Wednesday, December 2, 2009

पुलिस महानिदेशक कार्यालय को आईबी और रॉ से अलर्ट मिले थे।

मुम्बई आतंकी हमलों पर राम प्रधान समिति की रिपोर्ट से पता चला है कि राज्य खुफिया प्रमुख को आतंकी हमलों से पहले केंद्रीय खुफिया एजेंसियों से कोई सूचना नहीं मिली थी, जबकि पुलिस महानिदेशक कार्यालय को आईबी और रॉ से अलर्ट मिले थे। जो राज्य खुफिया विभाग से शेयर नहीं किए गए। मुम्बई हमलों के समय राज्य खुफिया प्रमुख और अब मुम्बई पुलिय आयुक्त डी शिवानंदन के हवाले से समिति ने कहा है, 'केंद्रीय एजेंसियों से राज्य स्तर पर खुफिया जानकारी भेजने में एक और खामी उजागर हुई है।' शिवानंदन ने समिति को बताया कि राज्य खुफिया विभाग के मुख्य अधिकारी होने के बावजूद तमाम केंद्रीय खुफिया अलर्ट पहले डीजीपी और सीपी को भेजे गए और उन्हें कोई प्रति नहीं भेजी गई। शिवानंदन ने बताया कि ऐसे किसी अलर्ट की जानकारी उन्हें तब ही मिलती है जब डीजीपी उन्हें इसकी प्रति भेजते हैं। यहां तक की मल्टी एजेंसी सेंटर (एमएसी) की कार्रवाई से भी उन्हें अवगत नहीं कराया जाता। समिति की रिपोर्ट में बताया गया है कि आतंकवादियों के कब्जे के दौरान स्टैन्डर्ड ऑपरेटिंग प्रैक्टिस यानी एसओपी के प्रति समर्थन नहीं मिलने के कई उदाहरण हैं। इस रिपोर्ट को अभी सार्वजनिक किया जाना बाकी है। लेकिन एक अखबार में इस रिपोर्ट के बारे में जानकारी पहले ही लीक कर दी गई है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि हमले तीन तारीखों को होंगे। 20 अगस्त 2006 को हमला होने के बारे में सात अगस्त को चेतावनी मिली थी जबकि 24 मई 2008 को हमला होने के बारे में 19 मई को और 11 अगस्त 2008 के बारे में 9 अगस्त को चेतावनी मिली थी। इसके तहत ताजमहल होटल और ओबरॉय होटल सहित कुछ निश्चित स्थानों को निशाना बनाये जाने की बात कही गई थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।' इस रिपोर्ट में डीसीपी जोन वन द्वारा ताजमहल होटल के जीएम करमबीर कांग की उस मीटिंग का भी जिक्र किया गया है जिसमें पुलिस द्वारा होटल प्रबंधन को 24 सितम्बर को यह कहकर आगाह किया गया था कि लश्कर-ए-तैयबा फाइव स्टार होटलों को निशाना बनाने की फिराक में हैं। रिपोर्ट में एटीएस की कार्यक्षमता पर आक्षेप लगाते हुए कहा गया है कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद आतंक विरोधी दस्ते में पुलिसकर्मियों और अधिकारियों की घोर कमी है। 730 पुलिस कॉन्स्टेबल के मानक पर 240 कॉन्स्टेबल, चार पुलिस सुपरिटेंडेंट की जगह पर एक, नौ एसीपी की जगह पर तीन तथा पचास इंस्पेक्टर की संख्या बल वाले आतंक निरोधी दस्ते में महज 20 पुलिस इंस्पेक्टर काम कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि शिवनंदन के अधीन काम करने वाले राज्य खुफिया विभाग (एसआईडी) को बीते साल 26 नवंबर को मुम्बई पर हुए आतंकवादी हमलों से पहले किसी इंटेलीजेंस अलर्ट की जानकारी नहीं थी, जबकि सात अगस्त वर्ष 2006 के बाद से इस बात की आशंका के 17 अलर्ट जारी किए गए थे कि दहशतगर्द समंदर के रास्ते आकर तबाही मचा सकते हैं और फिदायीन हमलों को अंजाम दे सकते हैं।
प्रधान समिति ने उल्लेख किया है कि 26 नवंबर के बाद से राज्य खुफिया प्रमुख को अलर्ट भेजे जा रहे हैं। समिति ने यह भी पाया कि सुरक्षा खुफिया, खासतौर पर मुम्बई में आतंकवाद पर अतिरिक्त आयुक्त (विशेष शाखा) और अतिरिक्त आयुक्त (सुरक्षा) काम कर रहे थे। वहीं भारतीय जनता पार्टी ने राम प्रधान कमेटी के सनसनीखेज अंशों को एक अखबार के माध्यम से सार्वजनिक किए जाने की आलेचना की है। भाजपा के प्रसिद्धि प्रमुख विवेकानंद गुप्ता द्वारा जारी की एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कांग्रेस-एनसीपी सरकार से इस्तीफा देने की भी मांग की गई है।

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