Friday, August 8, 2014

अब शंकरनारायणन

मिजोरम के राज्यपाल पद से कमला बेनिवाल की बरखास्तगी का संदेश बहुत साफ है। इसे कांग्रेस नियुक्त बाकी राज्यपालों के लिए खतरे की घंटी माना जा रहा है। इसमें महाराष्ट्र के राज्यपाल के शंकरनारायणन भी शामिल हैं।
देश वैसे ही बहुत कठोर है- गवर्नर पद से इस्तीफा दो, या फिर बरखास्तगी की जलालत झेलो। संकेत तो यही हैं, कांग्रेस के नेता रहे राज्यपाल मोदी-सरकार के निशाने पर हैं। वैसे, तो इस वर्ग में दस राज्यपाल आते हैं, मगर तीन ऐसे हैं जिन पर तुरंत गाज गिर सकती है। पूर्व गृह मंत्री शिवराज पाटील (राज्यपाल-पंजाब), पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित (राज्यपाल-गोवा) और केरल में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष रहे के. शंकरनारायणन (राज्यपाल-महाराष्ट्र) के पद खतरे में बताए जा रहे हैं।

वैसे, नगालैंड के पूर्व मुख्यमंत्री एस सी जमीर (राज्यपाल-ओडिशा), राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ पहाड़िया (राज्यपाल- हरियाणा), पूर्व केंद्रीय मंत्री मार्गरेट अल्वा (राज्यपाल-राजस्थान) और मध्य प्रदेश की पूर्व कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष उर्मिला सिंह (राज्यपाल- हिमाचल प्रदेश) और लंबे समय तक मुंबई से विधायक रहे सैयद अहमद (राज्यपाल-झारखंड) इसी श्रंखला में आते है।
अगर राज्यपालों की बारी-बारी छंटाई हुई, तो हो सकता है कि इन्हें कुछ समय मिल जाए। जहां तक महाराष्ट्र से ताल्लुक रखने वाले पूर्व सांसद श्रीनिवास पाटील (राज्यपाल-सिक्किम) और शिक्षाविद डी.वाय. पाटील (राज्यपाल-बिहार) का सवाल है, ये दोनों एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार की सिफारिश पर राज्यपाल बनाए गए हैं। हाल में नरेंद्र मोदी और पवार की मुलाकात और बेहतर होते संबंधों के बल पर दोनों बने रह जाएं, तो आश्चर्य नहीं करना चाहिए।
बहरहाल, महाराष्ट्र के राजभवन में चर्चा है कि यहां के राज्यपाल शंकरनारायणन ने खुला बयान देकर अपना केस बिगाड़ लिया। उन्होंने बाकायदा मलयालम अखबारों को बताया कि केंद्रीय गृह सचिव ने उन्हें फोन करके इस्तीफा देने को कहा है। इसी रौ में 'महामहिम' राज्यपाल' यह भी बता गए कि उन्होंने केंद्र सरकार की ओर से आया यह प्रस्ताव ठुकरा दिया है। वे इस्तीफा नहीं देंगे।
हालांकि उन्होंने यह भी कहा था कि 'प्रॉपर चैनल' से अगर प्रस्ताव आया तो वे इस पर विचार करेंगे। इसके बाद से ही यह चर्चा का विषय है कि 'प्रॉपर चैनल' से उनका मतलब क्या है? गृह मंत्री राजनाथ सिंह उनसे अनुरोध करें या फिर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनसे बात करें! खैर, कमला बेनिवाल के मामले में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। पहले गुजरात से मिजोरम ट्रांसफर। इसके बाद सीधे घर वापसी। सरकारिया कमिशन ने राज्यपाल पद की गरिमा बनाए रखने के लिए उनकी नियुक्ति और कार्यकाल को लेकर स्पष्ट सुझाव दिए हैं। मगर इसका पालन केंद्र सरकारों के लिए प्राथमिकता का विषय नहीं रहा है।
कर्नाटक के राज्यपाल रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री हंजराज भारद्वाज और असम के राज्यपाल रहे ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री जेबी पटनायक ही ऐसे राजनेता हैं, जिन्होंने सरकार बदलते ही इस्तीफा दे दिया था। वरना मोदी सरकार आने के बाद राज्यपाल पद त्यागने वाले सरकारी बाबू ही रहे हैं। एम.के. नारायणन (पश्चिम बंगाल), शेखर दत्ता (छत्तीसगढ़), बी.एल. जोशी (उत्तर प्रदेश), वीबी पुरुषोत्तमन (मिजोरम)और पूर्व वायुसेना अधिकारी भारतवीर वांछू (गोवा) इनमें शामिल हैं।
 अ

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