Wednesday, May 20, 2015

किसानों से 14 से 16 रुपये प्रति लीटर दूध

दूध की बढ़ती कीमतों से जहां आम जन के पसीने छूट रहे हैं, वहीं दूध विरतण कंपनियां किसानों से सस्ते रेट पर दूध खरीदकर उनका शोषण कर रही हैं। खरीदी-बिक्री के इस अंतर से दूध सप्लाई करने वाली कंपनियों की चांदी हो गई है।
मंगलवार को पशु संवर्धन, दूध विकास एवं मत्स्य व्यवसाय मंत्री एकनाथ खडसे ने राज्य की दूध वितरण कंपनियों से कहा कि वे किसानों से न्यूनतम 20 रुपये प्रति लीटर दूध खरीदें। ऐसा नहीं करने वाली वितरण कंपनियों पर फौजदारी कार्रवाई होगी। इस संबंध में सरकार जल्द ही अध्यादेश जारी करेगी। साथ ही उन्होंने वितरण कंपनियों से कहा कि वे जनता को 2 से 5 रुपये कम रेट पर दूध मुहैया कराएं।

दूध विरतण कंपनियां किसानों से 14 से 16 रुपये प्रति लीटर दूध खरीद रही हैं। वही दूध आम जन को 40 से 60 रुपये में दे रही हैं। खरीदी-बिक्री में इतना बड़े अंतर से सरकार और अधिकारी परेशान हैं। दूसरी तरफ, दूध के लालच में जानवर पालने वाले किसानों का बुरा हाल है। बड़ी संख्या में किसान इस व्यवसाय से ही छुटकारा पाने के लिए अपने पशुओं को बेचने लगे हैं। क्योंकि इतने कम रेट पर दूध बेचने से उनका हिसाब गड़बड़ा गया है। नागपुर और मुंबई के बजट सत्र में विरोध दलों ने इस मामले को जोरशोर से उठाया था। तब सरकार ने यह कहते हुए अपना पिंड छुड़ा लिया था कि वह दूध वितरण कंपनियों के साथ बैठक तक रास्ता निकालेगी।
एक समय था जब किसान कंपनियों को 30 से 35 रुपये प्रति लीटर दूध बेचती थी। उस वक्त पावडर बनाने वाली कंपनियों को केंद्र सरकार रियायत देती थी। अब केंद्र ने वह रियायत खत्म कर दी है। इससे दूध से पावडर बनाने का काम लगभग बंद हो गया, इसलिए इन कंपनियों ने किसानों से दूध खरीदना बंद कर दिया। इससे दूध की मांग घट गई। बताया जा रहा है कि दूध की मांग घटने से प्रतिदिन करीब 5 लाख लीटर दूध का अतिरिक्त उत्पादन हो रहा है।
मंगलवार को विधान परिषद के सभापति रामराजे नाईक-निंबालकर, विधान सभा अध्यक्ष हरिभाऊ बागडे, अन्न व नागरी आपूर्ति मंत्री गिरीष बापट, विधान परिषदेचे विरोधी पक्षनेते धनंजय मुंडे और राज्य के दूध वितरण कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की।

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