बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को साल 2006 के मालेगांव विस्फोट के मामले में तीन आरोपियों द्वारा दाखिल याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें विशेष जांच दल से ताजा जांच की मांग की गई थी। जज डी. बी. भोसले और जज ए. आर. जोशी की खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता निचली अदालत में याचिका दाखिल कर सकते हैं। मालेगांव में आठ सितंबर 2006 को हुए चार विस्फोटों में 30 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। तीन आरोपियों नूरउलहुदा समसुदोहा, शब्बीर अहमद मसिउल्ला और मोहम्मद जाहिद ने याचिका दाखिल की थी। याचिका में आरोप है कि अबरार अहमद नामक शख्स द्वारा दाखिल हलफनामे में संकेत है कि याचिकाकर्ताओं को फंसाया गया है। इसमें यह आरोप भी लगाया गया है कि अबरार का हलफनामा दिखाता है कि 2006 के मालेगांव विस्फोटों और 2008 में इसी कस्बे में हुए विस्फोटों में कोई कड़ी जुड़ी है। 2008 के मामले में हिंदू संगठन अभिनव भारत के सदस्य आरोपी हैं। हालांकि, याचिकाकर्ताओं के वकील अमीन सोलकर ने कहा कि यही समूह 2006 के हमलों में भी शामिल हो सकता है और इसलिए एसआईटी को मामलों में जांच करनी चाहिए। हालांकि, अदालत ने कहा कि वह अबरार के शपथपत्र की सच्चाई की पुष्टि नहीं कर सकती और याचिकाकर्ता इस संबंध में निचली अदालत में मुकदमा शुरू होने पर वहां गुहार लगा सकते हैं। उच्चतम न्यायालय ने 2006 के मामले में मुकदमे पर रोक लगा दी थी। दरअसल आरोपियों ने महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी।
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