Thursday, June 17, 2010

6 जून को कुर्ला से 8 साल की नुसरत खुर्शीद आलम शेख गायब

6 जून को कुर्ला से 8 साल की नुसरत खुर्शीद आलम शेख गायब हो गई थी। 11 दिन बाद भी उसे ढूंढ पाने में नाकाम रही पुलिस के पास अपने बचाव के लिए शायद कई बहाने हों, लेकिन विभाग के खाते में नाकामियों की (महज गुमशुदा बच्चियों के मामले में) एंट्री इतनी ज्यादा है कि आम आदमी की रूह कांप जाए। एनबीटी द्वारा मुंबई पुलिस से हासिल जानकारी के मुताबिक, शहर में हर साल करीब 1,800 लड़कियां (18 वर्ष से कम) गुम हो जाती हैं। इनमें से 15-20 प्रतिशत को पुलिस कभी ढूंढ नहीं पाती (देखें टेबल)। गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाने के बाद बच्चियों के मां-बाप हर रोज पुलिस स्टेशन का चक्कर लगाते हैं, इस आस में कि शायद उनकी लाड़ली का कोई सुराग पुलिस को मिला हो...और महीनों चक्कर लगाकर वे समझ जाते हैं कि अब पुलिस नहीं, उनके जिगर के टुकड़े को भगवान ही ढूंढ सकता है। एनबीटी को मिली जानकारी के अनुसार, इन बच्चियों में से अधिकतर देह व्यापार गिरोह के हत्थे चढ़ जाती हैं तो कुछ ऑर्गन ट्रांसप्लांट का अवैध कारोबार करनेवालों के हाथों। छोटी बच्चियों को भिखारी गिरोह भी बरगलाकर ले जाते हैं। लड़कियों के बैकग्राउंड की पड़ताल किए जाने पर पता चला है कि इनमें से अधिकतर स्लम्स से हैं खासकर ऐसे परिवारों से जो बाहर से आकर यहां बसे हैं। लापता लड़कियों में से कुछ मां-बाप से लड़कर तो कुछ विकट परिस्थितियों से घबराकर घर से चली गईं। वहीं कुछ को पहचानवालों-कम-दलालों ने लालच देकर उठा लिया गया। एडिशनल कमिश्नर ऑफ पुलिस (क्राइम ब्रांच) देवेन भारती का तर्क है कि कुछ अपने बॉयफ्रेंड्स के साथ भाग जाती हैं तो कुछ को नौकरी का लालच देकर भगाया जाता है। और नेहरूनगर की नुसरत जैसी कमउम्र लड़कियां? भारती इन केसों को 'रेयर' करार देते हैं। भारती ने स्वीकारा कि इनमें से अधिकतर भिक्षावृत्ति और देह व्यापार के धंधे में पहुंचा दी जाती हैं। बकौल भारती 'कई लड़कियां हमने रेड लाइट एरिया से ट्रेस की हैं। अंगों के अवैध कारोबार में भी इनके इस्तेमाल की जानकारी मिली है, लेकिन ऐसा वयस्कों के साथ ज्यादा होता है।' रेड लाइट एरिया से छुड़वाई गई लड़कियों के लिए काम करनेवाले एनजीओ 'प्रेरणा' की प्रमुख प्रीति पाटकर कहती हैं, 'जो आंकड़े पुलिस के पास हैं, वे हकीकत से काफी कम हैं। मुंबई, पुणे और ठाणे को छोड़ दें, तो बाकी शहरों में पुलिस वही टका सा जवाब देती है-'बॉयफ्रेंड के साथ भाग गई होगी।' यानी मामला गंभीर है। और पुलिस के पास इन बच्चियों को खोजने के अलावा भी कई काम हैं। तो क्या इन बच्चियों और उनके घरवालों की सिसकियां कोई नहीं सुनेगा?

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