Wednesday, October 29, 2014

बीजेपी ने शिवसेना को नजरंदाज कर दिया

देवेंद्र फडनवीस को महाराष्ट्र में विधायक दल का नेता चुनकर बीजेपी ने अकेले सरकार बनाने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। समर्थन के बारे में शिवसेना के आगे बढ़-बढ़कर बयान देने के बाद भी बीजेपी ने उसे अभी तक तवज्जो नहीं दिया है। सूत्रों का कहना है कि बीजेपी नेतृत्व चाहता है कि शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे पहले दिए गए अपने तीखे बयानों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से माफी मांगें।
एक केंद्रीय मंत्री ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस को बताया, 'बीजेपी-शिवसेना का गठबंधन तो तय है। बस समय की बात है, लेकिन हमें उन्हें प्रधानमंत्री और अमित शाह के ऊपर की गई बयानबाजी को लेकर नाराजगी का अहसास कराना चाहते हैं। उन्हें माफी मांगनी पड़ेगी।'
चुनाव प्रचार के दौरान उद्धव ठाकरे ने बीजेपी के स्टार प्रचारकों को अफजल खान की औलाद के समान बताया था। तुलजापुर में एक रैली को संबोधित करते हुए उद्धव ने कहा था, 'वे क्या चाहते हैं? पहले मोदी आए और अब उनकी पूरी कैबिनेट महाराष्ट्र में प्रचार करने आ गई। वे अफजल खान की औलाद की तरह हैं और राज्य को फतह करना चाहती हैं।'
इसके अलावा चुनाव प्रचार थमने के अगले दिन शिवसेना मुखपत्र 'सामना' में छपे लेख से भी बीजेपी नेतृत्व आहत है। इसमें लिखा गया था, 'लोकसभा में जीत के बाद बीजेपी ने शिवसेना को नजरंदाज कर दिया। यदि शिवसेना ने बीजेपी स्‍टाइल में ही लोकसभा चुनावों से पहले दांव मारा होता तो मोदी के बाप दामोदरदास भी बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं दिला पाते।'
सूत्रों का कहना है कि बीजेपी ने शिवसेना तक संदेश पहुंचा दिया है कि वह सार्वजनिक या निजी तौर से माफीनामा चाहती है। इसके साथ ही पार्टी यह भी चाहती है कि वह महाराष्ट्र में बीजेपी की सरकार को बिना शर्त समर्थन देने की घोषणा करे। देवेंद्र फडनवीस 31 अक्टूबर को मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले हैं। पार्टी के एक नेता ने कहा कि हम नहीं चाहते हैं कि शिवसेना से तब तक गठबंधन किया जाए।
बीजेपी के महासचिव जे पी नड्डा ने कहा शिवसेना के साथ गठबंधन को लेकर बातचीत जारी है। बीजेपी के सूत्रों का मानना है कि एनसीपी के बाहर के समर्थन से सरकार चलाने के बजाय शिवसेना के साथ गठबंधन लंबे समय में पार्टी के लिए फायदेमंद रहेगा। इसके अलावा एनसीपी के साथ जाने से पार्टी की छवि को भी नुकसान पहुंचेगा।
फडनवीस खुद ने भी चुनाव प्रचार के दौरान एनसीपी के दागी मंत्रियों के खिलाफ अभियान चालाया था। इसके साथ ही बीजेपी इस बार शरद पवार के गढ़ माने जाने वाले पश्चिम महाराष्ट्र में सेंध लगाने में कामयाब रही है। ऐसे में एनसीपी को लेकर नरम रुख उस इलाके में पार्टी कार्यकर्ताओं के उत्साह को ठंडा कर सकता है।

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