Wednesday, October 31, 2012

मराठा आरक्षण


 आरपीआई नेता रामदास आठवले के मंच से महाराष्ट्रके वरिष्ठ मंत्री पतंगराव कदम और विपक्ष के नेता विनोदतावडे ने ' मराठा आरक्षण ' के पक्ष में एकसाथ ' हुंकार 'भरकर राजनीतिक गलियारों को आश्चर्य में डाल दिया है। 'अखिल भारतीय मराठा महासंघ ' और ' छावा ' जैसे आक्रामकमराठा संगठनों ने मंगलवार को दलित नेता आठवले के नेतृत्वमें आरक्षण के लिए लड़ने की घोषणा कर दी। इस अप्रत्याशितसमर्थन से उत्साहित आठवले ने राज्य में 35 से 40 प्रतिशतजनसंख्या रखने वाले और राजनीतिक तौर पर सशक्त मराठासमुदाय के लिए उग्र आंदोलन छेड़ने का ऐलान किया है। 
महाराष्ट्र के राजनीतिक और सामाजिक गणित में उलटफेर करने की क्षमता रखने वाली ' मराठा - दलित एकता 'का अनोखा सिंहनाद मंगलवार को प्रभादेवी स्थित ' रवींद्र नाट्यमंदिर ' सभागार में देखने को मिला। ' अखिलभारतीय मराठा महासंघ ' के अध्यक्ष शशिकांत पवार  सुरेश पाटील , माथाडी नेता बाबूराव रामिष्टे , ' मराठामहासंघ ' के दिलीप जगताप , ' छावा ' के गंगाधर कलकुटे , ' मराठा आरक्षण संघर्ष समिति ' के सुरेशदादापाटील , वरिष्ठ पत्रकार अभिजीत राणे जैसे मराठा दिग्गजों ने एक सुर से दलित नेता आठवले की अगुवाई साथमिलकर संघर्ष करने की घोषणा मंच से की। 

Sunday, October 21, 2012

महज 4 फैक्ट्री इंस्पेक्टर हैं, जिन पर 2500 कंपनियों के इंस्पेक्शन की जिम्मेदारी है


क्या सरकार कंपनियों में हो रहे हादसे को रोकने के लिए गंभीर है? यह सवाल खड़ा उठ रहा है डोंबिवली के आरती इंडस्ट्रीज में हुए हादसे के बाद। कंपनियों के सर्वेक्षण के लिए सरकार ने 625 कंपनियों के पीछे महज एक फैक्ट्री इंस्पेक्टर रखा है। 

कल्याण में महाराष्ट्र सेफ्टी ऐंड हेल्थ डिपार्टमेंट के ऑफिस के पास महज 4 फैक्ट्री इंस्पेक्टर हैं, जिन पर 2500 कंपनियों के इंस्पेक्शन की जिम्मेदारी है। वहीं, डोंबिवली में विक्रम कांतवर नामक जांच अधिकारी के पास 625 कंपनियों के इंस्पेक्शन की जिम्मेदारी है, जिसमें 85 प्रतिशत कंपनियां केमिकल से जुड़ी हैं। 

एक अधिकारी ने बताया कि उनके डिपार्टमेंट ने सरकार से कई बार स्टाफ को बढ़ाने की मांग की, लेकिन सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। एक कंपनी के इंस्पेक्शन के लिए अधिकारी को पूरा दिन लग जाता है। इसके अलावा उन्हें कंपनी से संबंधित कोर्ट केस का काम रहता है। ऐसे में, इंस्पेक्शन कर घटना से पहले हादसा टाल सकना किसी सपने से कम नहीं!

Friday, October 12, 2012

उनके लिए कोई न कोई मकान-प्लॉट तो ढूंढ ही निकालेंगे।


हर तरह से काबिल होने के बावजूद अपनी मनपसंद जगह परआमिर खान को बंगला नहीं मिल पा रहा है। जानकार इसेरीयल एस्टेट के काले धंधे से जोड़कर देख रहे हैं और उनकाकहना है कि अगर आमिर ने अपने 'परफेक्शनिस्ट' के सिद्धांतोंसे समझौता किया होता तो वह अब तक नई इमारत में शिफ्टहो चुके होते। आज रीयल एस्टेट संबंधी हर लेन-देन में 'कैश'का 50 फीसदी इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही कई दफाप्रॉपर्टी के टाइटल में भी दिक्कत होती है। आमिर को यह बातबखूबी मालूम है और वह इस तरह कोई झमेला मोल लेनानहीं चाहते हैं।

कई फिल्म स्टारों को फ्लैट और प्लॉट दिला चुके एक ब्रोकर ने बताया, 'कोई जरूरी नहीं कि आमिर को प्लॉट हीमिले, अगर कोई पुराना बंगला या इमारत मिल जाती है तो भी वह खरीदने को तैयार हैं और फिर उसका अपनेहिसाब से रीडिवेलपमेंट कराकर उसमें अपना काम-काज शिफ्ट करना चाहते हैं। इसमें पैसा मुद्दा नहीं है, मुद्दा हैतो सही ट्रांजैक्शन का। उन्होंने कहा कि आमिर की सख्त हिदायत है कि उन्हें प्लॉट का टाइटल एकदम क्लियरचाहिए। उनके लिए प्लॉट ढूंढ रहे इस ब्रोकर ने कहा, 'हमने हिम्मत नहीं हारी है। उनके लिए कोई  कोई मकान-प्लॉट तो ढूंढ ही निकालेंगे।

पिछले कुछ सालों में सफलता की सीढ़ियां चढ़े आमिर खान का बिजनेस और इसका मॉडल दोनों बढ़ा है औरइसकी डिमांड को पूरा करने के लिए उन्होंने बांद्रा में ही एक बंगला बनाने का फैसला किया, जहां से वह अपनीफिल्मों और प्रॉडक्शन का काम-काज संभाल सकें। ब्रोकर के मुताबिक, 'उनकी चाहत है कि उन्हें कोई प्लॉट पेरीक्रॉस रोड स्थित सचिन तेंडुलकर के घर के आस-पास ही मिले, लेकिन जिस तरह से सचिन बिना ओसी केपजेशन के पचड़े में पड़ गए थे, वैसा कोई बवाल उनके साथ ना हो।

गौरतलब है कि आमिर खान फिलहाल बांद्रा के यूनियन पार्क के मरीना अपार्टमेंट में रहते हैं। सूत्र बताते हैं कियह अपार्टमेंट भी कम बड़ा नहीं है, लेकिन आमिर अपने प्रॉडक्शन हाउस के लिए अब एक अलग से डेडीकेटेडबंगला या इमारत चाहते हैं।

Monday, October 8, 2012

चलते वक्त नीचे देखकरच


मुंबई की सड़कों और फुटपाथ पर चलते वक्त नीचे देखकरचलें , वर्ना आप बिना ढक्कन के मेनहोल या धंसे पेवर ब्लाककी वजह से किसी हादसे के शिकार हो सकते हैं। पैर में मोचआ सकती है और मरहम पट्टी की नौबत भी  सकती है। वैसे, बीएमसी के रिकॉर्ड में अब तक ऐसा कोई मामला दर्ज नहींकिया गया है , मगर जहां पर मेनहोल टूट गए और पेवरब्लाक धंस गए हैं वहां पर ऐसी कई घटनाएं प्रतिदिन हो रहीहै। इससे सड़क दुर्घटनाएं भी हो रही है। 

बरसात के बाद सड़क और फुटपाथ को ठीक - ठाक करने का काम किया जाता है। टूटे फूटे मेनहोल को ठीक कियाजाता है और जहां पर नया लगाने की जरूरत होती है वहां पर नए मेनहोल्स लगाए जाते हैं। इसके लिए हर सालबीएमसी मेनहोल की खरीदी पर करोड़ों रुपये खर्च भी करती है। मेनहोल के साथ पेवर ब्लाक की फुटपाथ औरसड़क को दुरुस्त करने का काम करना पड़ता है। मुंबई शहर , पश्चिम और पूर्वी उपनगर के कई महत्वपूर्ण सड़कोंके मेनहोल टूट गए हैं या फिर पूरी तरह से धंस गए हैं। सांताक्रुज वाकोला में सीटिजन बैंक के ठीक सामने हीमेनहोल बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है। बीकेसी मार्ग के फुटपाथ और सड़क से सटे कई सारे मेनहोल टूट गएहै और पेवर ब्लाक धंस गए हैं। डायमंड बिल्डिंग के करीब तो फुटपाथ ही खोद दिया है जो रात के अंधेरे मेंदिखाई नहीं देता। 

घाटकोपर पश्चिम में दक्षिण छोर की टिकट बुकिंग के फुटपाथ पर जगह - जगह पेवर ब्लाक धंस गए हैं जहां परआए दिन दुर्घटनाएं होती हैं। यही आलम मुंबई की कई महत्वपूर्ण सड़कों का है। गली - मोहल्ले की छोटी - मोटीसड़कों और फुटपाथ का बुरा हाल है। मेनहोल के बारे में सीवरेज ऑपरेशन के चीफ इंजिनियर पी . एस . साखरेकहते हैं कि वॉर्ड स्तर पर उसे ठीक करने का काम किया जाता है। तीनों डिविजन से भी काम होता है जहां सेनया लगाने या फिर दुरुस्त करने का काम किया जाता है। पेवर ब्लाक धंसने के बारे में सड़क विभाग के इंजिनियरका कहना है कि वॉर्ड स्तर पर पेवर ब्लाक ठीक करने का काम किया जाता है और वह हो रहा है जहां से शिकायतआती है उसे भी दूर किया जाता है।