Wednesday, February 18, 2015

अंतिम संस्कार के वक्त नजर आया- जिंदगी भर की कमाई का हासिल

हजारों चाहने वालों की आंखों से धार-धार बहते आंसू और हिचकियां, 'ओ आबा... ओ आबा...' का दिल को बींध देने वाला आर्तनाद, हजारों लोगों के मुंह से आबा की हजारों यादें और आबा के बच्चों के शोकाकुल चेहरों में उनके भविष्य के प्रति चिंता का भाव पढ़ने की कोशिश करता विराट जनसैलाब आबा उर्फ आर.आर. पाटील की जिंदगी भर की कमाई का हासिल था जो मंगलवार को उनकी अंतिम संस्कार के वक्त नजर आया।
मंगलवार की सुबह आबा का पार्थिव मुंबई से तासगांव पहुंचा। तासगांव आबा का चुनाव क्षेत्र था, बल्कि इसे उनका किला ही कहना चाहिए। यहां के लोगों ने उन्हें 6 बार अपना विधायक चुना था। इस बार की मोदी लहर भी आबा के किले में सेंध नहीं लगा पाई थी। तासगांव के लोग आबा से कितना प्यार करते थे, इसका उदाहरण मंगलवार को सबको प्रत्यक्ष देखने को मिला। सुबह तकरीबन 9.15 बजे तासगांव से आबा के पार्थिव की अंतिम यात्रा उनके मूल गांव अंजनी के लिए रवाना हुई। तासगांव के लोगों ने उनके अंतिम यात्रा के वाहन पर जो बोर्ड लगा रखा था, उस पर लिखा था 'आपला मा‌णूस' अर्थात अपना व्यक्ति। यात्रा के पीछे था पूरे सांगली जिले से आए आबा पर प्यार करने वाले हजारों लोग का जनसैलाब। रोते, सिसकते, हिचकियां लेते लोग। अंतिम यात्रा को तासगांव से अंजनी पहुंचने में तीन घंटे लग गए।
अंजनी के हेलिपेड मैदान पर आबा के अंतिम संस्कार का चबूतरा बनाया गया था। पूरा गांव वहां जमा था। पूरे गांव में किसी घर में मंगलवार को चूल्हा नहीं जला। घर की औरतें और मर्द सारे के सारे कड़क धूप के बावजूद अपने आबा को विदा करने हेलिपेड मैदान के इर्द-गिर्द जमा थे। अनेक वीआईपी लोग आ रहे थे लेकिन अंजनी के लोगों को जैसे किसी से कोई मतलब ही नहीं था। वीआईपी लोग माइक पर भाषण की शक्ल में आबा की विशेषताओं को बता रहे थे लेकिन कोई उन्हें सुनने को तैयार नहीं था। मानो अंजनी के लोग कह रहे हों, 'तुम हमें हमारे आबा के बारे में क्या बताओगे!'
आबा के बच्चे छोटे हैं। बेटा रोहित 10वीं में है। बेटियां स्मिता और प्रियंका अभी मेडिकल और लॉ की पढ़ाई कर रही हैं। घर में ग्रामीण पत्नी और बूढ़ी मां हैं। ऐसे में आबा के अंतिम संस्कार के इंतजाम का सारा जिम्मा अजित पवार और सुप्रिया सुले ने संभाला था। उनके साथ उनकी मदद के लिए थे जयंत पाटील। आबा की पत्नी और बेटियों के साथ सांसद सुप्रिया सुले अंतिम समय तक बनी रहीं। अजित पवार और जयंत पाटील ने आबा के पार्थिव को कंधा भी दिया। इन तीनों के बीच इस बॉन्डिंग की एक खास वजह यह भी है कि तीनों एक साथ राजनीति में आए। तीनों एक ही चुनाव में विधायक चुने गए और एक ही सरकार में मंत्री बने और तीनों शरद पवार को अपना सरपरस्त मानते हैं।
एक वक्त ऐसा भी आया जब आबा के अंतिम संस्कार में भाग लेने पहुंचे लोग अपने प्रिय नेता के अंतिम दर्शन लेने के लिए अनियंत्रित होने लगे, तब आबा की बड़ी बेटी स्मिता को हाथ जोड़ कर लोगों से संयम बनाए रखने की अपील करनी पड़ी।

इस पूरे घटनाक्रम में दोपहर के 2 बज चुके थे और अब वह वक्त आ गया था जब आबा के शरीर को अग्नि के हवाले किया जाना था। उनका बेटा रोहित को 'असव्य' पहनाकर चबूतरे पर लाया गया। उसके साथ आबा की दोनों बेटियां भी थीं। तीनों ने मिलकर अपने महान दिवंगत पिता को जैसे ही मुखाग्नि दी लोगों का शोक फूट पड़ा। पूरा क्षेत्र 'आर.आर. पाटील अमर रहें' के नारों से गूंज उठा।

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