Friday, September 7, 2012

कांग्रेसी नेता सुबोध कांत सहाय और विजय दर्डा के बाद दो और नेताओं का नाता 2005-2009 के बीच कोयला ब्लॉक आवंटन पाने वालीं कंपनियों से जुड़ ग

 कांग्रेसी नेता सुबोध कांत सहाय और विजय दर्डा के बाद दो और नेताओं का नाता 2005-2009 के बीच कोयला ब्लॉक आवंटन पाने वालीं कंपनियों से जुड़ गया है। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता प्रेम चंद गुप्ता के बेटों ने उस समय कोयला ब्लॉक के लिए आवेदन किया था जब वह केंद्र सरकार में कंपनी मामलों के मंत्री थे। गुप्ता का बेटा स्टील के कारोबार में बिल्कुल नया था, इसके बावजूद उन्हें ब्लॉक मिल गया।

सूचना एवं प्रसरण राज्यमंत्री एस. जगतरक्षकन ने तो अलॉटमेंट से पांच दिन पहले जेआर पावर नामक कंपनी बनाई और सरकारी कंपनी पुड्डुचेरी इंड्स्ट्रियल प्रमोशन डिवलपमेंट ऐंड इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन (पीआईपीडीआईसी) के साथ एमओयू साइन करके 17 जनवरी 2007 को कोल ब्लॉक के लिए दावेदारी ठोक दी। 25 जुलाई को कंपनी को उड़ीसा के नैनी में कोल ब्लॉक मिल गया और एक महीने के भीतर ही जेआर पावर ने अपनी हिस्सेदारी हैदराबाद की कंपनी केएसके एनर्जी वेंचर्स को बेच दी, जिससे इस कंपनी को ब्लॉक से कोयला निकालने का अधिकार मिल गया।

बाद जगतरक्षकन ने 2009 में चुनाव लड़ने के लिए कंपनी के डायरेक्टर पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन उनके परिवार के लोग अभी भी कंपनी के डायरेक्टर हैं। साफ है कि कोर सेक्टर में कोई ट्रैक रेकॉर्ड न होने के बावजूद जेआर पावर को मनमानी पूर्ण तरीके से ब्लॉक आवंटित किए गए और कंपनी ने इसे बेचकर एक महीने के भीतर ही मोटा मुनाफा कमा लिया। खास बात यह है कि जिस पीआईपीडीआईसी के साथ जेआर पावर ने कोल ब्लॉक की दावेदारी जताने के लिए संयुक्त उपक्रम बनाया था वह भी एक इन्वेस्टमेंट कंपनी है।

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