प्राइवेट सोसायटी के लोग अपने कुओं से पानी बेच सकते हैं, क्योंकि बीएमसी ने ऐसा कोई नियम कानून ही नहीं बनाया है जिससे उन पर किसी तरह की पाबंदी लगाई जा सके। पिछले दिनों बीएमसी कमिश्नर ने साफ कर दिया कि निजी सोसायटी अपने कुओं का पानी बेच सकते हैं, उन पर कोई प्रतिबंध नहीं है। पिछले एक साल से मुंबई भारी पानी की समस्या से जूझ रही है। लोगों को जितने पानी की जरूरत है उतना पानी नहीं मिल रहा है। ऐसे में महानगर की कई प्राइवेट सोसायटियों ने अपने परिसर में ही कुआं खोद दिया जिससे कुछ हद तक उन्हें राहत मिली, मगर कई सोसायटियों ने पानी बेचने का कारोबार शुरू कर दिया है। बताया जाता है कि पानी खरीदने वाले सोसायटी को एक हजार से 1000-1500 रुपये में प्रति बड़े टैंकर (10 हजार लीटर) देते हैं लेकिन पानी का कारोबार करने वाले माफिया कितने में बेचते हैं इसका सही आंकड़ा कोई बताने के लिए तैयार नहीं है। आमतौर पर पानी का कारोबार करने वाले लोग सोसायटी का पानी होटल व निर्माण कार्य करने वालों को बेचते हैं। पानी का कारोबार करने वालों के बाबत कई सोसायटियों के सदस्यों ने विरोध किया है। बीएमसी का ध्यान भी खींचा है, मगर बीएमसी इस संबंध में कुछ नहीं कर पा रही है क्योंकि प्राइवेट सोसायटियों के पानी बेचने पर किसी तरह का कोई नियम-कानून नहीं है जिससे बीएमसी अधिकारी चाह कर भी उन्हें पानी बेचने से रोक नहीं पाते। गौर करने की बात यह है कि बिना बीएमसी की अनुमति से कोई कुआं या हैंडपंप नहीं लगा सकता। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि आखिर जब कुआं खोदने के लिए बीएमसी की अनुमति लेनी पड़ती है तो बीएमसी उसका पानी बेचने पर पाबंदी क्यांे नहीं लगा सकती। म्यूनिसिपल कमिश्नर सुबोध कुमार ने बताया कि सोसायटी को पानी बेचने ने बीएमसी नहीं रोक सकती।
Monday, May 16, 2011
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