Thursday, February 3, 2011

साधारण सभा की बैठकों से अक्सर गायब नगरसेवक

अपनी आवाज बुलंद करने के लिए आप जिन नगरसेवकों को चुनते हैं उनमें कई सारे ऐसे नगरसेवक हैं, जो बीएमसी साधारण सभा की बैठकों से अक्सर गायब रहते हैं जबकि बीएमसी की ओर से उन्हें हर माह मानधन मिलता है। इनकी अनुपस्थित के चलते आप के क्षेत्र की समस्या अधिकारियों तक नहीं पहुंच पाती इसलिए अगली बार जब आप मतदान करे तब इस बात पर निश्चित ही गौर फरमाइए। मुंबईकर अपनी समस्या को बीएमसी कमिश्नर तक पहुंचाने के लिए 227 नगरसेवकांे का चुनाव करते हंै। इन नगरसेवकों का कार्यकाल पांच साल का होता है। एक अप्रैल, 2009 से 31 मार्च 2010 तक बीएमसी की कुल 59 साधारण सभा की बैठकें हुई जिनमें महज दो नगरसेवकों ने सभी 59 बैठकों में हिस्सा लिया जिनमें एक कांग्रेस की प्रेमा विजय सिंह हैं और दूसरे एनसीपी के मंगेश बंसोड ही हैं। मेयर श्रद्धा जाधव, वंदना गवली, पार्वती गोरीवले, मीना देसाई, शांताराम भोसले, रमाकांत रहाटे और विद्या भोईर ने 58 बैठकों में भाग लिया। सबसे ज्यादा बैठकों में भाग लेने वालों में महिलाओं की संख्या पुरुषों से कहीं ज्यादा है, परंतु अनुपस्थित रहने वाले नगरसेवकों में महिलाओं की संख्या ज्यादा है। हर साल की तरह इस साल भी कांगे्रस के नगरसेवकों ने यह रिकॉर्ड कायम रखा है। कांग्रेस के नौ, जबकि शिवसेना, एनसीपी, मनसे, आरपीआई आठवले और समाजवादी पार्टी के एक-एक नगरसेवक साधारण सभा की 50 फीसदी बैठकों में भाग नहीं लिया और ये ऐसे नगरसेवक हैं, जिन्होंने अपने गैरहाजिर होने के कारण भी अपनी पार्टी को बताना उचित नहीं समझा। यह तो छोडि़ए कांग्रेस ने नामांकित नगरसेवक के तौर पर मुलुंड के सुरेश गंगवानी को नियुक्ति किया मगर उनका नाक भी गायब हरने वालों की लिस्ट में शामिल है। अनुपस्थित रहने के कारण पूछने पर नगरसेवक का अपना-अपना तर्क है। कइयों ने अपनी तबियत नासाज होने का कारण बताया तो कई ने पारिवारिक कारण बताया। हालांकि कइयों ने दावा किया उन्होंने छुट्टी की अर्जी दी थी मगर पता नहीं क्यांे उनकी छुट्टी मंजूर की गई। लगातार गैरहाजिर रहने से जा सकता है पद साधारण सभा की बैठकों से लगातार गायब रहने वाले नगरसेवकों का पद रद्द भी हो सकता है। बीएमसी अधिनियम 1888 के तहत बिना किसी सूचना के अगर कोई नगरसेवक लगातार तीन महीने तक गायब रहता है तब उसका नगरसेवक पद रद्द हो सकता है। पिछले साल के कार्यकाल के दौरान कमलेश राय का नगरसेवक पद्द इसी के चलते रद्द कर दिया गया था। दरअसल, राय ने शिवसेना पार्टी से चुनाव लड़ा था, मगर बीच में ही उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया इसलिए ज्यादातर बैठकों से वे अनुपस्थित रहे। हालांकि, अपने गैरहाजिर रहने के कारणों की सूचना उन्होंने शिवसेना पार्टी को दिया था, पर पार्टी ने उनकी छुट्टी मंजूर नहीं की। इसके चलते उनका नगरसेवकी भी रद्द कर दी गई थी। वैसे छुट्टी लेकर कोई भी नगरसेवक लगातार एक साल तक छुट्टी पर रह सकता है मगर उस साल की अंतिम बैठक उस नगरसेवक को उपस्थित रहना जरूरी है। मानधन भी लेते है फिर भी नहीं आते बीएमसी साधारण सभा की बैठक ज्वाइन करने के लिए प्रत्येक नगरसेवक को बीएमसी भत्ता भी देती है। भत्ता लेते हैं मगर बैठक से गायब रहते हैं। प्रति बैठक में शामिल होने के लिए उन्हें 150 रुपये मिलते हैं। इसके अलावा मानधन के तौर पर उन्हें प्रति माह 10 हजार रुपये मिलते हंै। इसके अलावा अपने चुनाव क्षेत्र को डिवेलपमेंट करने के लिए एक साल नगरसेवक को 35 लाख रुपये नगरसेवक फंड के रूप में जबकि विकास निधि के तौर पा एक करोड़ रुपये हर साल मिलते हैं

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