Thursday, November 12, 2009

शिवसेना ने सपा की वैचारिक लड़ाई है।

महाराष्ट्र विधानसभा का तीन दिवसीय सत्र सपा नेता अबू आसिम आजमी के नाम रहा है। अब नागपुर के शीतकालीन सत्र में फिर गर्माहट होने की आशंका है। सत्र के पहले दिन हिन्दी में शपथ लेने पर मनसे का हमला, दूसरे दिन बाल ठाकरे पर दिए बयान पर शिवसेना की तरफ से चेतावनी और तीसरे दिन फिर हंगामा। मनसे के बाद शिवसेना ने बुधवार को आजमी के लिए सदन के अंदर और बाहर निबटने की तैयारी की थी लेकिन आजमी बुधवार को विधानसभा आए ही नहीं। पुलिस और सरकार की तरफ से कुछ विधायकों ने सपा नेता अबू आसिम आजमी से विधानसभा में न आने की अपील की थी, ताकि किसी अनहोनी घटना को टाला जा सके। पुलिस ने आजमी से कहा कि आपके सदन में जाने से यदि शिवसेना की तरफ से कुछ हरकत की जाती है तो मुम्बई में कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है। आजमी के अनुसार, उन्होंने शहर में शांति बनाए रखने के लिए विधानसभा न जाने की अपील मंजूर की। पुलिस को शंका थी कि मनसे के बाद शिवसेना लीड लेने के लिए आजमी पर हमला कर सकती है। शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने बुधवार को विधान भवन के समक्ष आजमी का पुतला जलाने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस ने लाठी चार्ज कर उन्हें खदेड़ दिया। आजमी ने कहा, 'सरकार अपने एक विधायक की सुरक्षा करने में नाकाम नजर आ रही है। यदि सरकार उनसे कह दे कि वह सुरक्षा नहीं कर सकती तो वे विधायक पद से इस्तीफा देने तक के लिए तैयार हैं। मनसे और शिवसेना बारी बारी से अपने राजनीतिक लाभ के लिए हंगामा करने पर उतारू हैं। दोनों ही दल के नेता किसी को कुछ भी कह दें। किसी के संबंध में कुछ भी लिख दें, सब उचित है। राज ठाकरे ने पिछले साल जया बच्चन के संबंध में कहा था कि गुडि़या अब बुढि़या हो गई है। सामना में मेरे खिलाफ लिखा गया। उस पर मैंने प्रतिक्रिया व्यक्त की और इससे भी यदि किसी की भावना आहत हुई है तो उसके लिए मैं माफी मांगता हूं ताकि शहर में अमन चेन बना रहे।' आजमी ने कहा कि वे बाल ठाकरे की नेता के तौर पर इज्जत करते हैं। शिवसेना ने सपा की वैचारिक लड़ाई है। वे बुजुर्गों का हमेशा आदर करते हैं।

No comments:

Post a Comment