Monday, November 16, 2009

सचिन को लिखी ठाकरे की इस चिट्ठी का सार कुछ यूं है...

मराठी का अभिमान तुमने जताया, मगर मुंबई के बारे मे तुम जो चिकी सिंगल लेने गए, उस वजह से मराठी मनों की पिच पर तुम रन आउट हो गए हो। मुंबई के लिए जब मराठियों ने आंदोलन किया था तब तुम्हारा जन्म भी नहीं हुआ था। 105 मराठी लोगों ने मुंबई के लिए अपनी जान गंवाई है। ...तो ये मुंबई बाहर वालों की कैसे हो सकती है? ...और तुम्हे इस विषय मे बोलने की क्या जरूरत थी...तुम इंटरनैशनल क्रिकेट की पिच को संभालो। मुंबई भले देश की फाइनेंशियल कैपिटल होगी, मगर पहले वह महाराष्ट्र की राजधानी है। यह बात याद रखो...सचिन, तुम्हारे चौकों-छक्कों पर लोग चिअर करते हैं....मगर मराठी मानुष के बारे में चौके-छक्के मत मारो। यह हम सह नहीं सकेंगे। ...क्रिकेट में जो कमाया है, वह राजनीति की पिच पर गंवाना नहीं। यह हमारी सलाह है। गौरतलब है कि सचिन ने रविवार को क्रिकेट में अपने 20 साल पूरे किए हैं। इस मौके पर एक कार्यक्रम में जब उनसे मराठी मानुष के मुद्दे पर पूछा गया तो उन्होंने यह बात कही थी।

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