Tuesday, February 8, 2011

हिंदी भाषी कार्यकर्ताओं को तो वह बिल्कुल पसंद नहीं गोपीनाथ मुंडे की पेशकश

एमएनएस से गठबंधन करने की गोपीनाथ मुंडे की पेशकश को बीजेपी ने बहुत गंभीरता से नहीं लिया है। हिंदी भाषी कार्यकर्ताओं को तो वह बिल्कुल पसंद नहीं आया है। एमएनएस के हिंदी विरोधी रुख का उल्लेख करते हुए यह सवाल पूछा जा रहा है कि क्या बीजेपी हाईकमान को मनसे से दोस्ती मंजूर है? सूत्रों ने बताया कि मुंडे ने औरंगाबाद में बयान करने से पहले पार्टी के नेताओं, यहां तक कि अध्यक्ष नितिन गडकरी से भी मश्विरा नहीं किया था। इसलिए जब सार्वजनिक रूप से उन्होंने बयान किया तो सभी हैरत में पड़ गए। महाराष्ट्र बीजेपी के महासचिव विनोद तावडे ने एनबीटी को बताया कि जब तक एमएनएस हिंदी विरोधी रुख नहीं बदलती, तब तक मुझे नहीं लगता कि बीजेपी उससे गठबंधन कर सकेगी। बीजेपी राष्ट्रीय पार्टी है और शिवसेना से उसका गठबंधन हिंदुत्व के आधार पर है। जब वह सिर्फ मराठी के मुद्दे पर लड़ रही थी तब तक बीजेपी का उससे गठबंधन नहीं था। उन्होंने यह भी कहा कि अब तक एमएनएस ने ऐसा कोई संकेत नही दिया है कि वह एंटी हिंदी रुख बदल रही है।

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