Tuesday, May 19, 2015

दिन के वक्त भी महिलाएं और बच्चे सुरक्षित नहीं

चकाचौंध से भरी 'मायानगरी' अब दुर्भाग्य से 'जुर्म की नगरी' बनती जा रही है। साल 2015 के शुरुआती तीन महीनों में अपराध के ताजा आंकड़े बता रहे हैं कि महिलाओँ के अपहरण मामलों में बीते साल से 165 % बढ़त दर्ज हुई है। 
आरटीआई के तहत मिली जानकारी के मुताबिक रेप केस 43 फीसदी बढ़े हैं, वहीं गैंगरेप का औसत आंकड़ा 7 से कम होकर 4 पर पहुंचा है। 

आरटीआई कार्यकर्ता चेतन कोठारी के जुटाए तथ्य बता रहे हैं कि साल 2015 में जनवरी से मार्च तक 138 लोगों के खिलाफ 172 केस दर्ज हुए। इसी के साथ अपहरण जैसे अपराधों में भी बढ़त दर्ज की गई है।
2015
के इस अंतराल में 202 अपहरण के मामले दर्ज हुए हैं, जो कि पिछले साल 76 थे।
एक आईपीएस अफसर ने बताया कि लगभग 95 फीसदी रेप के मामलों में शादी का झांसा देकर बलात्कार किया गया है। अफसर ने ऐसी घटनाओं के लिए पैर पसार रहे शहरीकरण को भी दोषी ठहराया है। बाल अपराधों की बात करें तो ज्यादातर मामलों में 10 साल से कम उम्र के बच्चों के 'दुश्मन' उनके अपने रिश्तेदार, परिवार के सदस्य ही हैं। मार्च 2014 में हुए ऑडिट में पुलिस ने 272 जगहें चिन्हित की थीं, जहां दिन के वक्त भी महिलाएं और बच्चे सुरक्षित नहीं हैं। यह सतर्कता भी तब बरती गई थी जब 22 वर्षीय फोटो जर्नलिस्ट के साथ शक्तिमिल कंपाउंड में गैंगरेप का मामला चर्चा में आया था।

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