Friday, February 25, 2011

घोटाले की जांच के लिए गठित संसद की जेपीसी में शिवसेना शामिल नहीं होगी।

टू-जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच के लिए गठित संसद की जेपीसी में शिवसेना शामिल नहीं होगी। पार्टी सूत्रों ने दावा किया कि पार्टी इस 'गड़बड़ झाले' में पड़ना नहीं चाहती। पार्टी का तर्क ये है कि संसदीय जांच समिति को 2-जी घोटाले के साथ ही कॉमनवेल्थ घोटाले, आदर्श घोटाले जैसे दूसरे घोटालों की भी जांच करनी चाहिए। उनके अनुसार, सिर्फ 2-जी घोटाले की जांच से काम पूरा नहीं होगा। पार्टी सूत्रों ने इस मामले में शिवसेना ने महाराष्ट्र में अपने साथी दल बीजेपी की भूमिका पर भी प्रश्नचिह्न लगाया है। बताया जा रहा है कि शिवसेना नेता ये पूछ रहे हैं कि विपक्ष सिर्फ 2-जी घोटाले की जांच पर कैसे मान गया? इस मामले में उसके और सत्ता पक्ष के बीच क्या सेटेलमेंट हुआ? इस 'गड़बड़ झाले' में शिवसेना नहीं पड़ना चाहती। इसलिए शिवसेना जेपीसी से दूर ही रहेगी। हालांकि बीजेपी ये दावा कर रही है कि चूंकि शिवसेना के राज्यसभा सदस्य राजकुमार धूत के भाई वेणुगोपाल धूत से 2-जी घोटाले को पूछताछ हुई है, इसलिए वे जेपीसी में शामिल नहीं होना चाहती। दोनों पार्टियों ने अधिकारिक तौर पर किसी तरह की टीका-टिप्पणी नहीं की है। लोकसभा और राज्यसभा के 30 सदस्यीय संसदीय जांच समिति में बीजेपी को कुल छह स्थान मिले थे। इसमें लोकसभा के पांच सदस्यों में से एक स्थान शिवसेना को देने की पेशकश की गई थी। बीजेपी ने लोकसभा के लिए जसवंत सिंह, यशवंत सिन्हा और हरिन पाठक और राज्यसभा से एस.एस. अहलुवालिया और रविशंकर प्रसाद को सदस्य बनाया था। शिवसेना के इनकार के बाद इस जगह गोपीनाथ मुंडे को सदस्य बनाया गया है।

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