Monday, March 9, 2015

मुसलमानों को लुभाने की तैयारी

महाराष्ट्र के कुछ शहरों में नगर निकायों के चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी गो-हत्या पर लगी पाबंदी के साथ रोजगार और शिक्षा में आरक्षण वापस लिए जाने के मसले पर राज्य के मुसलमानों को लुभाने की तैयारी में है। पार्टी का कहना है कि राज्य में बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार के हालिया फैसले से मुसलमान खुद को अलग-थलग महसूस कर रहे हैं और यह वक्त नगर निकाय चुनावों में फिर से उनका समर्थन जीतने का है। महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमिटी के नव नियुक्त अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने पिछले 8 दिनों में पार्टी नेताओं के साथ दो बार बैठक की है।
इन बैठकों में उन्होंने बताया कि किस तरह से पार्टी राज्य के अर्द्धशहरी इलाकों में अल्पसंख्यकों तक पहुंचने के लिए तैयारी कर रही है। कांग्रेस के लिए बड़ी चिंता की बात महाराष्ट्र में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एमआईएम का बढ़ता प्रभाव है। यह धारणा तेजी से बढ़ी है कि मुसलमान कांग्रेस से हटकर एमआईएम को भरोसमंद विकल्प मान रहे हैं। इससे बीजेपी और शिवसेना को 2014 के विधानसभा चुनाव जीतने में भी मदद मिली। इस चुनाव में राज्य की कुल 288 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस को मात्र 42 सीटें मिलीं।
चव्हाण ने बताया, 'हमें महाराष्ट्र में मुसलमानों, दलितों और ओबासी समुदाय के लोगों तक पहुंचना है। इन समुदाय के लोगों को लगता है कि वे अलग-थलग हो रहे हैं और उनके मसले अहम हैं। पारंपरिक तौर पर इन समुदाय के लोग कांग्रेस पार्टी को वोट करते रहे हैं, लेकिन हाल में कुछ वजहों से वे हमसे दूर चले गए हैं। अगर ये समुदाय फिर से हमें समर्थन करते हैं, तो इससे बड़ा फर्क पड़ेगा।'
महाराष्ट्र के चौथे सबसे बड़े औद्योगिक शहर औरंगाबाद की कुल आबादी में मुसलमानों का हिस्सा 19 फीसदी है और यहां कुछ महीनों में नगर निकाय के चुनाव होने हैं। 2014 के विधानसभा चुनाव में एमआईएम को औरंगाबाद की दो सीटों में से एक पर जीत हासिल हुई थी और मुंबई के बकुला क्षेत्र में पार्टी बड़ी मार्जिन के साथ विजयी हुई थी। एमआईएम के इम्तियाज जलील और वारिस पठान राज्य विधानसभा के सदस्य हैं और कांग्रेस पार्टी उनके बढ़ते प्रभाव को बड़ा खतरा मानती है।
औरंगाबाद, भिवंडी, मालेगांव और मिराज के अर्द्धशहरी हिस्सों में मुसलमानों की बड़ी आबादी है। महाराष्ट्र के ज्यादातर जिलों में मुसलमानों की औसत आबादी तकरीबन 12 फीसदी है। कांग्रेस को लगता है कि उनकी अच्छीखासी तादाद किसी चुनावी क्षेत्र में निर्णायक हो सकती है।
शरद पावर की नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी भी इन इलाकों में अपनी पहुंच बढ़ाने और वोटरों को भरोसा हासिल करने की कोशिश कर रही है। हालांकि, पार्टी ने अब तक गो हत्या और मुसलमानों के लिए आरक्षण वापस लिए जाने का विरोध नहीं किया है। लिहाजा, कांग्रेस इन मसलों को भुनाना चाहती है।

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