Wednesday, December 10, 2014

रेप की घटना से मुंबई पुलिस सर्तक

दिल्ली में पिछले हफ्ते उबर कंपनी के कैब ड्राइवर द्वारा रेप की घटना से मुंबई पुलिस सर्तक हो गई है और उसने 31 दिसंबर के पहले शहर के सभी टैक्सी ड्राइवरों के बैकग्राउंड की जांच का काम पूरा करने की योजना बनाई है।
मुंबई में 44500 हजार से ज्यादा टैक्सियां हैं, जिनमें 3500 रेडियो कैब, 3000 हजार टैक्सियां और 38 हजार यलो टॉप्स टैक्सियां शामिल हैं। पुलिस विभाग ने इस काम को पूरा करने के लिए अपने स्पेशल ब्रांच, क्राइम ब्रांच, सभी पुलिस स्टेशनों और ट्रैफिक विभाग को शामिल किया है। 

यह शहर के टैक्सी ड्राइवरों के स्क्रीन टेस्ट के लिए चलाए गए सबसे बड़े अभियानों में से एक है और इसकी मदद से जो डेटा बनाया जाएगा उसे ऑनलाइन किया जाएगा ताकि सभी पुलिस स्टेशनों के लिए वह बस एक क्लिक की दूरी पर हो।
दिल्ली रेप पीड़िता ने एक स्मार्ट फोन ऐप से शुक्रवार रात ऊबर कंपनी की टैक्सी बुक कराई थी। लेकिन उसका आरोप है कि ड्राइवर उसे एक सूनसून जगह पर ले गया और उसके साथ रेप किया। टैक्सी ड्राइवर को मथुरा से अरेस्ट किया गया। पुलिस ने जांच में पाया कि वह ड्राइवर पहले भी एक बार रेप के आरोप में जेल जा चुका है। दिल्ली में ऊबर की सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं और कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। टैक्सी कंपनियों द्वारा ड्राइवरों की जांच-पड़ताल किए बिना ही काम पर रखे जाने पर सवाल उठ खड़े हुए हैं।
मुंबई पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया ने कहा, हमने दिल्ली रेप के से सबक सीखा है और हमने खुद के सामने एक बड़ा लक्ष्य रखा है। उम्मीद है कि नए साल से पहले हम उसे पूरा कर लेंगे।' उन्होंने कहा नए साल के सेलिब्रेशन के दौरान लोग ज्यादा टैक्सी हायर करते हैं, तो ऐसे में हम नहीं चाहते कि शहर की कोई महिला खुद को असुरक्षित महसूस करे।
मुंबई के पास तीन रेडियो कैब सेवाएं हैं, जिनमें मेरु, ईजीकैब और टैबकैब शामिल हैं। लेकिन फिर भी काली-पीली और ब्लू-सिल्वर रंग की एसी टैक्सियां शहर में सबसे ज्यादा प्रचलित हैं। ऊबर के साथ-साथ ओला और टैक्सी फॉर श्योर जैसी कंपनियां ग्राहकों के लिए कैब उपलब्ध कराने के लिए ऐप का इस्तेमाल करती हैं। जबकि मेरु, ईजीकैब और टैबकैब्स जैसी कंपनियों के कॉल सेंटर्स है और उसी से वे ग्राहकों तक पहुंची हैं। लेकिन ओला और टैक्सी फॉर श्योर की कारें ब्रैंडेंड होती हैं।
अडिशनल ट्रांसपोर्ट कमिश्नर सतीश सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि ओला और ऊबर टूरिस्ट कंपनियां हैं जिनके पास नैशनल परमिट हैं और वे राज्य सरकार की टैक्सी योजनाओं के अतंर्गत नहीं आती हैं।
राज्य में चलने वाली टैक्सियां राज्य सरकार के फ्लीट टैक्सी स्कीम 2006, कॉल टैक्सी स्कीम 2010 और फोन फ्लीट टैक्सी स्कीम 2010 के तहत राज्य ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी से अप्रूव्ड हैं। लेकिन यह नियम ओला और टैक्सी फॉर श्योर के लिए नहीं है।
कैब की जांच आज से शुरू कर दी जाएगी। रेडियो कैब ड्राइवर्स और टैक्सी ड्राइवर्स असोसिएशन को निर्देश दिया गया है कि वे सारे रेकॉर्ड्स पुलिस को उपलब्ध कराएं। डेप्युटी कमिश्नर ऑप पुलिस (क्राइम) धनंजय कुलकर्णी ने बताया कि जांच के दौरान ड्राइवर की मुंबई में आपराधिक पृष्ठभूमि की जांच के साथ ही उसके मूल निवास स्थान में भी उसके आपराधिक रेकॉर्ड की जांच की जाएगी।
सीनियर अधिकारियों के मुताबिक मारिया द्वारा रखा गया लक्ष्य जितना लगा रहा है उससे कहीं बड़ा है। पहली बात तो शहर में टैक्सियों की वास्तविक संख्या टैक्सी की आधिकारिक यूनियनों द्वारा बताई गई संख्या से ज्यादा हैं और दूसरी बात हर टैक्सी के साथ कम से कम दो से तीन ड्राइवर जुड़े होते हैं। एक अधिकारी ने कहा, 'हमारे अनुमान के मुताबिक मुंबई में कम से कम 60 हजार टैक्सियां हैं। अगर यह माना जाए कि एक टैक्सी के साथ दो ड्राइवरों जुड़े हैं तो मतलब हमें 20 दिनों में 1 लाख 20 हजार ड्राइवरों की जांच करनी हैं।' यह बहुत बड़ा काम है लेकिन हम इसे पूरा करने के लिए अपने सभी संसाधन लगाएंगे।'
लेकिन जॉइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस (लॉ ऐंड ऑर्डर) धनंजय कमलाकर ने कहा कि पुलिस इस काम को पूरा करने के लिए आगे बढ़ेगी जिससे यह शहर में किसी अनहोनी को रोकने के लिए अवरोध का काम करे। उन्होंने कहा, 'हम इस बात पर काम कर रहे हैं कि इसे कैसे पूरा किया जाए। हमने आरटीओ से टैक्सी ड्राइवर्स के पुलिस वेरीफिकेशन का रेकॉर्ड मांगा है। हम इस काम को पूरा करने के लिए अपने पुलिस स्टेशन को भी लगाएंगे।' 

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