Wednesday, October 22, 2014

शिवसेना भी बीजेपी को किसी कीमत पर बख्शने को तैयार नहीं

एक तरफ बीजेपी शिवसेना को एनसीपी के समर्थन का डर दिखा कर उससे बिना शर्त समर्थन पाने का माइंड गेम केल रही है, वहीं शिवसेना भी बीजेपी को किसी कीमत पर बख्शने को तैयार नहीं है। हां इतना जरूर है कि वह अब सीधे-सीधे बीजेपी पर वार करने के बजाए 'कहीं पर निगाहें, कहीं पर निशाना' वाली स्टाइल में बीजेपी पर वार कर रही है।
बीजेपी को एनसीपी के समर्थन के मुद्दे पर शिवसेना का ताजा बयान उसकी इसी स्ट्रेटेजी को उजागर करता है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामान के जरिए कहा है कि एनसीपी द्वारा बीजेपी को बिना शर्त समर्थन देने की पेशकश घोटाले में दागी अपने भ्रष्ट नेताओं को बचाने के लिए है। अगर इस बयान के दूसरे पहलू को देखा जाए तो इसका यह मतलब भी निकलता है कि बीजेपी एनसीपी का समर्थन उसके करप्ट नेताओं को संरक्षण देने की कीमत पर ले रही है।
शिवसेना ने अपने बयान में शरद पवार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव प्रचार के दौरान दिए गए बयानों को भी प्रमुखता से उठाया है। पार्टी ने अपने बयान में कहा कि 'कल तक, एनसीपी के लिए बीजेपी एक सांप्रदायिक पार्टी थी और हाफ पैंट पहनने वालों की पार्टी कहकर शरद पवार बीजेपी का मजाक उड़ाते थे। पार्टी ने सवाल उठाया है कि क्या अब शरद पवार ने हाफ पैंट सिलवा ली है? इसी तरह प्रधानमंत्री मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान एनसीपी को 'नैचुरली करप्ट पार्टी' कहा था इसकी याद भी शिवसेना ने दिलाई है।
शिवसेना ने सवाल उठाया है कि बीजेपी नेताओं ने एनसीपी के करप्ट नेताओं को जेल भेजने का वादा महाराष्ट्र के मतदाताओं से किया है। अब अगर उसी पार्टी के नेताओं के समर्थन से बीजेपी सरकार बनाएगी तो जेल किसे भेजेगी?
विदर्भ में बीजेपी को मिले जबर्दस्त जनादेश का मतलब यह नहीं है कि विदर्भ के लोगों ने अलग राज्य के लिए जनादेश दिया है। शिवसेना ने कहा,'बीजेपी को विदर्भ क्षेत्र में बडा जनादेश मिला जिससे उसकी सीट संख्या काफी बढ़ गई, लेकिन हम इस बात पर विश्वास नहीं कर सकते कि यह जनादेश अलग विदर्भ राज्य के लिए है। वहां बीजेपी के विधायक हो सकते हैं, लेकिन वहां से सांसद शिवसेना के हैं जो एकीकृत महाराष्ट्र के लिए कटिबद्ध हैं। उनका रुख अटल है और कभी नहीं बदलेगा ।'

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