Tuesday, January 20, 2015

चार आरोपी अभी भी फरार

जिन आरोपियों ने शुक्रवार को विले पार्ले में एक वैन से करीब दो करोड़ रुपये कैश लूटा था, उन्होंने टूरिस्ट गाड़ियां खरीदने के वास्ते इस लूट को अंजाम पर पहुंचाया। मुंबई क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी ने सोमवार को एनबीटी को यह जानकारी दी। इस केस में तारीक खान, मोहम्मद इकबाल और बाला मुनेश्वर को गिरफ्तार किया गया है, जबकि चार आरोपी अभी भी फरार हैं। इनमें सिक्यॉरिटी गार्ड सदरे आलम भी शामिल है।
क्राइम ब्रांच सूत्रों का कहना है कि जो कैश वैन लूटी गई, वह ट्रांस सिक्यॉरिटी एजेंसी की थी। इस एजेंसी का काम अलग-अलग बैंकों से कैश लेना होता था और फिर उन्हें अलग - अलग एटीएम बूथ जाकर मशीन में डालना होता था। ट्रांस एजेंसी की गाड़ी में एक तो उसका ड्राइवर रहता है और साथ ही वह शख्स भी, जिसके पास एटीएम बूथ की मशीन की चाबी होती है। ट्रांस एजेंसी की कैश वैन में जो सिक्यॉरिटी गार्ड होते हैं, वे किसी और एजेंसी से हायर किए जाते हैं। इसलिए शुक्रवार को हुई वारदात में वैन में जो सदरे आलम नामक सिक्यॉरिटी गार्ड था, उसे ओम सिक्यॉरिटी एजेंसी से हायर किया गया था। उसने ही ड्राइवर तारीक खान का ब्रेनवॉश किया और कहा कि अगर पूरी वैन को लूट लिया जाए , तो हम सबकी जिंदगी सुधर जाएगी। संयोग से तारीक बहुत दिनों से टूरिस्ट गाड़ियों का बिजनस शुरू करने को था। उसने सोचा कि अगर वैन का कैश उसके हाथ आ गया , तो वह आसानी से यह बिजनस शुरू कर लेगा।

लेकिन यहां सवाल यह था कि अगर उसने क्राइम किया, तो वह पकड़ा जाएगा। ऐसे में सदरे आलम ने सुझाव दिया कि वह कुछ बंदे रखता है, जो वेस्टर्न ऐक्सप्रेस हाईवे पर कार में इंतजार करेंगे और वैन का कैश लेकर भाग जाएंगे, जबकि जो वैन में तारीक व सदरे आलम के अलावा दो लोग होंगे, उन्हें आलम रास्ते में नींद की गोलियां मिलाकर चाय पिला देगा। शुक्रवार को आलम ने ऐसा ही किया। पर कोई शक न हो, इसके लिए तारीक ने भी पहले नींद वाली थोड़ी चाय पी। बाद में वैन में दोनों लोगों के बेहोश होने के बाद तारीक ने भी सोने का ड्रामा किया। इसी दौरान वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे पर सदरे आलम ने पूरा कैश कार में बैठे अपने साथियों को दे दिया और फिर इन साथियों के साथ भाग गया। बाद में इन साथियों के जरिए तारीक का हिस्सा उसके घर के पास किसी को पहुंचा दिया गया।
वारदात के बाद जब तारीक अपने दो साथियों के साथ अस्पताल में भर्ती हुआ और फिर जल्दी डिस्चार्ज हो गया, तो सीनियर इंस्पेक्टर दीपक फटांगरे, व्हावल, सुनील माने की टीम उसके घर गई और फिर उसे पूछताछ के लिए क्राइम ब्रांच के दफ्तर लाई। उसी दौरान उसने अपना अपराध कबूल कर लिया।

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