Wednesday, November 4, 2015

कंपनी का तर्क मान्‍य नहीं

बॉम्‍बे हाईकोर्ट ने फैसला दिया है कि यदि पति अच्‍छा कमाता है, तो इसका अर्थ यह नहीं है कि परिवार पत्‍नी के वेतन पर निर्भर नहीं करता है। जस्टिस अभय ओका और रेवती डेरे की डिवीजन बेंच ने न्‍यू इंडिया इंश्‍योरेंस कंपनी को आदेश दिया है कि वह सांगली के रहने वाले सुनील गरुण और उनके दो बेटों को सात फीसद ब्‍याज के साथ 47 लाख रुपए हर्जाना दे।
इंश्‍योरेंस कंपनी ने यह कहते हुए इस दावे का विरोध किया था कि सुनील सरकारी कर्मचारी है और अपनी पत्‍नी से अधिक कमाते हैं। कंपनी का दावा था कि सुनील की पत्‍नी उज्‍जवला गरुण इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रोफेसर थी और इसलिए वह पत्‍नी के वेतन पर निर्भर नहीं थे।
हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि कंपनी का यह तर्क मान्‍य नहीं है। कॉस्‍ट ऑफ लिविंग को ध्‍यान में रखते हुए आज के दौर में पति और पत्‍नी, दोनों की आय घर को चलाने के लिए महत्‍वपूर्ण है क्‍योंकि दोनों की आय एक दूसरे की पूरक है। न्‍यायाधीश ने कहा कि जब पति-पत्‍नी दोनों कमाते हैं तो वे खर्चों को साझा करते हैं, जिससे अधिक बचत होती है।

इस मामले में मृतक महिला उज्‍जवला अपनी पूरी सैलरी घरेलू खर्चों को पूरा करने और दो बेटों की शिक्षा पर खर्च कर रही थी। इस प्रमाण को चुनौती नहीं दी जा सकती है। गौरतलब है कि तीन जनवरी 2009 को मुंबई से बैठक के बाद लौटते वक्त सड़क हादसे में उनकी मौत हो गई थी।

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