Thursday, July 30, 2009

मानवीय पिरामिड दही हंडी की विशेषता

मुम्बई हाईकोर्ट ने गुरूवार को वह जनहित याचिका खारिज कर दी जिसमें मांग की गई थी कि जन्माष्टमी व अन्य उत्सवों में दही हांडी के आयोजनों के दौरान उसमें बच्चों के शामिल होने पर रोक लगा दी जाए। हाईकोर्ट ने याचिका की सुनवाई करते समय व्यवस्था दी कि मानवीय पिरामिड दही हंडी की विशेषता है। इसके अलावा दही हंडी महाराष्ट्र का आम तौर पर खेला जाने वाला ऐसा खेल है जिसमें अवयस्कों को खेलने से नहीं रोका जा सकता। हालांकि हाईकोर्ट ने फैसले में यह भी कहा कि सरकार अगर चाहे तो दही हंडी को अधिक सुरक्षित बनाने और गाइडलाइन निर्धारित करने के बारे में याचिकाकर्ता के सुझाव पर विचार कर सकती है। यह जनहित याचिका सपोर्ट इंडिया फाउंडेशन नामक संगठन ने दायर की थी। सपोर्ट इंडिया फाउंडेशन ने राइट टू इनफामेर्शन ऐक्ट के जरिए विभिन्न अस्पतालों के पांच साल के रिकार्ड के हवाले से बताया कि इन पांच सालों में सौ के करीब बच्चे दही हांडी की वजह से गंभीर रूप से घायल हो गए। फाउंडेशन की निदेशक गीता सिंह के अनुसार हकीकत में हर साल मुम्बई व ठाणे के विभिन्न प्राइवेट अस्पतालों व नर्सिंग होम में सैकड़ों बच्चें दही हांडी के दौरान घायल होकर भतीर् होते हैं जिनके बारे में अक्सर मीडिया में जिक्र तक नहीं होता। इसलिए याचिकाकर्ता ने अदालत से मांग की थी कि दही हांडी को हमेशा की तरह खेला तो जाए, पर इसमें आठ साल के बच्चों के शामिल होने पर रोक लगा दी जाए।

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