों की कीमतें क्रमश: 24 लाख और 47 लाख हैं। ऐसे में इस साल इन घरों की काफी डिमांड रहने की उम्मीद है। पिछले कुछ समय से म्हाडा की लॉटरी को लेकर संशय का माहौल व्याप्त था लेकिन लॉटरी की घोषणा से तमाम अटकलों पर भी पूर्ण विराम लग गया है। म्हाडा जल्द ही इन घरों के लिए विज्ञापन निकालेगी, फिर लोग इनकम कैटिगिरी के अनुसार आवेदन कर सकेंगे।
कहां हैं कितने घर : सूत्रों के अनुसार सबसे ज्यादा घर मुलुंड इलाके में हैं जबकि गोरेगांव और मानखुर्द में घरों की कीमत सबसे कम रहेगी।
क्षेत्र इनकम कैटिगिरी घरों की संख्या एरिया कीमत (लगभग)
प्रतीक्षा नगर MIG 56 467 स्के. फीट- 33 लाख
मलाड LIG 23 306 स्के. फीट- 26 लाख
मानखुर्द EWS 66 180 स्के. फीट- 9 लाख
गोरेगांव EWS 182 225 स्के. फीट- 8-9 लाख
मुलुंड MIG 249 425 स्के. फीट- 80 लाख
कोकण मंडल:
विरार LIG- 2432 घर - 24 लाख
विरार MIG- 1251 घर- 47 लाख
अपंग लोगों के लिए भी लॉटरी
म्हाडा द्वारा इस साल अपंग लोगों के लिए भी लॉटरी निकाली जाएगी। अप्रैल-मई में निकाली जाने वाली इस लॉटरी में 66 घर होंगे। इसमें अपंग लोगों के लिए आरक्षण बढ़ाकर 3% तक कर दिया गया है।
धारावी पर बैठक टली

धारावी को लेकर होने वाली महत्वपूर्ण बैठक टाल दी गई है। मुख्यमंत्री की उपस्थिति में सचिव समिति की इस बैठक में धारावी के डिवेलपमेंट को लेकर निर्णय लिया जाना था लेकिन यह बैठक स्थगित कर दी गई। अब इसके अगले सप्ताह होने की उम्मीद है।

Friday, February 13, 2015

आम आदमी पार्टी पर एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने निशाना साधा

दिल्ली विधानसभा जीतने की उम्मीद पाले बैठी आम आदमी पार्टी पर एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने निशाना साधा है. पवार ने कहा, 'दिल्ली में कांग्रेस का प्रभाव कम होने से पैदा हुए स्पेस को आम आदमी पार्टी ने पूरा किया है, 'आप' पार्टी देश में पर्याय नहीं हो सकती.' इसके साथ ही एनसीपी सुप्रीमो ने बीजेपी, हिंदुत्ववादी शक्तियों पर एमआईएम को बढ़ावा देने का आरोप लगाया.

पवार ने सवाल उठाते हुए कहा, 'एक तरफ घर वापसी अभियान शुरू है और दूसरी तरफ एआईएमआईएम अन्य राज्यों में अपना किला मजबूत बना रही है. इससे सवाल पैदा होता है कि कहीं वीएचपी जैसी शक्तियां एआईएमआईएम को जानबूझकर तो बढ़ावा नहीं दे रही है.' पुणे में आयोजित प्रतिनिधि सम्मेलन को संबोधित करते हुए एनसीपी सुप्रीमो ने लोकसभा और विधानसभा चुनावों में एनसीपी की हार का मुख्य कारण शहरी इलाकों के लोगों से पार्टी का संवाद कम होने को जिम्मेदार ठहराया. इसी सम्मलेन में एनसीपी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कार्यकर्ताओं को गुटखा और तम्बाकू छोड़ने की अपील की. अजित पवार ने कहा कि इसी लत का खामियाजा पार्टी के बड़े नेताओं को भुगतना पड़ रहा है.  एनसीपी की ओर से पुणे के बालेवाड़ी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में दो दिन का प्रतिनिधि सम्मेलन का आयोजन हुआ. इस सम्मलेन में एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार , नेता छगन भुजबल, अजित पवार, सुप्रिया सुले, डीपी त्रिपाठी जैसे कई बड़े नेता शामिल हुए.

Wednesday, February 11, 2015

एनसीपी ने अभी से शिवसेना को सरकार छोड़ने पर समर्थन देने की बयानबाजी शुरू कर दी

दिल्ली विधानसभा के नतीजे देश के अन्य हिस्सों की तरह महाराष्ट्र की राजनीति पर गहरा असर डाले बिना नहीं रहेंगे। सबसे बड़ा असर मुंबई के राजनीतिक गणित पर पड़ने की अटकल लगाई जा रही है। ठीक दो वर्ष बाद फरवरी 2017 में मुंबई महानगरपालिका के चुनाव होने हैं। राज्य सरकार के भीतर शिवसेना और बीजेपी के बीच चल रही अंदरूनी रस्साकशी बीएमसी के इस चुनाव का खेल बना-बिगाड़ सकती है। लोकसभा और विधानसभा के दो चुनावों में कांग्रेस और एनसीपी पार्टियां लगातार बुरी तरह मार खा चुकी हैं। इनके कार्यकर्ताओं का मनोबल इससे सुधरेगा, यह उम्मीद दिल्ली के नतीजों से जरूर बंधी होगी।
अस्तित्व के संकट से जूझ रही राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस को भी आम आदमी पार्टी को आशा की किरण दिखाई दे, तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। सत्ता में शामिल होकर भी पद न पाने वाली रामदास आठवले, राजू शेट्टी और विनायक मेटे जैसे नेताओं की सरकार में हिस्सेदारी पाने की आशाएं पल्लवित हो सकती हैं।

बहरहाल, शिवसेना की खुशी छिपाए नहीं छिप रही। महाराष्ट्र विधानसभा में बीजेपी ने जब से 129 सीटें जीतीं हैं, तब से उसके नेताओं ने शिवसेना को कमतर साबित करने का एक भी मौका नहीं छोड़ा है। वैसे, दिल्ली में शिवेसना ने बीजेपी को सबक सिखाने के लिहाज से 19 उम्मीदवार खड़े किए थे। यह अलग बात है कि इनमें राजौरी गार्डन से शिवसेना के टिकट पर लड़ रहे गुरूबक्श सिंह ही एक हजार से ज्यादा वोट बटोर पाए हैं। अधिकांश 100 वोट के अंदर सिमट कर रह गए।
शिवसेना आगामी बीएमसी चुनाव में सत्ता बचाने के लिए लड़ेगी। उसमें आज बीजेपी ही सबसे बड़ी चुनौती के तौर पर खड़ी दिखाई दे रही है। मुंबई की तरह दिल्ली में सभी लोकसभा सीटें बीजेपी ने जीती थीं। नौ महीने बाद बीजेपी का दिल्ली में क्षय देखकर शिवसैनिकों का मनोबल निश्चित ही बढ़ेगा। उद्धव ने मोदी को लेकर जो टिप्पणियां की हैं, उसे इसी के साथ जोड़कर देखा जाना चाहिए।
कांग्रेस को यह अहसास है कि उसे आगे अकेले ही लड़ना होगा। इसी के मद्देनजर पार्टी ने आंदोलन शुरू किए हैं। हालांकि संगठन के मौजूदा हालात को देखकर यही कहा जा सकता है कि 'दिल्ली अभी दूर है'। आगे चलकर शिवसेना की जब भी बीजेपी के साथ अनबन होती है, तो एनसीपी इसका फायदा उठाना चाहेगी। बिना किसी की बैसाखी पकड़े उसके लिए आगे का सफर तय करना आसान नहीं होगा। वैसे, शिवसेना के पास तब राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस के साथ जाने का भी विकल्प होगा। मगर चूंकि उद्धव और राज, दोनों ही चचेरे भाई उसी मराठी वोट बैंक के लिए स्पर्धा कर रहे होंगे। ऐसे में समझौता आसान नहीं होगा। हो सकता है बीजेपी राज की पार्टी को अपने साथ ले ले।
राजनीति के नित नए बदलते खेल में शरद पवार की पार्टी पाला बदलकर शिवसेना के साथ नजर आए, तो इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए। एनसीपी ने तो अभी से शिवसेना को सरकार छोड़ने पर समर्थन देने की बयानबाजी शुरू कर दी है। आज बीजेपी के साथ नजर आ रहे आठवले, शेट्टी और मेटे जैसे नेताओं की पार्टियां भी पाला बदलने के खेल में जुट गईं तो राजनीतिक चौपड़ के खेल में अनिश्चितता बढ़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

Saturday, February 7, 2015

जेएनपीटी ने एक अत्याधुनिक ट्रॉमा केयर सेंटर स्थापित करने का फैसला लिया

उरण क्षेत्र में होने वाली दुर्घटनाओं को देखते हुए अब यहां के सबसे बड़े प्रतिष्ठान जेएनपीटी ने एक अत्याधुनिक ट्रॉमा केयर सेंटर स्थापित करने का फैसला लिया है। पोर्ट सूत्रों के अनुसार इस कार्य के लिए टेंडर भी जारी कर दिए गए हैं। इस समय उरण की आबादी करीब दो लाख के आंकड़े को पार कर चुकी है जबकि अकेले जेएनपीटी में ही करीब 20 हजार से अधिक लोग काम करते हैं।
बीते एक दशक में उरण क्षेत्र में 800 से भी अधिक दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। विकासशील क्षेत्र होने बावजूद अभी तक उरण में ट्रॉमा सेंटर न होने से यहां के गंभीर मरीजों को पास के नवी मुंबई शहर तक ले जाना पड़ता है। पर इस प्रक्रिया में गोल्डन अवर में मरीजों को इलाज न मिल पाने से कई मरीजों की जान तक चली जाती है।

जेएनपीटी द्वारा प्रस्तावित इस ट्रॉमा केयर सेंटर के लिए कराल फाटा उड़ानपुल के पास 6500 वर्गफुट क्षेत्र को चुना है। इस ट्रॉमा सेंटर में 10 बिस्तरों वाला आईसीयू कमरा बनेगा। इसके साथ यहां MRI, CT स्कैन, ECG आदि मशीनों की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। अन्य तमाम आधुनिक सुविधाओं के साथ ही यहां न्यूरो सर्जन, न्यूरॉलजिस्ट, आर्थोपेडिक सर्जन और जनरल फिजिशन जैसे विशेषज्ञ मरीजों के इलाज के लिए तैनात रहेंगे।

Thursday, February 5, 2015

मुसलमानों को आरक्षण मिलना ही चाहिए

हिंदू विरोधी बयानों के लिए विवादों में रहने वाले एमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पुणे में आयोजित सभा के खिलाफ शिवसेना का उग्र रवैया देखते हुए ओवैसी ने अपने भाषण में हिंदू विरोधी एक भी शब्द भी नहीं कहा। अपने पूरे भाषण में उन्होंने मुसलमानों की खराब हालत को लेकर सरकार, पुलिस और न्यायिक व्यवस्था को दोषी ठहराया।
ओवैसी ने कहा, 'महाराष्ट्र में मुसलमानों की जनसंख्या 11 पर्सेंट है। इनमें से 70 पर्सेंट लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं। इसलिए मुसलमानों को आरक्षण मिलना ही चाहिए।' ओवैसी पुणे की दो मुस्लिम संस्थाओं मूल निवासी मंच और ऐक्शन फॉर महाराष्ट्र के एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।
ओवैसी ने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह लंदन में बने सूट पहनने की हमारी हैसियत नहीं है। देश भर में मुसलमानों की हालत खराब है। हम भी चाहते हैं कि हमारे बच्चे डॉक्टर, इंजिनियर, आईएएस और आईपीएस बनें। इसके लिए उन्हें आरक्षण की जरूरत है।' ओवैसी ने कहा कि प्रधानमंत्री का नारा है 'सबका साथ सबका विकास'। राजनीतिक दृष्टि से तो हम कभी आपके साथ नहीं होंगे, लेकिन सबका विकास आपको करना ही होगा।
ओवैसी ने अपने भाषण में सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टारगेट करते हुए सवाल किया, 'प्रधानमंत्री के मित्र अमित शाह को सोहराबुद्दीन केस में क्लीन चिट कैसे मिली? उनके मुकदमे का फैसला इतनी जल्दी कैसे आ गया, जबकि सैकड़ों मुस्लिम युवक जेलों में सड़ रहे हैं? अगर उनके खिलाफ सबूत नहीं हैं, तो उन्हें भी बरी किया जाना चाहिए।' उन्होंने संजय दत्त को जेल में मिल रहे वीआईपी ट्रीटमेंट पर भी सवाल उठाया।

ओवैसी की सभा का शिवसेना ने विरोध किया था। इसलिए पुणे पुलिस ने ओवैसी को खुली जगह में सभा करने की अनुमति नहीं दी थी। इसके बाद आयोजकों को पुणे के कैसरबाग इलाके में एक बंद हॉल में सभा की अनुमति दी गई। वहां भी शिवसैनिकों के विरोध की आशंका को देखते हुए बड़े पैमाने पर पुलिस बंदोबस्त किया गया था। शहर में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुणे और आसपास के इलाकों से बड़ी संख्या में शिवसैनिकों को हिरासत में ले रखा था।

Tuesday, February 3, 2015

फिल्म अभिनेताओं के बातचीत की जांच

वर्ली के सरदार बल्लभ भाई पटेल स्टेडिम में आयोजित फिल्म अभिनेताओं द्वारा अश्लील बातचीत मामले की जांच का आदेश राज्य सांस्कृतिक मंत्री विनोद तावडे ने दिया। इस बारे में कांग्रेस के पूर्व सांसद कृष्णा हेगडे ने सांस्कृतिक मंत्री तावडे और मुंबई पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की थी।

पटेल स्टेडिम में 20 जनवरी को एआईबी नॉकआउट कार्यक्रम में फिल्म अभिनेता अर्जुन कपूर, रणबीर सिंह, निर्माता निर्देशक करण जौहर सहित फिल्म व टीवी जगत के कई नामचीन हस्तियों ने भाग लिया था। उस कार्यक्रम का विडियों सोशल मीडिया पर घूम रहा है जो चर्चा का विषय बना हुआ है। विडियों में फिल्मी हस्तियां बेहद ही अश्लील बात करते दिखाई दे रहे हैं। उस वीडियों के बाबत हेगडे का कहना है कि चैरिटी के नाम पर ये अभिनेता जिस तरह से अश्लील बात कर रहे हैं वह बहुत ही बेहुदा है।