Monday, February 28, 2011

धार्मिक स्थलों पर फिर से तोड़क कार्रवाई शुरू

महानगर में गैरकानूनी रूप से बनाए गएJustify Full धार्मिक स्थलों पर फिर से तोड़क कार्रवाई शुरू की गई है । इस महीने में कुल 729 धार्मिक स्थल तोड़े जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इससे पहले भी बीएमसी ने धार्मिक स्थलों पर तोड़क कार्रवाई की थी, जिसका भारी विरोध भी हुआ था, मगर कोर्ट का ऑर्डर होने से विरोध करने के लिए खुलकर सामने नहीं आ सके। बीएमसी ने तोड़क कार्रवाई की रिपोर्ट कोर्ट दी थी, जिसमें उन्होंने बाकी के बचे धार्मिक स्थलों पर भी तोड़क कार्रवाई का वादा किया था। अब, फिर से बीएमसी तोड़क कार्रवाई पर निकल पड़ी है। वैसे, यह कार्रवाई वार्ड स्तर पर की जा रही है। डेप्युटी म्यूनिसिपल कमिश्नर (स्पेशल) राजेंद्र भोसले ने बताया कि गैरकानूनी रूप से बनाए गए धार्मिक स्थलों का आठ महीने सर्वे कराया था। नोटिस जारी कर उनके कागजात भी मांगे थे। यह तोड़क कार्रवाई वार्ड के असिस्टेंट इंजिनियर (मेनटेंनेंस डिपार्टमेंट) के लोग करेंगे, मगर जहां पर उन्हें हमारी जरूरत पड़ेगी, उनकी मदद करेंगे। सड़क, फुटपाथ जैसे स्थानों पर जहां कही भी गैरकानूनी धार्मिक स्थल बनाए गए हैं, उन्हें तोड़ा जाएगा। मार्च महीने में तोड़क कार्रवाई पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

Friday, February 25, 2011

घोटाले की जांच के लिए गठित संसद की जेपीसी में शिवसेना शामिल नहीं होगी।

टू-जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच के लिए गठित संसद की जेपीसी में शिवसेना शामिल नहीं होगी। पार्टी सूत्रों ने दावा किया कि पार्टी इस 'गड़बड़ झाले' में पड़ना नहीं चाहती। पार्टी का तर्क ये है कि संसदीय जांच समिति को 2-जी घोटाले के साथ ही कॉमनवेल्थ घोटाले, आदर्श घोटाले जैसे दूसरे घोटालों की भी जांच करनी चाहिए। उनके अनुसार, सिर्फ 2-जी घोटाले की जांच से काम पूरा नहीं होगा। पार्टी सूत्रों ने इस मामले में शिवसेना ने महाराष्ट्र में अपने साथी दल बीजेपी की भूमिका पर भी प्रश्नचिह्न लगाया है। बताया जा रहा है कि शिवसेना नेता ये पूछ रहे हैं कि विपक्ष सिर्फ 2-जी घोटाले की जांच पर कैसे मान गया? इस मामले में उसके और सत्ता पक्ष के बीच क्या सेटेलमेंट हुआ? इस 'गड़बड़ झाले' में शिवसेना नहीं पड़ना चाहती। इसलिए शिवसेना जेपीसी से दूर ही रहेगी। हालांकि बीजेपी ये दावा कर रही है कि चूंकि शिवसेना के राज्यसभा सदस्य राजकुमार धूत के भाई वेणुगोपाल धूत से 2-जी घोटाले को पूछताछ हुई है, इसलिए वे जेपीसी में शामिल नहीं होना चाहती। दोनों पार्टियों ने अधिकारिक तौर पर किसी तरह की टीका-टिप्पणी नहीं की है। लोकसभा और राज्यसभा के 30 सदस्यीय संसदीय जांच समिति में बीजेपी को कुल छह स्थान मिले थे। इसमें लोकसभा के पांच सदस्यों में से एक स्थान शिवसेना को देने की पेशकश की गई थी। बीजेपी ने लोकसभा के लिए जसवंत सिंह, यशवंत सिन्हा और हरिन पाठक और राज्यसभा से एस.एस. अहलुवालिया और रविशंकर प्रसाद को सदस्य बनाया था। शिवसेना के इनकार के बाद इस जगह गोपीनाथ मुंडे को सदस्य बनाया गया है।

Tuesday, February 22, 2011

फहीम अंसारी और सबाउद्दीन अहमद के बरी होने ने उसकी जांच पर फिर नए सिरे से सवाल


26/11 मामले में अजमल कसाब को बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा सोमवार को फांसी की सजा की पुष्टि से भले ही मुंबई क्राइम ब्रांच अपनी पीठ थपथपाए , लेकिन इस केस में फहीम अंसारी और सबाउद्दीन अहमद के बरी होने ने उसकी जांच पर फिर नए सिरे से सवाल उठा दिए हैं। फहीम और सबाउद्दीन को निचली अदालत ने भी बरी कर दिया था। दो - दो अदालतों के एक जैसे फैसले के बाद अब यह एकदम साफ हो गया है कि 26/11 को मुंबई में जिन जगहों पर दस आतंकवादियों ने फिदायीन हमला किया था , उन जगहों की रेकी फहीम या सबाउद्दीन ने नहीं , बल्कि डेविड हेडली ने लश्कर के कई आकाओं और तहव्वुर राना के कहने पर की थी। 26/11 से पांच दिन पहले तक राना मुंबई में ही था। लेकिन जब 26/11 का मुकदमा शुरू हुआ , तो हेडली और राना की साजिश का किसी को सुराग ही नहीं था। इसलिए मुकदमे के शुरुआती दौर में मुंबई क्राइम ब्रांच की कहानी को सच माना जाता रहा। अक्टूबर 2009 में हेडली और राना जब अमेरिका में गिरफ्तार हुए , उसी के बाद से तमाम लोगों का शक बढ़ गया कि फहीम और सबाउद्दीन को इस केस में गलत फंसाया गया है। इसकी मूल वजह यह थी कि दोनों ही आरोपी 26/11 के दिन ही नहीं , उससे सात महीने पहले से यूपी की जेल में बंद थे। मुकदमे के दौरान अपनी बात साबित करने के लिए मुंबई क्राइम ब्रांच नुरुद्दीन नामक गवाह की गवाही पर निर्भर रही , जिसने दावा किया कि फहीम ने जब नेपाल में सबाउद्दीन को नक्शा सौंपा , उस समय वह वहां मौजूद था। मुंबई क्राइम ब्रांच का दावा था कि ये नक्शे फहीम ने उस वक्त मुंबई की रेकी के दौरान बनाए थे , जब वह यूपी की जेल में बंद नहीं था। पर फैसले के दौरान अदालत ने कहा था कि पुलिस ने इस बात के कोई सबूत नहीं दिए कि नुरुद्दीन नेपाल गया था। मुंबई क्राइम ब्रांच ने फहीम द्वारा बनाया नक्शा पेश करते हुए कहा था कि यह नक्शा गिरगांव एनकाउंटर में मारे गए अबू इस्माइल की जेब से मिला था। लेकिन 26/11 का फैसला सुनाते वक्त जज तहिलियानी ने कहा था कि एनकाउंटर के बाद इस्माइल खून से लथपथ हो गया था। उसके कपड़े भी सन गए थे। लेकिन क्राइम ब्रांच ने जो नक्शा सबूत के तौर पर पेश किया , उसमें न तो कोई खून का निशान था और न ही वह कटा - फटा था। जिरह के दौरान बचाव पक्ष द्वारा यही मुद्दा हाई कोर्ट में भी उठाया गया।

Wednesday, February 16, 2011

पृथ्वीराज चव्हाण ने विधानसभा के बजाए विधानपरिषद से

मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने विधानसभा के बजाए विधानपरिषद से चुनाव लड़ने का निर्णय किया है। निकट सूत्रों ने बताया कि वे कराड से विधानसभा का उपचुनाव लड़ना चाहते थे , पर हाईकमान को यह समय कांग्रेस के लिए उचित नहीं लग रहा है। अत : उन्हें वरिष्ठों के सदन का मेंबर बन जाने की सलाह दी गई है। उनके लिए महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री संजय दत्त को सीट खाली करने को कहा जाएगा। पहले कहा जा रहा था कि प्रदेशाध्यक्ष माणिकराव ठाकरे की जगह चव्हाण को विधानपरिषद में चुना जाएगा पर उनका टर्म जुलाई 2012 में ही खत्म हो रहा है। ठाकरे की जगह चव्हाण को चुना गया तो 2012 में उन्हें वापस चुनाव लड़ना पड़ सकता है। दत्त का टर्म जुलाई 2016 तक है। संजय दत्त ने एनबीटी को बताया कि अभी तक तो दिल्ली से किसी ने उन्हें सीट खाली करने का आदेश नहीं दिया है पर जब भी हाईकमान कहेगी , वे विधानपरिषद से इस्तीफा दे देंगे। गत 20 साल से वे कांग्रेस के निष्ठावान कार्यकर्ता रहे हैं , अत : वे विधानपरिषद की सीट छोड़ने के बदले कुछ दिए जाने का मुद्दा उपस्थित नहीं करेंगे , हाईकमान जो कहेगा , वह करेंगे।

Monday, February 14, 2011

माहिम की दो महीने से लापता चार बहनों की गुत्थी अभी भी नहीं सुलझ रही

माहिम की दो महीने से लापता चार बहनों की गुत्थी अभी भी नहीं सुलझ रही है। तेजस्विनी , लक्ष्मी और गौरी वर्मा व सना शेख नामक इन बच्चियों की उम्र साढ़े तीन साल से 10 साल के बीच है। ये 27 नवंबर , 2010 से लापता हैं। तेजस्विनी , लक्ष्मी और गौरी की मां उज्ज्वला दादर में छबीलदास मार्ग में कंगन बेचने का काम करती है , जबकि सना की मां रेशमा सात रास्ता में एसीटी बूथ में काम करती है। रेशमा और उज्ज्वला दोनों के ही पति उनके साथ नहीं हैं , इसलिए दोनों माहिम में नया नगर इलाके में अपने बच्चों के साथ एक ही घर में रहती थीं। चूंकि बच्चियों में तेजस्विनी उम्र में सबसे बड़ी है , इसलिए उज्ज्वला और रेशमा के काम पर जाने के बाद वही अपनी छोटी बहनों को संभालती थी। पहले तेजस्विनी , 14 सितंबर , 2010 को घर से गायब हुई , लेकिन दो दिन बाद वह वापस घर लौट आई। 20 सितंंबर को वह फिर अपनी दो बहनों लक्ष्मी और गौरी को लेकर घर से गायब हुई। इस बार वह अपनी बहनों के साथ एक हफ्ते बाद सोलापुर में अपनी नानी के यहां मिली। पहले उज्ज्वला ने भगवान कांबले नामक व्यक्ति से शादी की थी , जो सोलापुर में रहते थे। तेजस्विनी उसी की बच्ची है। बाद में उज्ज्वला ने अरविंद वर्मा नामक व्यक्ति से शादी की। लक्ष्मी और गौरी के मूल पिता अरविंद वर्मा हैं। पुलिस सूत्रों के अनुसार सोलापुर में नानी के घर मिलने के बाद तेजस्विनी , लक्ष्मी और गौरी को वापस मुंबई लाया गया। लेकिन 27 नवंबर , 2010 को तेजस्विनी अपने घर से फिर गायब हो गई। इस बार उसके साथ लक्ष्मी और गौरी ही गायब नहीं हुईं , रेशमा की बेटी सना भी लापता हो गई। माहिम पुलिस ने अब इन बहनों को ढूंढने के लिए एक स्पेशल दस्ता बनाया है।

Tuesday, February 8, 2011

हिंदी भाषी कार्यकर्ताओं को तो वह बिल्कुल पसंद नहीं गोपीनाथ मुंडे की पेशकश

एमएनएस से गठबंधन करने की गोपीनाथ मुंडे की पेशकश को बीजेपी ने बहुत गंभीरता से नहीं लिया है। हिंदी भाषी कार्यकर्ताओं को तो वह बिल्कुल पसंद नहीं आया है। एमएनएस के हिंदी विरोधी रुख का उल्लेख करते हुए यह सवाल पूछा जा रहा है कि क्या बीजेपी हाईकमान को मनसे से दोस्ती मंजूर है? सूत्रों ने बताया कि मुंडे ने औरंगाबाद में बयान करने से पहले पार्टी के नेताओं, यहां तक कि अध्यक्ष नितिन गडकरी से भी मश्विरा नहीं किया था। इसलिए जब सार्वजनिक रूप से उन्होंने बयान किया तो सभी हैरत में पड़ गए। महाराष्ट्र बीजेपी के महासचिव विनोद तावडे ने एनबीटी को बताया कि जब तक एमएनएस हिंदी विरोधी रुख नहीं बदलती, तब तक मुझे नहीं लगता कि बीजेपी उससे गठबंधन कर सकेगी। बीजेपी राष्ट्रीय पार्टी है और शिवसेना से उसका गठबंधन हिंदुत्व के आधार पर है। जब वह सिर्फ मराठी के मुद्दे पर लड़ रही थी तब तक बीजेपी का उससे गठबंधन नहीं था। उन्होंने यह भी कहा कि अब तक एमएनएस ने ऐसा कोई संकेत नही दिया है कि वह एंटी हिंदी रुख बदल रही है।

Thursday, February 3, 2011

साधारण सभा की बैठकों से अक्सर गायब नगरसेवक

अपनी आवाज बुलंद करने के लिए आप जिन नगरसेवकों को चुनते हैं उनमें कई सारे ऐसे नगरसेवक हैं, जो बीएमसी साधारण सभा की बैठकों से अक्सर गायब रहते हैं जबकि बीएमसी की ओर से उन्हें हर माह मानधन मिलता है। इनकी अनुपस्थित के चलते आप के क्षेत्र की समस्या अधिकारियों तक नहीं पहुंच पाती इसलिए अगली बार जब आप मतदान करे तब इस बात पर निश्चित ही गौर फरमाइए। मुंबईकर अपनी समस्या को बीएमसी कमिश्नर तक पहुंचाने के लिए 227 नगरसेवकांे का चुनाव करते हंै। इन नगरसेवकों का कार्यकाल पांच साल का होता है। एक अप्रैल, 2009 से 31 मार्च 2010 तक बीएमसी की कुल 59 साधारण सभा की बैठकें हुई जिनमें महज दो नगरसेवकों ने सभी 59 बैठकों में हिस्सा लिया जिनमें एक कांग्रेस की प्रेमा विजय सिंह हैं और दूसरे एनसीपी के मंगेश बंसोड ही हैं। मेयर श्रद्धा जाधव, वंदना गवली, पार्वती गोरीवले, मीना देसाई, शांताराम भोसले, रमाकांत रहाटे और विद्या भोईर ने 58 बैठकों में भाग लिया। सबसे ज्यादा बैठकों में भाग लेने वालों में महिलाओं की संख्या पुरुषों से कहीं ज्यादा है, परंतु अनुपस्थित रहने वाले नगरसेवकों में महिलाओं की संख्या ज्यादा है। हर साल की तरह इस साल भी कांगे्रस के नगरसेवकों ने यह रिकॉर्ड कायम रखा है। कांग्रेस के नौ, जबकि शिवसेना, एनसीपी, मनसे, आरपीआई आठवले और समाजवादी पार्टी के एक-एक नगरसेवक साधारण सभा की 50 फीसदी बैठकों में भाग नहीं लिया और ये ऐसे नगरसेवक हैं, जिन्होंने अपने गैरहाजिर होने के कारण भी अपनी पार्टी को बताना उचित नहीं समझा। यह तो छोडि़ए कांग्रेस ने नामांकित नगरसेवक के तौर पर मुलुंड के सुरेश गंगवानी को नियुक्ति किया मगर उनका नाक भी गायब हरने वालों की लिस्ट में शामिल है। अनुपस्थित रहने के कारण पूछने पर नगरसेवक का अपना-अपना तर्क है। कइयों ने अपनी तबियत नासाज होने का कारण बताया तो कई ने पारिवारिक कारण बताया। हालांकि कइयों ने दावा किया उन्होंने छुट्टी की अर्जी दी थी मगर पता नहीं क्यांे उनकी छुट्टी मंजूर की गई। लगातार गैरहाजिर रहने से जा सकता है पद साधारण सभा की बैठकों से लगातार गायब रहने वाले नगरसेवकों का पद रद्द भी हो सकता है। बीएमसी अधिनियम 1888 के तहत बिना किसी सूचना के अगर कोई नगरसेवक लगातार तीन महीने तक गायब रहता है तब उसका नगरसेवक पद रद्द हो सकता है। पिछले साल के कार्यकाल के दौरान कमलेश राय का नगरसेवक पद्द इसी के चलते रद्द कर दिया गया था। दरअसल, राय ने शिवसेना पार्टी से चुनाव लड़ा था, मगर बीच में ही उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया इसलिए ज्यादातर बैठकों से वे अनुपस्थित रहे। हालांकि, अपने गैरहाजिर रहने के कारणों की सूचना उन्होंने शिवसेना पार्टी को दिया था, पर पार्टी ने उनकी छुट्टी मंजूर नहीं की। इसके चलते उनका नगरसेवकी भी रद्द कर दी गई थी। वैसे छुट्टी लेकर कोई भी नगरसेवक लगातार एक साल तक छुट्टी पर रह सकता है मगर उस साल की अंतिम बैठक उस नगरसेवक को उपस्थित रहना जरूरी है। मानधन भी लेते है फिर भी नहीं आते बीएमसी साधारण सभा की बैठक ज्वाइन करने के लिए प्रत्येक नगरसेवक को बीएमसी भत्ता भी देती है। भत्ता लेते हैं मगर बैठक से गायब रहते हैं। प्रति बैठक में शामिल होने के लिए उन्हें 150 रुपये मिलते हैं। इसके अलावा मानधन के तौर पर उन्हें प्रति माह 10 हजार रुपये मिलते हंै। इसके अलावा अपने चुनाव क्षेत्र को डिवेलपमेंट करने के लिए एक साल नगरसेवक को 35 लाख रुपये नगरसेवक फंड के रूप में जबकि विकास निधि के तौर पा एक करोड़ रुपये हर साल मिलते हैं

Tuesday, February 1, 2011

विभिन्न ऑप्शनों पर विचार

मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण के चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी विभिन्न ऑप्शनों पर विचार कर रही है। इसमें एक यह है कि प्रदेशाध्यक्ष माणिकराव ठाकरे की विधानपरिषद की सीट से चव्हाण की राज्यसभा की सीट की अदला-बदली की जाए। यानी ठाकरे को राज्यसभा भेजकर उनकी जगह चव्हाण को विधानपरिषद में निर्वाचित किया जाए। राज्य के नेताओं को यही ऑप्शन राजनीतिक दृष्टि से सही और सुविधाजनक लग रहा है। इसलिए कि ठाकरे की टर्म का अभी साढ़े चार साल बचा है। हालांकि मुख्यमंत्री ने अभी तय नहीं किया है कि वे विधानपरिषद से चुनाव चाहते हैं या विधानसभा से! चव्हाण के गृह-क्षेत्र सातारा जिले के खटाव-माण विधानसभा सीट के निर्दलीय सदस्य जयकुमार गोरे ने भी चव्हाण के लिए सीट खाली करने का ऑफर किया है। किंतु वह सीट कांग्रेस-एनसीपी समझौते में एनसीपी कोटे की है। अत: इस बात को लेकर असमंजस है कि वह सीट सुविधाजनक होगी या नहीं। चव्हाण के लिए विधानपरिषद को ही सही माना जा रहा है। आदर्श घोटाले के कारण अशोक चव्हाण को हटाए जाने के बाद गत दिसंबर में पृथ्वीराज मुख्यमंत्री बने। उन्हें छह माह के भीतर दोनों में से किसी एक सदन का सदस्य बनना होगा। इस बीच विधान परिषद की दो सीटों के लिए उपचुनाव की मंगलवार को घोषणा की गई। शिवसेना के किरण पावसकर द्वारा इस्तीफे और एनसीपी के गुरूनाथ कुलकर्णी के निधन के कारण दो स्थान रिक्त हुए है। यह चुनाव 21 फरवरी को होगा। पावसकर की सीट पर शिवसेना का दावा होगा और कुलकर्णी की सीट पर एनसीपी का ही उम्मीदवार होने की संभावना है। पावसकर चूंकि एनसीपी में गए है। दोनों सीटों पर उसी की उम्मीदवार को खड़े किए जाने के आसार है। मुख्यमंत्री के लिए यदि दो में से एक सीट मांगी गई तो एनसीपी देने को तैयार होगी, पर कांग्रेसी सूत्रों ने बताया कि वह ऐसी मांग करने के मूड में नहीं है। यह भी बताया गया कि माणिकराव ठाकरे को यदि चव्हाण की जगह राज्यसभा की सीट दी गई तो उन्हें प्रदेशाध्यक्ष पद पर कायम रखा जाएगा।