कुर्ला के मुस्लिम युवक जीशान अली खान को नौकरी न देने के
मामले में नया मोड़ आ गया है। डायमंड कंपनी हरिकृष्णा से जुड़े पांच लोगों ने अपनी
गिरफ्तारी से बचने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। डीसीपी वीरेंद्र मिश्र ने
एनबीटी को यह जानकारी दी।
जॉइंट सीपी देवेन भारती
के अनुसार, कोर्ट
गए इन पांच कर्मचारियों में दो डायरेक्टर्स हैं। इस कंपनी के खिलाफ पिछले सप्ताह
कुर्ला के विनोबा भावे नगर में आईपीसी के सेक्शन 153 बी (1 बीसी) के तहत एफआईआर
दर्ज हुई थी। बाद में यह केस बीकेसी पुलिस को ट्रांसफर कर दिया गया था। पुलिस ने
एफआईआर दर्ज करने के बाद इस कंपनी के करीब आधा दर्जन लोगों से पूछताछ की थी। साथ
ही कंपनी के सूरत स्थित कई डायरेक्टर्स को भी समन भेजा था। उसी के बाद अपनी
गिरफ्तारी के डर में कंपनी से जुड़े पांच लोगों ने अग्रिम जमानत के लिए मंगलवार को
कोर्ट में अप्लीकेशल दी। कोर्ट ने इस केस की अगली तारीख 1 जून निर्धारित की है और
तब तक पुलिस को इन पांचों लोगों को गिरफ्तार न करने का आदेश दिया है।
जिन लोगों ने अग्रिम
जमानत की अप्लीकेशन दी , उनमें
वह HR ट्रेनी
दीपिका टीके भी शामिल है , जिसने
जीशान को यह ई-मेल भेजा था कि हमारी कंपनी में मुस्लिमों को जॉब नहीं दिया जाता।
जमानत का आवेदन देने वालों में घनश्याम ढोलकिया और हंसमुख ढोलकिया डायरेक्टर्स हैं, जबकि महेंद्र देशमुख
असोसिएट वाइस प्रेजिडेंट। पांचवें याचिकाकर्ता भास्कर जोशी हैं, जिनकी कंपनी में पोस्ट
एडमिन मैनेजर की है। हालांकि शुरूआती पूछताछ में ई-मेल भेजने वाली HR की लड़की दीपिका ने
जीशान को ई-मेल भेजने की जिम्मेदारी खुद पर ली थी और कहा था कि उस दिन उसका दिमाग
काम नहीं कर रहा था, इसलिए
उससे यह गलती हो गई, पर
बीकेसी पुलिस को उसके इस बयान पर कभी भी विश्वास नहीं हुआ। पुलिस को शक है कि शायद
यह कंपनी का हिडन एजेंडा है, इसलिए पुलिस ने मुंबई स्थित HR अधिकारियों को ही नहीं, इसके सूरत स्थित कई
डायरेक्टरों को पूछताछ के लिए मुंबई आने के वास्ते समन भेजा था। कंपनी के पांच
लोगों को अग्रिम जमानत के लिए कोर्ट में जाना इसी के तहत देखा जा रहा है। एफआईआर
में जो आईपीसी का सेक्शन लगाया गया है, यदि अपराध साबित हो गया, तो इसमें तीन साल तक की
सजा का प्रावधान है।
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