Wednesday, April 2, 2014

ड्राइवर्स और कंडक्टर्स के आंदोलन ने यात्रियों का हाल बेहाल कर दिया।

नए ड्यूटी टाइम टेबल के विरोध में बेस्ट बसों के ड्राइवर्स और कंडक्टर्स के आंदोलन ने यात्रियों का हाल बेहाल कर दिया। बिना जानकारी अचानक से बसों का संचालन बंद होने की वजह से कई जगहों पर यात्री बस स्टॉप्स पर घंटो तक इंतजार करते रहे। ज्यादातर लोग अपने ऑफिस देरी पहुंचे। यात्रियों की इस मजबूरी का फायदा टैक्सी और निजी वाहनों ने उठाया। कुछ जगहों से टैक्सी और ऑटोवालों द्वारा यात्रियों से अधिक वसूली की भी शिकायतें मिली। बेस्ट बसों से प्रतिदिन करीब 42 लाख यात्री सफर करते हैं। बसें नहीं चलने से इतने यात्रियों का बोझ सीधे टैक्सी और ऑटोरिक्शा पर आ गया।
वर्ली में रहनेवाली 50 साल की कलावती काते झोपड़पट्टियों में सब्जी बेचने का काम करती हैं। मंगलवार को घर से जब दादर सब्जी लेने के लिए निकलीं तो खाली हाथ लौटना पड़ा। आधे घंटे तक बस स्टॉप पर इंतजार किया लेकिन बस नहीं आई। बाद में किसी ने बताया कि कर्मचारी आंदोलन पर हैं और बसें बंद हैं। काते हर दिन सिर पर टोकरी रखकर गली-गली घूम कर सब्जी बेचती हैं। काते ने बताया, 'प्रतिदन 200-300 रुपए की कमाई हो जाती है। कमाई इतनी सीमित है कि टैक्सी से दादर तक नहीं जा सकते इसलिए मजबूरी में आज घर पर ही रुकना पड़ा।' इसी तरह अंधेरी (ईस्ट) में स्टेशन से अमन गुप्ता (27) को जे. बी. नगर में दस बजे ऑफिस पहुंचना था। अमन बताते हैं, 'मैं बस स्टॉप पर पहुंचा तो पता चला आज बसें नहीं चलेंगी।' इसके बाद जब ऑटोरिक्शा लेने की सोची तो आधे घंटे तक कोई ऑटोरिक्शा खाली ही नहीं मिला। काफी मुश्किलों के बाद एक ऑटोरिक्शा मिला और मैं ऑफिस डेढ़ घंटे की देरी से पहुंचा। गणेश मोरे को कुर्ला से बीकेसी जाना था। बसें बंद थी, घंटो तक ऑटोरिक्शा का भी इंतजार करना पड़ा। कोई रास्ता न मिलता देख एक निजी बस ने सामूहिक रूप से कई लोगों को इकट्ठा कर बीकेसी व आसपास के इलाकों में छोड़ा।
दूसरी ओर, मुंबईकरों पर अचानक आई इस परेशानी का फायदा कुछ टैक्सी और ऑटोवालों ने जमकर उठाया। दादर, बांद्रा, गोरेगांव, मालाड, भांडुप, कुर्ला समेत अन्य जगहों पर इन लोगों ने मनमाना किराया वसूला। मजबूरी में लोगों को इनकी बात मान कर अतिरिक्त पैसे देने पड़े। मुलुंड के देवीदयाल रोड पर बेस्ट के आंदोलन के चलते सुबह स्थानीय लोगों को पार्क में जाने के लिए परेशानी का सामना करना पड़ा। ड्राइवर्स और कंडक्टर विरोध स्वरूप बसों को किनारे खड़ी कर घंटो तक सड़क पर बैठ गए। यहीं नहीं ये लोग पार्क में भी जमा हो गए थे।
बेस्ट बसों की हड़ताल के मद्देनजर दसवीं और बारहवीं के लिए मंगलवार को एग्जाम्स देने वाले लाखों परीक्षार्थियों को एग्जाम सेंटर्स तक पहुंचने में काफी दिक्कतें झेलनी पड़ी। छात्रों को जहां निर्धारित समय पर बसें नहीं मिली। वहीं, ऑटोरिक्शा के लिए तय रकम से अधिक रकम भाड़ा के रूप में चुकाना पड़ा। कांदिवली स्टेशन से चारकोप के बीच रिक्शाचलाने वाले एक चालक ने बताया कि एग्जाम की अनिवार्यता को देखते हुए उन्होंने तीन के बदले छह-छह परीक्षार्थियों को ऑटोरिक्शा में बैठाएं। हालांकि, महावीर नगर बीट चौकी के पास जब ट्रैफिक पुलिस ने ऑटो को रोका तो अंदर बैठे छात्रों ने ही उसका विरोध करना शुरू कर दिया। परिणामत: पुलिस ने बिना चालान काटे ऑटोरिक्शा जाने दिया। परीक्षार्थियों और अभिभावकों की मानें तो मंगलवार का दिन उनके लिए वाकई इम्तहान का ही दिन साबित हुआ। छात्रों से अधिक छात्राओं को परेशानियां हुईं।

                      

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