Tuesday, July 8, 2014

जनता के हित' वाली नई ऑक्ट्राय पॉलिसी की घोषणा

महाराष्ट्र सरकार ने ऐन चुनाव से पहले 'जनता के हित' वाली नई ऑक्ट्राय पॉलिसी की घोषणा कर दी है। नई पॉलिसी चूंकि आने वाले सड़क निर्माणों पर ही लागू होगी, इसलिए मौजूदा सरकार के कार्यकाल में इसके लागू होने की संभावना कम ही है। अक्टूबर महीने में कांग्रेस-एनसीपी राज्य सरकार का पांच साल का कार्यकाल खत्म हो रहा है।
राज्य मंत्रिमंडल ने सोमवार रात यह तय किया कि 200 करोड़ रुपए से कम लागत वाली सड़क परियोजनाओं के लिए 'प्राइवेटाइजेशन' का उपयोग नहीं किया जाएगा। इसका मतलब छोटी सड़कों पर ऑक्ट्राय का झंझट ही खत्म हो जाएगा। इसके अलावा, यह भी निर्धारित कर दिया गया है कि लागत से डेढ़ गुना से ज्यादा ऑक्ट्राय वसूला नहीं जा सकेगा। घुमादार रास्तों के लिए डेढ़ गुना, हाइवे के लिए सवा गुना लागत वसूली जा सकेगी।
सड़क को चौड़ा करके छह लेन करने पर लागत से 75 प्रतिशत अधिक और चार लेन करने पर 60 प्रतिशत राशि अधिक राशि वसूल की जा सकेगी। गौरतलब है कि यह शर्तें मौजूदा ऑक्ट्राय वसूली पर बिलकुल असर नहीं डालेंगी। यह आरोप लगते रहे हैं लागत से कई गुना पैसे वसूली हो जाने का बाद भी ऑक्ट्राय ठेकेदारों को अबाधित वसूली के अनुमति दी जाती रही है।
केंद्र सरकार के नियमों को दरकिनार करते हुए मामूली अंतरों पर भी ऑक्ट्राय बूथ बनाकर वसूली की जा रही है। इस पर उपाय करते हुए राज्य सरकार ने आश्वासन दिया है कि आगे से एक ही सड़क पर 45 किलोमीटर के अंतर पर ही टोल नाके बनाए जा सकेंगे। अलग-अलग सड़के होने पर भी न्यूनतम अंतर 20 किलोमीटर से कम नहीं होगा।
कूपन, मासिक पास की दरों और टोल नाके से पांच किलोमीटर की दूरी में रहने वालों को टोल से छूट संबंधी नियमावली भी घोषित की गई है। एसटी बसों, ऐबुलैंसों, शव वाहिनियों आदि को ऑक्ट्राय से छूट देने की भी बात कही गई है।
 

No comments:

Post a Comment