Monday, February 4, 2013

सप्लाईमें आई कमी की वजह से प्याज के दाम नहीं बढ़े


महाराष्ट्र सरकार के अधिकारियों की राय बन रही कि सप्लाईमें आई कमी की वजह से प्याज के दाम नहीं बढ़े हैं। बल्किइसके पीछे व्यापारियों की ' प्राइज फिक्सिंग ' और 'मुनाफाखोरी ' काम कर रही है। इससे निपटने के लिए आगामी28 फरवरी से शुरू हो रही रबी खरीद में सरकारी संगठन 'नाफेड ' की मार्फत प्याज खरीदने की योजना पर विचार चलरहा है। 
आवक
 में मामूली गिरावट : सरकारी स्तर पर आकलन से यहपता चला है कि फरवरी की शुरुआत में प्याज की आवक मेंकेवल तीन प्रतिशत कमी है। इसकी तुलना में प्याज के थोक भाव में 150 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है।इस बात पर खेद व्यक्त किया किया जा रहा है कि इतने दाम बढ़ने पर किसानों के पल्ले लगभग कुछ भी नहींआएगा। पहले किसानों से औने - पौने दाम पर प्याज खरीद चुके व्यापारियों ने दाम बढ़ाने के लिए स्टॉक दबारखे हैं। अब बढ़े दामों पर भारी मुनाफा पीटकर खरीददारों को निशाना बनाया जा रहा है। 
राजनीतिक
 हस्तक्षेप भी समस्या है : इस मामले में राजनीतिक हस्तक्षेप सबसे बड़ी समस्या बनकर सामने आईहै। नाशिक और आसपास के प्याज व्यापारी अब गन्ना किसानों की तरह आक्रामक हो गए हैं। कुछ वर्षों पहले ,केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार पर सड़े हुए प्याज फेंककर किसानों ने नाराजगी व्यक्त की थी। इसके बाद प्याज केएक्सपोर्ट की अनुमति देकर गोदामों में सड़ रहा हजारों टन प्याज बचाया जा सका। 
लासलगांव
 में लगी है आग : प्याज के व्यापार की राजधानी माने जानेवाले नाशिक के लासलगाव में पिछलीजनवरी में 355 रुपये क्विंटल में प्याज बिक रहा था। इस वर्ष जनवरी में यह दाम बढ़कर 2,235 रुपये पर पहुंचगया है। जबकि जयपुर और आगरा जैसी दूसरी प्याज मंडियों में इस तरह से दाम नहीं बढ़े हैं। 

No comments:

Post a Comment