Tuesday, May 31, 2011
गिरफ्तार प्रशांत शिंदे और प्रिया वैद्य को पुलिस हिरासत में
Friday, May 27, 2011
जहां आदर्श सोसायटी स्थित है, वह प्लॉट महाराष्ट्र सरकार का
आदर्श घोटाले की जांच के लिए गठित दो सदस्यीय आयोग के समक्ष दायर हलफनामे में पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ' जहां आदर्श सोसायटी स्थित है, वह प्लॉट महाराष्ट्र सरकार का है। यह रक्षाकर्मियों या करगिल के युद्ध नायकों के लिए आरक्षित नहीं था। ' शिन्दे ने कहा कि सरकार ने आदर्श सोसायटी को सभी दस्तावेजों की उचित जांच के बाद ही भूमि का आवंटन किया। हलफनामे में कहा गया है कि 18 जनवरी 2003 के आशय पत्र में यह स्पष्ट किया गया था कि भूमि जुलाई 1999 के सरकारी प्रस्ताव (जीआर) के अनुरूप आवंटित की गई थी, जिसमें युद्ध नायकों के लिए आरक्षण प्रदान नहीं किया गया था। शिन्दे ने हलफनामे में कहा कि मुख्यमंत्री के रूप में मई 2003 से नवंबर 2004 तक मेरे कार्यकाल में मुझे आदर्श सोसायटी को भूमि आवंटन में कथित अनियमितता की कोई शिकायत नहीं मिली। ' हलफनामा आयोग द्वारा महीने के शुरू में भेजे गए सम्मन के जवाब में दायर किया गया। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को भी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया गया था। उन्होंने इसके लिए 13 जून तक का समय मांगा, जिसकी स्वीकृति मिल गई।
Friday, May 20, 2011
वालकेश्वर में 16 इंच की एक पानी की पाइप लाइन फट गई।
Monday, May 16, 2011
प्राइवेट सोसायटी के लोग अपने कुओं से पानी बेच सकते हैं
प्राइवेट सोसायटी के लोग अपने कुओं से पानी बेच सकते हैं, क्योंकि बीएमसी ने ऐसा कोई नियम कानून ही नहीं बनाया है जिससे उन पर किसी तरह की पाबंदी लगाई जा सके। पिछले दिनों बीएमसी कमिश्नर ने साफ कर दिया कि निजी सोसायटी अपने कुओं का पानी बेच सकते हैं, उन पर कोई प्रतिबंध नहीं है। पिछले एक साल से मुंबई भारी पानी की समस्या से जूझ रही है। लोगों को जितने पानी की जरूरत है उतना पानी नहीं मिल रहा है। ऐसे में महानगर की कई प्राइवेट सोसायटियों ने अपने परिसर में ही कुआं खोद दिया जिससे कुछ हद तक उन्हें राहत मिली, मगर कई सोसायटियों ने पानी बेचने का कारोबार शुरू कर दिया है। बताया जाता है कि पानी खरीदने वाले सोसायटी को एक हजार से 1000-1500 रुपये में प्रति बड़े टैंकर (10 हजार लीटर) देते हैं लेकिन पानी का कारोबार करने वाले माफिया कितने में बेचते हैं इसका सही आंकड़ा कोई बताने के लिए तैयार नहीं है। आमतौर पर पानी का कारोबार करने वाले लोग सोसायटी का पानी होटल व निर्माण कार्य करने वालों को बेचते हैं। पानी का कारोबार करने वालों के बाबत कई सोसायटियों के सदस्यों ने विरोध किया है। बीएमसी का ध्यान भी खींचा है, मगर बीएमसी इस संबंध में कुछ नहीं कर पा रही है क्योंकि प्राइवेट सोसायटियों के पानी बेचने पर किसी तरह का कोई नियम-कानून नहीं है जिससे बीएमसी अधिकारी चाह कर भी उन्हें पानी बेचने से रोक नहीं पाते। गौर करने की बात यह है कि बिना बीएमसी की अनुमति से कोई कुआं या हैंडपंप नहीं लगा सकता। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि आखिर जब कुआं खोदने के लिए बीएमसी की अनुमति लेनी पड़ती है तो बीएमसी उसका पानी बेचने पर पाबंदी क्यांे नहीं लगा सकती। म्यूनिसिपल कमिश्नर सुबोध कुमार ने बताया कि सोसायटी को पानी बेचने ने बीएमसी नहीं रोक सकती।
Tuesday, May 10, 2011
साठ हजार रुपये की
छोटे से काम के लिए जिस शख्स को रोज सौ रुपये दिए जाते थे ,वह बाद में साठ हजार रुपये की लूट का कारण बन जाएगा ,इसकी दीपा साटम ने कभी कल्पना भी नहीं की थी। लेकिनयोगेश गावडे ने ऐसा ही किया। योगेश को चार अन्य आरोपियोंके साथ सीनियर इंस्पेक्टर शिवाजी राव कोलेकर ने सोमवार रातगिरफ्तार किया।
पुलिस के अनुसार दीपा साटम मेघवाडी स्थित नाइस मार्केटिंग केदफ्तर में बतौर सहायक काम करती है। इस कंपनी का मूलमालिक कोई कोटियन है , जो दफ्तर बहुत ही कम आता है। इसदफ्तर में दीपा के साथ एक नौकर भी काम करता है , लेकिनसोमवार को वह छुट्टी पर था। इस मार्केटिंग कंपनी का मूल कामकार और ऑटो रिक्शा लोन को किसी फाइनेंस या लोन कंपनी से मंजूर करवाना होता है , जिसके बदले में इस मार्केटिंगकंपनी को हर लोन कंपनी से प्रति कार या ऑटो पांच हजार रुपये मिलते हैं।
योगेश गावडे इस मार्केटिंग कंपनी का स्थायी कर्मचारी नहीं है , लेकिन वह रोज नाइस मार्केटिंग कंपनी कार या ऑटो सेजुड़े दस्तावेज लेने आता था और फिर इन दस्तावेजों को आरटीओ में जाकर जमा कर देता था। बदले में उसे सौ रुपये रोजमिलते थे।
सोमवार को भी वह रोज की तरह देर दोपहर करीब चार बजे वहां आया। कुछ देर बाद वहां तीन और लोग हथियारलेकर आ गए । उन्होंने दीपा से दफ्तर में रखी सारी नकदी ( करीब 50 हजार रुपये ) उन्हें सौंप देने को कहा। साथ ही खुददीपा की सोने की करीब दस हजार रुपये कीमत की अंगूठी उतरवा ली। इसके बाद सारे आरोपी ऑटो में बैठकर भाग गए।
जब अडिशनल सीपी अमिताभ गुप्ता और डीसीपी मुदियार के निर्देश पर मेघवाडी पुलिस ने दीपा से पूछताछ की , तोउसने सबसे ज्यादा शक योगेश गावडे पर जताया। दीपा का तर्क था कि वारदात के बाद वह योगेश से पुलिस स्टेशनचलकर एफआईआर दर्ज कराने को जब कहने लगी , तो वह बहाने बनाने लगा। दीपा के इस तर्क के बाद पुलिस ने योगेशको पूछताछ के लिए जैसे ही उठाया , उसने अपना अपराध स्वीकार कर लिया। उसने इसके बाद उन आरोपियों के नामभी बता दिए , जिसे उसने इस अपराध की सुपारी दी थी। पुलिस ने योगेश से मिले सुराग पर फिर नीकेश ठक्कर , भरतठक्कर , दीपक शिंदे और सुरेश राजपूत को गिरफ्तार किया। भरत और नीकेश रिश्ते में बाप - बेटे हैं।
नीकेश और दीपक ने पुलिस को बताया कि उनकी मां पिछले कई दिनों से बीमार चल रही थीं , इसलिए इलाज के लिएरुपये जुगाड़ करने के वास्ते वो लोग इस अपराध को करने के लिए मजबूर हुए।