Wednesday, September 12, 2012

दिग्विजय सिंह का कुल जिस राघोगढ़ रियासत के राजा हैं उसका अधिकृत इतिहास उनके खींची होने की पुष्टि करता है।


 ठाकरे परिवार को बिहार मूल का बताने वाले कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह पर उन्हीं के अंदाज में पलटवार किया गया है। शिवसेना के मुखपत्र 'दोपहर का सामना' के एक लेख में दिग्विजय के पूर्वजों को 'दगाबाज' कहते हुए दावा किया गया है कि वे मुगलों और अंग्रेजों के मुखबिर थे। लेख में ठाकरे के पूर्वजों की खूब तारीफ गई है। कहा गया है कि शिवाजी की सेना में ठाकरे के पूर्वजों का अहम स्थान रहा है। वहीं, दिग्विजय को खिंची कुल का बताया गया है। लेख में कहा गया है कि दिग्विजय के पूर्वज मुगलों और अंग्रेजों की मुखबिरी करते थे।

इसमें लिखा गया है, 'ठाकरे कुल पर आरोप लगाने वाले दिग्विजय सिंह का कुल भी जांच लिया जाए। ठाकरे कुल के पूर्वज तो छत्रपति शिवराज की सेना के शूरवीर थे। वे हिंदू स्वराज के लिए लड़ रहे थे। दिग्विजय सिंह का कुल खींची राजपूतों का है। वे जिस राघोगढ़ रियासत के राजा हैं उसका अधिकृत इतिहास उनके खींची होने की पुष्टि करता है। खींची संस्थान, जोधपुर से प्रकाशित 'सर्वे ऑफ खींची हिस्ट्री'जिसके लेखक ए.एच निजामी और जी. ए. खींची हैं, का दावा है कि खींची उपजाति राजपूत धन लेकर युद्ध करने के लिए कुख्यात रहे हैं। ... दिग्वजिय जिस रोघागढ़ रियासत के कुंवर हैं, वह रियासत गरीबदास नामक योद्धा को बादशाह अकबर ने दी थी। जब राजपूताना और मामलाव के अधिकांश क्षत्रिय राणा प्रताप की ओर हो लिए थे, तब भी राघोगढ़ का गरीबदास अकबर का मुखबिर था। इस गद्दी पर 17 97 तक दिग्विजय का पूर्वज बलवंत सिंह मौजूद था। '1778 के प्रथम मराठा-अंग्रेज युद्ध में बलवंत सिंह ने अंग्रेजों की मदद की थी।

गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से दिग्विजय सिंह और ठाकरे परिवार के बीच जुबानी जंग छिड़ी हुई है। विवाद तब शुरू हुआ जब दिग्विजय सिंह ने यह कहा कि बिहारियों का विरोध करने वाला ठाकरे परिवार खुद बिहार से आया है। इसके लिए उन्होंने ठाकरे परिवार पर लिखी किताब का हवाला भी दिया। दिग्विजय के इस बयान से तिलमिलाए उद्धव ठाकरे ने उन्हें पागल तक कह डाला।

No comments:

Post a Comment