2008 के मुंबई हमलों की जांच के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति का कहना है कि मुंबई की अगली चुनौती आतंकवादियों द्वारा किए जा सकने वाले हवाई हमले हो सकते हैं। मुंबई हमलों की जांच के लिए गठित आर. डी. प्रधान समिति की रिपोर्ट में महाराष्ट्र की सुरक्षा प्रणाली की निंदा करते हुए कहा गया है कि आतंकवादी हमले के दौरान रक्षा प्रतिष्ठान पूरी तरह भ्रम की स्थिति में था। आईएएनएस के पास प्रधान समिति की 90 पृष्ठों वाली जांच रिपोर्ट है, जिसे पूर्व गृह सचिव आर.डी. प्रधान और पूर्व नौकरशाह वी.बालचंद्रन ने तैयार किया है। महाराष्ट्र सरकार ने पिछले हफ्ते इस रिपोर्ट को राज्य विधानसभा में पेश किया था लेकिन इसे अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मुंबई में भविष्य में हवाई हमलों की आशंकाओं को किसी को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। समिति ने चेतावनी दी है कि सरकार और गैर सरकारी संस्थानों में हेलिकॉप्टरों का प्रयोग बढ़ गया है। ऐसे में कोई भी हमले के लिए एक हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल कर सकता है। समिति की रिपोर्ट में इस बात पर जोर नहीं दिया गया है कि हवाई हमले के बारे में कोई खुफिया रिपोर्ट मिली है लेकिन कहा गया है कि हमलों की आशंका के मद्देनजर विमानन सुरक्षा के लिए जरूरी उपायों पर ध्यान देना चाहिए। समिति ने मुंबई पुलिस की तारीफ करते हुए कहा कि उसने हमले से निपटने के लिए तेजी से कदम बढ़ाए थे। रिपोर्ट में इस बात पर चिंता जताई गई है कि पुलिस को आतंकवादी हमलों से निपटने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण नहीं दिया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है, 'हमलों को लेकर खुफिया जानकारी का अभाव, खुफिया जानकारियों के इस्तेमाल और नेतृत्व में कमी थी।' समिति ने कहा कि सात अगस्त 2006को खुफिया जानकारी मिली थी कि पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा समुद्री मार्ग से भारत पर हमले की योजना बना रहा है। आईएएनएस को मिली रिपोर्ट में कहा गया है कि समुद्री हमले की छह, एक साथ कई हमले की 11 और तीन फिदायीन हमले की चेतावनी दी गई थी। मुंबई पुलिस ने भी स्वीकार किया है कि हमले से निपटने के लिए जो रास्ता चुना गया था उसमें कमी थी।
Sunday, December 27, 2009
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