Monday, November 30, 2015

परिवार राष्ट्रगान के दौरान खड़ा नहीं हुआ

देश में असहिष्णुता को लेकर छिड़ी बहस के बीच आज सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें कुछ लोगों द्वारा एक मुस्लिम परिवार को सिनेमाहाल से बाहर जाने के लिए कहा जा रहा है।
बताया जा रहा है कि कुछ लोगों ने सिनेमाहाल में पिक्चर देखने आए एक मुस्लिम परिवार को सिर्फ इसलिए बाहर निकाल दिया क्योंकि वो परिवार राष्ट्रगान के दौरान खड़ा नहीं हुआ। करीब 2 मिनट के इस वीडियो में कुछ लोग इस परिवार को घेरकर खड़े हैं और उन्हें सिनेमाघर से बाहर जाने को कह रहे हैं।
वीडियो में नजर आ रहा है कि मुस्लिम परिवार इस घटना पर सफाई दे रहा है लेकिन उन्हें घेरे खड़े हुए लोग कुछ भी सुनने को तैयार नहीं हैं और उन्हें लगातार बाहर निकल जाने को कह रहे हैं।

वीडियो में नजर आ रहा है कि आखिरकार मुस्लिम परिवार को सिनेमाघर छोड़कर जाना पड़ता है और वहां मौजूद लोग इस घटना का स्वागत करते हैं।

Friday, November 27, 2015

भाजपा और कांग्रेस के बाद अब शिवसेना भी

गुरुवार को संसद में सविंधान पर चर्चा के दौरान सेकुलर शब्‍द को लेकर हुए हंगामे के बाद बयानों का दौर जारी है। इस बहस में भाजपा और कांग्रेस के बाद अब शिवसेना भी कूद गई है। सामना के संपादकिय में संविधान दिवस को लेकर लिखे गए लेख में संविधान दिवस मनाए जाने को लेकर खुशी जाहि‍र की है वहीं कांग्रेस को निशाना भी बनाया है।
इसमें लिखा है जिस तरह भारत के लिए 26 जनवरी महत्‍वपूर्ण है वैसे ही 26 नवंबर भी महत्‍वपूर्ण दिन है। लेख में उम्‍मीद की गई है कि किसी संविधान दिवस के माध्‍यम से लोगों के बीच अनभिज्ञता दूर होगी। साथ ही बाबा साहेब के आलौकिक कार्य और योगदान पर चर्चा होगी।
कांग्रेस पर हमला बोलते हुए लेख में कहा गया है कि संसद में पहला दिन संविधान दिवस के रूप में मनाया गया और बाबा साहेब के कार्यों का अभिवादन किया। इस जगह पर भी कांग्रेसवालों ने यह दिखाया कि बाबा साहेब के संविधान निर्माण और उसके पालन का सारा ठेका उनके पास है।
कांग्रेसवाले केवल बाबा साहेब को चुनाव में उपयोग करते हुए वोट बैंक की राजनीति करते हैं। लेकिन यह बात अब दलित जनता से छिपी नहीं है। संविधान की मूल प्रस्‍तावना में ना होने वाला सेकुलर शब्‍द कांग्रेस ने ही अपनी गंदी राजनीति के लिए बाद में घुसेड़ा और देश में जाति-भेद, धर्म-पंथ की दीवार हमेशा किस तरह बनी रहे इसकी व्‍यवस्‍था कर दी।
लेख में गृह मंत्री की बाद का समर्थन करते हुए लिखा है कि गृह मंत्री ने सदन में कहा कि सेकुलर शब्‍द का धर्मनिरपेक्ष जैसा सुविधाजनक अर्थ निकालकर उसका अपने ही देश में कई सालों से दुरुपयोग जारी है। धर्मनिरपेक्ष शब्‍द का ही उपयोग बंद होना चाहिए। उन्‍होंने जो कहा वो काफी महत्‍वपूर्ण है। समाजवादी की तरह सेकुलर भी एक शब्‍द है जो स‍ंविधान में घुसेड़ा गया।

इन दोनों शब्‍दों ने देश की राजनीतिक, सामाजिक और राष्‍ट्रीय शान ही छीन ली है। संविधान दिवस के बहाने यदि बाबा साहेब के प्रति जनता में जागृति आई और संविधान में घुसाए गए शब्‍दों धर्मनिरपेक्ष और समजावादी का उपयोग ना करने की सद्बुद्धी नेताओं में आई तो यह कहा जा सकता है कि संविधान दिवस सफल रहा।

Tuesday, November 24, 2015

जैसे ही ट्रेन से नई दिल्‍ली रेलवे स्‍टेशन पर उतरे

रणबीर कपूर और दीपिका पादुकोण अपनी अपकमिंग फिल्‍म 'तमाशा' की प्रमोशन के लिए ट्रेन से दिल्‍ली पहुंच गए हैं। रणबीर-दीपिका जैसे ही ट्रेन से नई दिल्‍ली रेलवे स्‍टेशन पर उतरे फैन्‍स ने उन्‍हें घेर लिया।
रणबीर-दीपिका, फिल्‍म के डायरेक्‍टर इम्तियाज अली के साथ कल मुंबई से सुविधा एक्‍सप्रेस में बैठ दिल्‍ली के लिए रवाना हुए थे। फिल्‍म 27 नवंबर को सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है।
बता दें कि दीपिका और रणबीर इन दिनों फिल्‍म 'तमाशा' की प्रमोशन में जुटे हुए हैं। प्रमोशन के दौरान ये दोनों काफी तमाशा करते हुए नजर आ रहे हैं। दीपिका ने आखिरी पल में ट्रेन से सफर करने की इच्‍छा जाहिर की। इसके बाद फ्लाइट के टिकट तुरंत रद कराए गए और ट्रेन में बुकिंग कराई गई।
'तमाशा' के निर्देशक इम्तियाज अली हैं। दीपिका और रणबीर, इम्तियाज अली के साथ मुंबई से ट्रेन लेंगे और दिल्‍ली तक आएंगे। वैसे बता दें कि रणबीर ने इससे पहले कभी भारतीय रेल में सफर नहीं किया है। उन्‍होंने बताया, 'मैंने भारत में कभी ट्रेन में सफर नहीं किया है। हांलाकि मैं अमेरिका में एक बार ट्रेन में सफर कर चुका हूं। इसलिए यह दूसरी बार होगा जब मैं ट्रेन में सफर करूंगा।'

रणबीर और दीपिका इससे पहले फिल्‍म 'ये जवानी है दीवानी' में सिल्‍वर स्‍क्रीन पर साथ नजर आए थे। इस फिल्‍म को बॉक्‍स ऑफिस पर अच्‍छा रिस्‍पॉन्‍स मिला था। ऐसी उम्‍मीद लगाई जा रही है कि 'तमाशा' देखने के लिए भी सिनेमाघरों में खूब भीड़ जुटेगी।

Monday, November 23, 2015

छुट्टियों से वंचित देशों की श्रेणी में भारत दुनिया में चौथे नंबर पर

छुट्टियों से वंचित देशों की श्रेणी में भारत दुनिया में चौथे नंबर पर है। एक सर्वे के मुताबिक, इस श्रेणी में उससे पहले संयुक्त अरब अमीरात, मलेशिया और सिंगापुर का स्थान है। ऑनलाइन ट्रेवल साइट एक्सपीडिया की 2015 की छुट्टियों की कमी से संबंधित रिपोर्ट में पाया गया कि 65 फीसद भारतीय यह मानते हैं कि उन्हें कम छुट्टियां मिल रही हैं जबकि 20 फीसद को लगता है कि उन्हें बहुत ही कम छुट्टियां मिल रही हैं।
रिपोर्ट ने खुलासा किया कि 67 फीसद भारतीय छुट्टियां मिलने पर अपनी पसंदीदा या अनोखी जगह की बजाय नई जगह की यात्रा करना पसंद करेंगे। यह रिपोर्ट अलग-अलग देशों और महाद्वीपों में रहने वाले लोगों की छुट्टियों से संबंधित आदतों के बारे में है। सर्वे इस साल उत्तरी अमेरिका, यूरोप, दक्षिण अमेरिका समेत 26 देशों में 6 अक्टूबर से 22 अक्टूबर के बीच 18 साल या उससे ज्यादा उम्र के 9273 कर्मचारियों के बीच किया गया।

सर्वे में खुलासा किया गया 65 फीसद भारतीय छुट्टियों को अपनी सारी खुशियों से जोड़कर देखते हैं। थाइलैंड में ऐसा मानने वाले लोगों की तादाद 56 फीसद और संयुक्त अरब अमीरात में 55 फीसद है। एक्सपीडिया इंडिया के मनमीत अहलूवालिया के मुताबिक, "काम और जिंदगी के बीच संतुलन बनाने में छुट्टियां महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह लोगों को पुनः ऊर्जा से भर देती हैं, जिससे वे काम पर फोकस कर सकें।'' सर्वे में 54 फीसद भारतीय कर्मचारियों ने माना कि वेतन में बढ़ोतरी से ज्यादा प्राथमिकता छुट्टियों में वृद्धि को देंगे।

Wednesday, November 18, 2015

हाईकोर्ट ने फैसला देने से मना कर दिया

देश भर में मशहूर यहां के हाजी अली दरगाह में महिलाओं के प्रवेश पर लगी पाबंदी पर बाम्बे हाईकोर्ट ने फैसला देने से मना कर दिया। हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि यह असहिष्णुता का दौर है। जस्टिस वीएम कनाडे और जस्टिस रेवती माहित की खंडपीठ में हाजी अली दरगाह ट्रस्ट द्वारा महिलाओं के प्रवेश पर लगाई गई पाबंदी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई चल रही थी। यह दरगाह 15वीं सदी के सूफी संत हाजी अली मकबरा है।

जस्टिस कनाडे ने कहा, "आज ऐसा वातावरण है है जहां हर चीज को दूसरी तरह से लिया जाता है। यह असहिष्णुता का दौर है। जब भी धार्मिक मामला होता है लोग संवेदनशील हो जाते हैं।" खंडपीठ ने कहा, "इसी तरह पारसी पंचायत ने जाति से बाहर शादी करने वाली महिलाओं को अपने मंदिर में प्रवेश पर पाबंदी लगा दी थी। तब हमने कोई फैसला नहीं दिया था। उन्हें अदालत से बाहर समझौता करने को कहा था। उत्तेजित महिलाएं सुप्रीम कोर्ट पहुंची जहां से उन्हें थोड़ी राहत मिली थी।"

Monday, November 16, 2015

सभी लोग कानून का समान रूप से पालन करें

शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' ने अपने संपादकीय में पेरिस में हुए हमलों की कड़ी निंदा करते हुए भारत सरकार को आतंकवाद के खिलाफ खुद से कड़ी कार्रवाई करने की अपील की है। संपादकीय में पश्चिमी देशों पर आतंकवाद को लेकर दोहरा नजरिया अपनाने पर सामना में तीखी टिप्‍पणी की गई है। इसमें लिखा है कि जबतक अपनी कुर्सी के नीचे धमाका नहीं होता है तब तक वह हिंदुस्‍तान की तड़प महसूस नहीं कर सकते हैं। सामना के मुताबिक पश्चिमी देश अपनी तरह से आतंकवाद से लड़ते हैं और यही भारत को भी सीखना होगा। इसमें कहा गया है कि आतंकवाद की घटनाओं पर जब पाकिस्‍तान टिप्‍पणी करता है तो यह बेहद हास्‍यास्‍पद लगता है क्‍योंकि वह 'आतंकवाद की बहुराष्‍ट्रीय कंपनी' है।
सामना में कहा गया है कि फ्रांस ने जब अपने यहां पर बुर्का बैन किया था तभी उसको परिणाम भुगतने की धमकी मिलनी शुरू हो गई थी। लेकिन वह इसके आगे नहीं झुका। इसका मकसद साफ था कि वह चाहता है कि फ्रांस में रहने वाले सभी लोग कानून का समान रूप से पालन करें, फिर चाहे वह किसी भी धर्म से संबंध क्‍यों न रखता हो। लेकिन भारत में ऐसा नहीं है। एक तरफ जहां फ्रांस वहां पर लगातार बढ़ रही म‍ुस्लिम आबादी से चिंतित दिखाई देता है वहीं भारत इससे कोई सबक नहीं लेता है। संपादकीय में कहा गया है कि भारत हमेशा से ही इस बढ़ती आबादी के सामने झुकने के लिए तैयार रहा है।
सामना में आईएस की उत्‍पत्ति के पीछे अमेरिका को बताया गया है। पत्र लिखता है कि अमेरिका ने अपने स्‍वार्थ की खातिर इराक को तबाह कर दिया और सद्दाम हुसैन को खत्‍म कर दिया। इसमें फ्रांस ने भी उसका साथ दिया। इसके फलस्‍वरूप वहां पर अराजकता का माहौल बना और आईएस का भूत पैदा हुआ जो आज यूरोप पर हमले कर रहा है। संपादकीय में लिखा है कि इस पाप में फ्रांस समान रूप से भागीदार है। क्‍योंकि सद्दाम के पतन के बाद ही उसके आसपास के देशों में अराजकता का माहौल पैदा हुआ। अब वही आतंकवाद यूरोपीय देशों के लिए संकट बन गया है।

पत्र में कहा गया है कि भारत के कश्‍मीर में भी आईएस दस्‍तक दे चुका है। पिछले दिनों वहां पर खुलेआम आईएस के झंडे दिखाए गए और प्रदर्शन किया गया। सामना में आईए को पूरी दुनिया के लिए खतरा बताया है। इसमें कहा गया है इन्‍होंने फ्रांस की जमीन को खून से लाल कर दिया है। अब इससे सबक सीखने की जरूरत है। संपादकीय में कहा गया है अब जरूरत है कि आतंकवाद की जड़ों को खत्‍म करने के लिए उनपर कड़ा प्रहार किया जाए।

Friday, November 13, 2015

सीमाताई को मंत्री बनाए जाने की उम्मीद

राज्यसभा सांसद व आरपीआई अध्यक्ष रामदास आठवले की पत्नी सीमाताई आठवले को महाराष्ट्र सरकार में मंत्री पद दिया जाना लगभग तय हो गया है। विधानमंडल के शीतकालीन सत्र से पहले होने वाले राज्य मंत्रिमंडल के विस्तार में सीमाताई को मंत्री बनाए जाने की उम्मीद है।
पार्टी सूत्रों के अनुसार आरपीआई कोटे के मंत्री पद को लेकर आठवले और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बीच चर्चा हो चुकी है। जापान दौरे के समय ही दोनों के बीच सीमाताई को मंत्री पद दिए जाने को लेकर सहमति बन चुकी हैं।

हालांकि आठवले ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को विश्वास में लेने के लिए अभी तक कोई बैठक नहीं बुलाई है, पर माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार की तारीख निश्चित होने के बाद ही आठवले पार्टी के आला नेताओं के साथ बैठक करेंगे।

Thursday, November 12, 2015

हिंदुत्व की खातिर

मुखपत्र 'सामना' में भाजपा की खुली आलोचना करने के बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा है कि बिहार में अच्छे प्रदर्शन को देखते हुए पार्टी महाराष्ट्र के अलावा दूसरे राज्यों में भी चुनाव लड़ सकती है।
उन्होंने कहा कि हिंदुत्व के विचार की खाई भरने के लिए पार्टी ऐसा कर सकती है। शिवसेना राजग का हिस्सा है और उसने बिहार चुनाव स्वतंत्र रूप से लड़ा था। कल्याण-डोंबिवली नगर निगम के मेयर पद पर पार्टी के राजेन्द्र देवलेकर के चुने जाने के बाद कल्याण में पत्रकारों से चर्चा में ठाकरे ने यह बात कही।

उन्होंने कहा कि पहले पार्टी अन्य राज्यों में चुनाव मैदान में उतरने के पक्ष में नहीं थी, लेकिन वह हिंदुत्व की खातिर ऐसा करने को तैयार है।

Tuesday, November 10, 2015

शुभकामनायें

साथियों ,

आप सभी को तथा सभी के परिवार को  मेरी और मेरी पत्नी की ओर से दीपावली की  हार्दिक
शुभकामनायें

Monday, November 9, 2015

सरोगेसी पर लगे प्रतिबंध पर रोक

बांबे हाईकोर्ट ने एक अंतरिम आदेश में विदेशी दंपतियों के लिए सरोगेसी पर लगे प्रतिबंध पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने प्रतिबंध पर रोक उन दंपतियों के लिए लगाई है, जिनकी सरोगेसी की प्रक्रिया पूरी होने वाली है या जो इलाज के नाजुक दौर में हैं।
अंतरिम आदेश तीन तारीख को जस्टिस रवि देशपांडे की पीठ ने डॉ. कौशल कदम और कुछ प्रजनन केंद्रों की याचिका पर दिया गया था। याचिका में 27 अक्टूबर को इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च द्वारा जारी एक सूचना पत्र को चुनौती दी गई थी।
पत्र में बताया गया था कि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के आदेश पर सरोगेसी केवल भारतीय विवाहित दंपतियों के लिए संभव होगी जबकि विदेशी दंपतियों के लिए इसे प्रतिबंधित कर दिया गया है। इसमें डॉक्टरों से अनुरोध किया गया था कि वे विदेशी दंपतियों के लिए सरोगेसी की प्रक्रिया में सहयोग न करें।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में केवल उन विदेशी दंपतियों को राहत दी है जिनकी सरोगेसी की प्रक्रिया 15 से 20 दिन में पूरी होने वाली है। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि वे ऐसे दंपतियों के नाम संबंधित अधिकारियों को बंद लिफाफे में रखकर दें। उसने यह भी कहा कि इन लिफाफों को कोर्ट की अनुमति के बगैर नहीं खोला जाए।
कोर्ट के मुताबिक, भविष्यमें ऐसे विदेशी दंपतियों को सरोगेसी का लाभ नहीं दी जानी चाहिए, जिनकी प्रकिया अभी शुरू नहीं हुई है। कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रतिबंध के बारे में फैसला लिए जाने से पहले इससे प्रभावित होने वाले लोगों को नोटिस दी जाती है, जो इस मामले में नहीं किया गया।

सरोगेसी एक ऐसी तकनीक है जिसके जरिए वे दंपति बच्चा प्राप्त कर सकते हैं, जिनमें महिला किन्हीं कारणों से गर्भ धारण नहीं कर सकती। इस स्थिति में समझौते के तहत किसी जरूरतमंद महिला के गर्भ में पुरुष के शुक्राणु स्थापित कर दिए जाते हैं। महिला के गर्भ धारण करने के बाद भ्रूण उसके गर्भाशय में विकसित होता रहता है। बाद में निर्धारित समय पर महिला बच्चे को जन्म देती है, जिसे समझौता करने वाले दंपती को सौंप दिया जाता है।

Friday, November 6, 2015

एक बच्ची की रहस्यमयी मौत

दांतों के इलाज के दौरान पांच महीने पहले हुई एक बच्ची की रहस्यमयी मौत के मामले में डेंटिस्ट को क्लीन चिट मिल गई है। इस मामले की जांच के लिए गठित ससून जनरल हॉस्पिटल डॉक्टर्स के एक पैनल ने पाया है कि इलाज के दौरान डेंटिस्ट ने कोई लापरवाही नहीं की थी।
पैनल ने इस केस को 'रेयरेस्ट ऑफ रेयर' तो माना, लेकिन साथ ही इस केस में डेंटिस्ट की तरफ से कोई लापरवाही नहीं बरतने की बात भी कही। हालां‍कि, यह बात मृतक बच्‍ची के पिता निरंजन रेवतकर और पुलिस के गले आसानी से नहीं उतर रही है।
इस मामले में पुलिस ससून जनरल हॉस्पिटल को केस की फिर से जांच करने के लिए नोटिस जारी करने जा रही है। पुलिस यह जानना चाहती है कि डेंटिस्ट ने इलाज से पहले मरीज पर ऐलर्जी टेस्ट करके देखा था या नहीं? पेशे से आईटी प्रोफेशनल निरंजन ने कहा है कि वह न्‍याय पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे।
यह है मामला
पुणे के ससून जनरल हॉस्पिटल में 29 जून को करीब साढ़े तीन साल की सानवी रेवतकर की रूट कनैल सर्जरी की गई थी। इस दौरान अचानक बच्ची की तबीयत खराब हो गई और उसे एक निजी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। वहां भी डॉक्टर्स ने जवाब दे दिया, तो बच्ची के माता-पिता उसे पास के एक अन्य निजी अस्‍पताल ले गए, जहां डॉक्टर्स ने उसे मृत घोषित कर दिया गया।

इस हादसे के बाद बच्ची के पिता ने डॉक्टर डेंटिस्‍ट के खिलाफ केस दर्ज करा दिया था। पुलिस ने मेडिकल रिपोर्ट मामले की जांच कर रहे डॉक्टर्स के आंतरिक पैनल को दे दी। अब पांच महीने बाद पैनल ने डेंटिस्‍ट को क्‍लीन चिट देते हुए कहा कि मौजूद दस्तावेजों की जांच करने के बाद यह कहीं से नहीं पता चलता है कि डेंटिस्ट ने कोई लापरवाही की थी।

Wednesday, November 4, 2015

35,000 रुपए का हर्जाना

अपने कर्मचारी की लापरवाही की यहां के यूनियन बैंक को कीमत चुकाना पड़ी। बैंक ने खाते में फंड होने के बावजूद अपने एक ग्राहक का चेक लौटा दिया था। ग्राहक ने उपभोक्ता फोरम में शिकायत की, जहां ग्राहक को 35,000 रुपए का हर्जाना भरने का आदेश दिया गया।
लालबाग निवासी लालचंद जैन ने 26 मार्च 2014 को अपने एक लेनदार को 72,000 रुपए का चेक दिया था। 29 मार्च को बैंक ने यह कहते हुए चेक लौटा दिया कि खाते में पर्याप्त राशि नहीं है। जैन का कहना है कि उनके बचत खाते में चेक क्लियर होने जितनी राशि थी, फिर भी चेक बाउंस कर दिया गया और 150 रुपए वसूल लिए गए।
बकौल जैन, चेक बाउंस होने के बाद जिस शख्स को राशि देना थी, उसने मुझे परेशान किया, गालियां भी दीं। इस पर जैन ने बैंक को चिट्ठी लिखी और सफाई मांगी। 20 जून को लिखी गई चिट्ठी का 8 अगस्त को जवाब आया, जिसमें हास्यास्पद कारण बताए गए।

अपनी मानसिक परेशानी से एवज में उन्होंने मुआवजे की मांग करते हुए उपभोक्ता आयोग में शिकायत की। जिस पर अब यह फैसला आया।

कंपनी का तर्क मान्‍य नहीं

बॉम्‍बे हाईकोर्ट ने फैसला दिया है कि यदि पति अच्‍छा कमाता है, तो इसका अर्थ यह नहीं है कि परिवार पत्‍नी के वेतन पर निर्भर नहीं करता है। जस्टिस अभय ओका और रेवती डेरे की डिवीजन बेंच ने न्‍यू इंडिया इंश्‍योरेंस कंपनी को आदेश दिया है कि वह सांगली के रहने वाले सुनील गरुण और उनके दो बेटों को सात फीसद ब्‍याज के साथ 47 लाख रुपए हर्जाना दे।
इंश्‍योरेंस कंपनी ने यह कहते हुए इस दावे का विरोध किया था कि सुनील सरकारी कर्मचारी है और अपनी पत्‍नी से अधिक कमाते हैं। कंपनी का दावा था कि सुनील की पत्‍नी उज्‍जवला गरुण इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रोफेसर थी और इसलिए वह पत्‍नी के वेतन पर निर्भर नहीं थे।
हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि कंपनी का यह तर्क मान्‍य नहीं है। कॉस्‍ट ऑफ लिविंग को ध्‍यान में रखते हुए आज के दौर में पति और पत्‍नी, दोनों की आय घर को चलाने के लिए महत्‍वपूर्ण है क्‍योंकि दोनों की आय एक दूसरे की पूरक है। न्‍यायाधीश ने कहा कि जब पति-पत्‍नी दोनों कमाते हैं तो वे खर्चों को साझा करते हैं, जिससे अधिक बचत होती है।

इस मामले में मृतक महिला उज्‍जवला अपनी पूरी सैलरी घरेलू खर्चों को पूरा करने और दो बेटों की शिक्षा पर खर्च कर रही थी। इस प्रमाण को चुनौती नहीं दी जा सकती है। गौरतलब है कि तीन जनवरी 2009 को मुंबई से बैठक के बाद लौटते वक्त सड़क हादसे में उनकी मौत हो गई थी।

Monday, November 2, 2015

नीतियों के क्रियान्वयन में दिक्कत -नई सरकार के साथ पूर्णतया सहयोग नहीं

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने सूबे के नौकरशाहों पर नई सरकार के साथ पूर्णतया सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि इन्हीं कारणों से नीतियों के क्रियान्वयन में दिक्कत आ रही है। उन्होंने रविवार को यहां "मीट द प्रेस" कार्यक्रम में कहा, "पिछले कुछ समय से सरकार की नीतियों के क्रियान्वयन में नौकरशाह बाधा बने हैं।
ऐसे में सरकार ने 800 नौकरशाहों के खिलाफ कार्रवाई की। अब वे सरकार के साथ काम कर रहे हैं। सूबे के करीब 70 फीसद वरिष्ठ नौकरशाहों ने अब अपने कार्य करने के ढंग में सुधार किया है, जबकि शेष अब भी उपेक्षापूर्ण रवैया अपना रहे हैं।"

उन्होंने कहा कि कनिष्ठ नौकरशाहों में स्थिति बेहतर से अब भी दूर है। गत एक वर्ष से भाजपा-शिवसेना सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में करीब 50 फीसद (नौकरशाह) दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। यही वजह है कि राज्य सरकार ने 800 नौकरशाहों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की। इसमें उनका निलंबन और 50 अधिकारियों को बर्खास्त करना भी शामिल है।

Sunday, November 1, 2015

जींस और टी-शर्ट पहनने पर एक व्यक्ति ने अपनी 21 वर्षीय पत्नी की हत्या

जींस और टी-शर्ट पहनने पर एक व्यक्ति ने अपनी 21 वर्षीय पत्नी की कथित तौर पर हत्या कर दी। पुलिस ने शनिवार को बताया कि आरोपी की पहचान 24 वर्षीय रंजीत निषाद के रूप में हुई है, जो फिलहाल फरार चल रहा है।

पुलिस ने पड़ोसियों के हवाले से कहा है कि पिछले कुछ दिनों से जींस और टी-शर्ट पहनने को लेकर व्यक्ति का अपनी पत्नी पूजा के साथ विवाद चल रहा था। आरोपी ने कथित तौर पर महिला पर हमला किया और उसकी हत्या कर दी। घर बंद कर दिया और फरार हो गया। स्वारगेट पुलिस मामला दर्ज कर आरोपी की तलाश कर रही है।