Monday, November 16, 2015

सभी लोग कानून का समान रूप से पालन करें

शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' ने अपने संपादकीय में पेरिस में हुए हमलों की कड़ी निंदा करते हुए भारत सरकार को आतंकवाद के खिलाफ खुद से कड़ी कार्रवाई करने की अपील की है। संपादकीय में पश्चिमी देशों पर आतंकवाद को लेकर दोहरा नजरिया अपनाने पर सामना में तीखी टिप्‍पणी की गई है। इसमें लिखा है कि जबतक अपनी कुर्सी के नीचे धमाका नहीं होता है तब तक वह हिंदुस्‍तान की तड़प महसूस नहीं कर सकते हैं। सामना के मुताबिक पश्चिमी देश अपनी तरह से आतंकवाद से लड़ते हैं और यही भारत को भी सीखना होगा। इसमें कहा गया है कि आतंकवाद की घटनाओं पर जब पाकिस्‍तान टिप्‍पणी करता है तो यह बेहद हास्‍यास्‍पद लगता है क्‍योंकि वह 'आतंकवाद की बहुराष्‍ट्रीय कंपनी' है।
सामना में कहा गया है कि फ्रांस ने जब अपने यहां पर बुर्का बैन किया था तभी उसको परिणाम भुगतने की धमकी मिलनी शुरू हो गई थी। लेकिन वह इसके आगे नहीं झुका। इसका मकसद साफ था कि वह चाहता है कि फ्रांस में रहने वाले सभी लोग कानून का समान रूप से पालन करें, फिर चाहे वह किसी भी धर्म से संबंध क्‍यों न रखता हो। लेकिन भारत में ऐसा नहीं है। एक तरफ जहां फ्रांस वहां पर लगातार बढ़ रही म‍ुस्लिम आबादी से चिंतित दिखाई देता है वहीं भारत इससे कोई सबक नहीं लेता है। संपादकीय में कहा गया है कि भारत हमेशा से ही इस बढ़ती आबादी के सामने झुकने के लिए तैयार रहा है।
सामना में आईएस की उत्‍पत्ति के पीछे अमेरिका को बताया गया है। पत्र लिखता है कि अमेरिका ने अपने स्‍वार्थ की खातिर इराक को तबाह कर दिया और सद्दाम हुसैन को खत्‍म कर दिया। इसमें फ्रांस ने भी उसका साथ दिया। इसके फलस्‍वरूप वहां पर अराजकता का माहौल बना और आईएस का भूत पैदा हुआ जो आज यूरोप पर हमले कर रहा है। संपादकीय में लिखा है कि इस पाप में फ्रांस समान रूप से भागीदार है। क्‍योंकि सद्दाम के पतन के बाद ही उसके आसपास के देशों में अराजकता का माहौल पैदा हुआ। अब वही आतंकवाद यूरोपीय देशों के लिए संकट बन गया है।

पत्र में कहा गया है कि भारत के कश्‍मीर में भी आईएस दस्‍तक दे चुका है। पिछले दिनों वहां पर खुलेआम आईएस के झंडे दिखाए गए और प्रदर्शन किया गया। सामना में आईए को पूरी दुनिया के लिए खतरा बताया है। इसमें कहा गया है इन्‍होंने फ्रांस की जमीन को खून से लाल कर दिया है। अब इससे सबक सीखने की जरूरत है। संपादकीय में कहा गया है अब जरूरत है कि आतंकवाद की जड़ों को खत्‍म करने के लिए उनपर कड़ा प्रहार किया जाए।

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