Thursday, April 15, 2010

लेबोरेटरी कर्मचारियों की कमी के चलते ठीक तरीके से काम नहीं कर पा रही

साध्वी प्रज्ञा सिंह, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइसेंज में हुए अमेरिकी लड़की का बलात्कार, नूरिया हवेली वाला प्रकरण और अंधेरी के हालिया शूटआउट के मामलों में सबसे कॉमन कलीना फरेंसिक लेबोरेटरी है। यहीं इन हाई-प्रोफाइल मामलों की जांच हुई लेकिन खुद महाराष्ट्र की एक मात्र फॉरेंसिक लेबोरेटरी कर्मचारियों की कमी के चलते ठीक तरीके से काम नहीं कर पा रही है। हाल ही में एफसीएल कलीना की तरफ से होम मिनिस्टरी में अस्थायी पदों पर नियुक्ति करने के लिए आवेदन किया गया था जिसे मंत्रालय की तरफ से बिना कोई वजह बताए निरस्त कर दिया गया। लेबोरेटरी से जुड़े एक आला अधिकारी की माने तो वर्तमान में डीएनए, नाकोर् और बैलिस्टिक जांच के विभिन्न मामलों में कार्रवाई इसलिए नहीं पूरी हो पा रही है क्योंकि तकरीबन 68 जांच कर्ताओं की लैब में कमी है। जनवरी महीने में लेबोरेटरी की तरफ से 30 पदों को अस्थायी तौर पर भरने की मांग की गई थी लेकिन मंत्रालय ने बिना कोई वजह बताए उक्त अजीर् को खारिज कर दिया। संबंधित लेबोरटरी से जुड़े एक अन्य अधिकारी की माने तो मंत्रालय की तरफ से इस बात की जानकारी दी गई है कि महाराष्ट्र राज्य सेवा आयोग जल्द ही इन सभी 68 पदों को भरने के लिए अखबारों में विज्ञापन देगी लेकिन कब और कहां इस बात की जानकारी किसी को नहीं है? वैसे एफएसएल कलीना पिछले कई सालों से कर्मचारियों की कमी होने की शिकायत करता रहा है? इसी वजह से साल 2008 में संबंधित लेबोरेटरी ने गोवा के मशहूर बीच पर मृत पाई गई ब्रिटिश युवती स्कारलेट किलिंग के मामले की जांच करने से मना कर दिया था। जिसके बाद इस मामले को हैदराबाद फॉरेंसिक लैब भेज दिया गया था। एफएसएल कलीना के सूत्रों की माने तो उनके पास डीएनए और बैलिस्टिक जांच से संबंधित सभी उपकरण है लेकिन संबंधित अधिकारी के ने होने की वजह से जांच ठंडे बस्ते में पड़ी रहती है। वहीं दूसरी तरफ करप्शन के मामलों में एंटी करप्शन ब्यूरो द्वारा फॉरवर्ड किए गए मामले भारी तादाद में अनसुलझे पड़े हैं। एसीबी के एक अधिकारी की माने तो घूसखोरी के मामलों में रिकार्ड किए गए जिन टेपों के आधार पर एसीबी पड़ताल करती है उनकी मैचिंग रिपोर्ट आने में कम से कम दो साल का वक्त लगता है। इन मामलों में बिना रिपोर्ट के आए एसीबी या पुलिस चार्जशीट तक दाखिल नहीं कर सकती। वर्तमान में एफएसएल कलीना में ही घूसखोरी के तकरीबन 100 मामले विचाराधीन हैं।

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