Friday, February 20, 2015

सरकार से नाराज , परंतु सरकार का साथ नहीं छोड़ेंगे

फडणवीस सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार का मामला अधर में लटक गया है। मार्च से शुरू हो रहे बजट सत्र से पहले मंत्रिमंडल के विस्तार की संभावना कम ही है। इससे नाराज सहयोगी दलों के तेवर बदल गए हैं। अब वे सरकार के खिलाफ बिगुल बजाने की तैयारी में हैं, जिसका नेतृत्व आरपीआई (आठवले) के प्रमुख रामदास आठवले कर रहे हैं। उन्होंने आगामी शनिवार को एमआईजी क्लब में सहयोगी दलों की विशेष बैठक बुलाई है।
बीती 7 फरवरी को बीजेपी सरकार के 100 दिन पूरे हो गए। नागपुर अधिवेशन से ठीक पहले बीजेपी सरकार में शिवसेना ने एंट्री दी। उससे पहले शिवसेना प्रमुख विरोधी दल थी। उस वक्त दोनों की सत्ताधारी दल की ओर से कहा गया था कि नागपुर अधिवेशन खत्म होने के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार होगा। बीजेपी ने अपने सहयोगी दल राष्ट्रीय समाज पक्ष के अध्यक्ष महादेव जानकर, आरपीआई के रामदास आठवले, शेतकरी संगठन के राजू शेट्टी और शिव संग्राम के विनायक मेटे को आश्वासन दिया था कि उनकी पार्टी के लोगों को भी जल्द ही मंत्रिमंडल में शामिल करेंगे। बजट सत्र 9 मार्च से शुरू हो रहा है।
इस बीच शिवसेना-बीजेपी के बीच मनमुटाव काफी बढ़ गया। दोनों दलों के राज्यमंत्रियों ने एक-दूसरे पर कई तरह के आरोप लगाए। सरकार चलाने के लिए बीजेपी-शिवसेना ने मिलकर समन्वय समिति का गठन किया लेकिन उस समन्वय समिति में घटक दल को कोई स्थान नहीं दिया गया। यही बात सहयोगी दलों को अखर रही है। गुरुवार को आठवले ने बागी रुख दिखाया। समन्वय समिति में स्थान नहीं देने के मामले को सहयोगी दल अपने मान-सम्मान से जोड़कर देख रहे हैं। आठवले का कहना है कि सरकार बनाने में हम सभी सहयोगी दलों का योगदान रहा है, फिर भी सत्ता में हमें कोई स्थान नहीं दिया और न ही समन्वय समिति में रखा गया। आठवले ने बीजेपी को याद दिलाया कि मंत्रिमंडल में शामिल करने का वादा अब तक पूरा नहीं किया है।

मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिलने से आठवले भले ही सरकार से नाराज हो, परंतु वे बीजेपी-शिवसेना सरकार का साथ नहीं छोड़ेंगे। उल्टे आठवले को बीजेपी-शिवसेना के बीच जारी विवाद सता रहा है। उन्होंने दोनों ही दलों से अपील की है कि वे अपने आपसी विवाद खत्म करें।

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